पॉलिटिकल

बिना सोचे-समझे बिहार में शराबबंदी के फैसले ने लोगों को मौत के मुंह में ढकेला…..बिहार में शराबबंदी फेल, नीतीश पर सहयोगी दल भी उठा रहे सवाल…. छत्तीसगढ़ की भूपेश सरकार इसलिए शराबबंदी पर फूंक-फूंककर रख रही कदम

पटना 16 जनवरी 2022। बिहार में शराबबंदी की कीमत लोगों को मौत के साथ चुकानी पड़ रही है। बिना सोचे-समझे नीतीश सरकार के शराबबंदी के फैसले ने ना सिर्फ राज्य में शराब की तस्करी बल्कि जहरीली शराब के कारोबार को भी खूब पनपाया है। शराबबंदी के बाद बिहार के हालात किस कदर खराब है, उसका इसी बात से अहसास हो जायेगा कि पिछले एक साल में 100 से ज्यादा लोगों की मौत सिर्फ जहरीली शराब की वजह से हुई है। पिछले दिनों मुख्यमंत्री के इलाके में मौत का जो तांडव हुआ, उसने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के फैसले पर सबसे बड़ा प्रश्नचिन्ह लगा दिया है। हालत ये है कि अब नीतीश सरकार अपने सहयोगी दलों के निशाने पर आ गये हैं। अब सरकार पर दवाब बनाया जा रहा है कि राज्य में शराबबंदी कानून को वापस ले लिया जाये।

…..इसलिए भूपेश सरकार ने कमेटी बनाकर शराबबंदी पर निर्णय लेने का लिया है फैसला 

छत्तीसगढ़ में शराबबंदी को लेकर बीजेपी ने खूब हंगामा किया था, कई दफा भूपेश सरकार को घेरा गया, लेकिन सरकार ने पहले ही साफ कर दिया कि जब तक शराबबंदी पर सरकार अलग-अलग राज्यों से अध्ययन रिपोर्ट नहीं मंगवा लेती और समाजिक संगठनों से राय नहीं ले लेती, तब तक आनन-फानन में कोई निर्णय नहीं ले सकती। बिहार के हालात को देखते हुए भूपेश सरकार का ये फैसला शत प्रतिशत सही साबित होता दिख रहा है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कई मौकों पर कहा भी है कि जागरूकता के जरिये शराबबंदी की दिशा में बढ़ा जा सकता है। अचानक से शराबबंदी के समाजिक दुष्प्रभाव बढ़ेगा। बिहार में जो हालात है उसने छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री की सोच को सार्थक कर दिया है।

बिहार में शराबबंदी कानून पूरी तरह से फेल

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के गृह जिले नालंदा में जहरीली शराब से 10 लोगों की मौत के बाद अब सत्ताधारी दलों के बीच जुबानी जंग तेज हो गई है और इसी क्रम में एनडीए की सहयोगी और पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी की पार्टी हिंदुस्तानी युवा मोर्चा ने बिहार में शराबबंदी कानून समाप्त करने की बड़ी मांग उठाई है. हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा ने कहा है कि नालंदा में जहरीली शराब कांड से यह स्पष्ट हो गया है कि बिहार में शराबबंदी कानून पूरी तरीके से फेल हो चुका है और इस कानून को अब निरस्त कर दिया जाना चाहिए.

सहयोगी दल बीजेपी ने भी नीतीश कुमार के ऊपर जहरीली शराब से हुई मौतों को लेकर हमला किया है. बीजेपी प्रवक्ता अरविंद कुमार सिंह ने कहा कि बिहार में अगर शराबबंदी कानून फेल है तो उसकी वजह अधिकारियों की फौज है जो इस कानून का पालन नहीं करवा रही है हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा के वरिष्ठ प्रवक्ता दानिश रिजवान ने कहा कि जब केंद्र सरकार किसी कानून को वापस ले सकती है तो फिर बिहार में मुख्यमंत्री शराबबंदी कानून को वापस क्यों नहीं ले सकते? हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा के प्रवक्ता दानिश रिजवान ने कहा ”किसी भी कानून को वापस लेना प्रतिष्ठा का सवाल नहीं बनाना चाहिए. आज बिहार के सभी जिलों में शराबबंदी के कारण जहरीली शराब मिल रही है और गरीबों की मौत हो रही है. यह सरकार के ऊपर सवालिया निशान खड़ा कर रहा है.”

77 मौते 2021 में हुई

साल 2021 की बात करें तो 77 से ज्यादा मौतें सिर्फ जहरीली शराब से हुई। प्रदेश के करीब 13 मामले जहरीली शराब के आये। इनमें से करीब दो महीने के दौरान ही समस्‍तीपुर, बेतिया और गोपालगंज में जहरीली शराब से करीब 40 लोगों की मौत हुई।  पहले बीते वर्ष 28 अक्‍टूबर की रात मुजफ्फरपुर के सरैया थाना क्षेत्र में आठ लोगों की मौत के बाद हड़कंप मच गया।  पता चला कि लोगों ने शराब पी थी। इसके बाद उनकी तबियत बिगड़ने लगी।  इससे पूर्व मुजफ्फरपुर के कटरा में वर्ष के आरंंभ में 17 एवं 18 जनवरी को जहरीली शराब ने पांच की जान ले ली थी। अगले महीने 26 फरवरी को मनियारी में दो की मौत हुई थी। नवादा जिले में जहरीली शराब पीने से नगर थाना क्षेत्र के डेढ़ दर्जन लेागों की मौत की बात सामने आई थी। जुलाई महीने में पश्चिमी चंपारण में भी एक दर्जन से ज्‍यादा लोगों की मौत हो गई। नवंबर महीने में गोपालगंज जिले के 18 और पश्चिम चंपारण के 17 लाेगों की जान जहरीली शराब के कारण चली गई।

सुप्रीम कोर्ट भी दे चुका है बिहार सरकार को शराबबंदी पर झटका

सुप्रीम कोर्ट ने भी बिहार सरकार को शराबबंदी से जुड़े मुकदमों पर झटका दिया है. देश की सर्वोच्च अदालत ने बिहार में शराबबंदी के कड़े कानून के तहत आरोपियों को अग्रिम और नियमित जमानत देने को चुनौती देने वाली अपीलें यह कहते हुए खारिज कर दी कि पटना हाईकोर्ट के 14-15 जज पहले से ही ऐसे मामलों की सुनवाई कर रहे हैं.मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति एनवी रमणा की अध्यक्षता वाली तीन जजों की पीठ ने बिहार सरकार की ये दलील खारिज कर दी कि आरोपियों से जब्त की गई शराब की बड़ी खेप को ध्यान में रखते हुए तर्कसंगत जमानत आदेश पारित किए जाने चाहिए. ऐसे आदेश देने के लिए भी दिशानिर्देश तैयार किए जाएं. कोर्ट ने कहा, सिर्फ इन कानूनों से जुड़े मुकदमों ने अदालतों की नाक में दम कर रखा है. कई जज और पीठ दिन भर में कोई और मामला सुन ही नहीं पा रहे हैं. इस समय संबंधित पीठों के समक्ष 39,622 जमानत अर्जियां लंबित हैं, जिनमें 21,671 अग्रिम और 17,951 नियमित जमानत अर्जियां हैं। इनके अलावा 36,416 नये जमानत आवेदनों को लिया जाना है, जिनमें 20,498 अग्रिम तथा 15,918 नियमित जमानत अर्जियां हैं।

 

 

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