हेडलाइन

हाईकोर्ट ब्रेकिंग: नवनियुक्त शिक्षकों को हाईकोर्ट से बड़ा झटका…. स्टाइपेंड सहित अन्य मुद्दों पर दायर याचिका खारिज, नियमित सर्व शिक्षक फेडरेशन बोला, सुप्रीम कोर्ट जाएंगे

बिलासपुर 10 मार्च 2023। स्टाइपेंड के मुद्दे पर हाईकोर्ट से नवनियुक्त शिक्षकों को बड़ा झटका लगा है। स्टाइपेंड के मुद्दे पर दायर याचिका को हाईकोर्ट ने खारिज कर दी है। इससे पहले इस मामले में 20 फरवरी को सुनवाई पूरी हो चुकी थी, जिसके बाद फैसले को सुरक्षित रख लिया गया था। आज इस मामले में फैसला सुनाया गया, जिसमें यह कहा गया कि राज्य सरकार का स्टाइपेंड के मुद्दे पर फैसला सही है। इसमें किसी भी तरह के नियम और धाराओं का उल्लंघन नहीं किया गया है। आपको बता दें कि याचिकाकर्ता परवेज अली ने चयन के बाद विज्ञापन के नियमों में परिवर्तन और कहीं 100% तो कही स्टाइपेंड देकर समानता के अधिकार का हनन किये जाने को लेकर याचिका दायर की थी।

कोर्ट ने अपने फैसले में बताया है कि स्टाइपेंड के मुद्दे पर अनुच्छेद 309 एवं 14 का कोई उल्लंघन नही हुआ है। हालाकि अभी विस्तृत जानकारी ऑर्डर कॉपी अपलोड होने के बाद पता चलेगा । छत्तीसगढ़ प्रदेश नियमित सर्वशिक्षक फेडरेशन के वरिष्ठ कार्यकारी अध्यक्ष – परवेज़ अली द्वारा वकील से बात उपरांत दी गयी जानकारी अनुसार

“हमें वकील की तरफ से जानकारी दी गई है कि हमारी याचिका खारिज हो गई है। हालांकि अभी विस्तृत तौर पर कुछ कहा नहीं जा सकता, हम आदेश की कॉपी का इंतजार कर रहे हैं। हम इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में भी चुनौती देंगे, फिलहाल हम आदेश की कॉपी का इंतजार कर रहे हैं और फिर आगे की कार्यवाही के बारे में आपको बता पाएंगे”

परवेज अली, याचिकाकर्ता व छत्तीसगढ़ प्रदेश नियमित सर्वशिक्षक फेडरेशन के वरिष्ठ कार्यकारी अध्यक्ष

दरअसल प्रदेश में 14580 व्याख्याता, शिक्षक और सहायक शिक्षकों की नियुक्ति हुई थी। इस भर्ती की विज्ञापन शर्तों में 2 साल की परीविक्षा अवधि के साथ वेतनमान देने का उल्लेख था। विज्ञापन के आधार पर साल 2020 जुलाई अगस्त में प्रदेश भर में शिक्षक भर्ती परीक्षा आयोजित की गयी। अक्टूबर में रिजल्ट आया, लेकिन पदस्थापना के पूर्व ही कोविड ने दस्तक दे दी, जिसके बाद पोस्टिंग की प्रक्रिया रूक गयी।

इसी दौरान राज्य सरकार ने परीविक्षा अवधि को 3 साल कर दिया, वहीं पहले वर्ष में 30 प्रतिशत, दूसरे वर्ष में 20 प्रतिशत और तीसरे वर्ष में 10 प्रतिशत कटौती का स्टाइपेंड नियम लागू कर दिया।याचिकाकर्ता परवेज अली ने चयन के बाद विज्ञापन के नियमों में परिवर्तन और कहीं 100% तो कही स्टाइपेंड देकर समानता के अधिकार का हनन किये जाने को लेकर याचिका दायर की थी।

9 मार्च को जब विज्ञापन जारी किया गया था, तो उस दौरान 2 वर्ष के परीविक्षा अवधि के साथ-साथ पूर्ण वेतन का उल्लेख था, जबकि बाद उसमें स्टाइपेंड की नयी शर्त जोड़ी गयी। इसे ही कोर्ट में चुनौती दी गयी थी। आपको बता दें कि इससे पहले 443 चिकित्सा अधिकारियों की जो नियुक्ति की गयी थी, वो भी स्टाइपेंड नियम के दायरे में थे, लेकिन राज्य सरकार ने उन्हें स्टाइपेंड नियम में शिथिलता दे दी थी।

Back to top button