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हाईकोर्ट : 8 कर्मचारियों की बर्खास्तगी आदेश को हाईकोर्ट ने किया रद्द, नौकरी में वापस लेने का सरकार को दिया निर्देश

Bilaspur Hinghcourt News : महिला एवं बाल विकास विभाग के 8 संविदा कर्मचारियों के बर्खास्तगी आदेश को हाई कोर्ट ने रद्द कर दिया है। सभी को  सेवा में बहाल करने का आदेश दिया है। दरअसल याचिकाकर्ता आश्विन जायसवाल, ज्योति शर्मा, माहेश्वरी दुबे, अल्केश्वरी सोनी, हेमलाल नायक रजनीश गेंदले, अखिलेश डाहिरे एवं दुष्यंत निर्मलकर ने सेवा समाप्ति आदेश से क्षुब्ध होकर उच्च न्यायालय के समक्ष अधिवक्ता मतीन सिद्दीकी एवं घनश्याम कश्यप के द्वारा रिट याचिका  दायर किया गया था|

याचिकाकर्ताकी नियुक्ति महिला एवं बाल विकास विभाग, रायपुर में जिला विधिक सह परिविक्षा अधिकारी एवं अन्य पदों पर वर्ष 2014-16में नियुक्त किया गया था। नियुक्ति आदेश में उल्लेखित थाकि संविदा नियुक्ति एक वर्ष के लिए होगी।याचिकाकर्ता की सेवाओं को समय-समय पर याचिकाकर्ता के कार्य प्रदर्शन और गोपनीय रिपोर्ट के आधार पर बढ़ाया गया था और वित्तीय वर्ष 2021-22के लिए याचिकाकर्ता के कार्य प्रदर्शन/गोपनीय रिपोर्ट के आधार पर विभाग ने याचिकाकर्ता की सेवाओं को वित्तीय वर्ष 2022-23मेंजारी रखा|

जिला कार्यक्रम अधिकारी, महिला एवं बाल विकास, जिला रायपुर ने आदेश दिनांक 19.10.2022 द्वारा याचिकाकर्ता की सेवाएं वित्तीय वर्ष 2021-22 में संतोषजनक नहीं पाए जाने के कारण 31.10.2022 से समाप्त कर दी।याचिकाकर्ता की सेवाएँ समाप्त करने के बाद जिला कार्यक्रम अधिकारी, महिला एवं बाल विकास विभाग, रायपुर ने दिनांक 03.11.2022 को याचिकाकर्ता को सेवा समाप्ति हेतु कारण बताओ नोटिस जारी किया और 05 दिनों के भीतर स्पष्टीकरण मांगा, अन्यथा जिला स्तरीय चयन समितिकी अनुशंसा के अनुसार याचिकाकर्ता की सेवाएं 30.11.2022 से स्वतः समाप्त हो जाएंगी|

याचिकाकर्ता ने सेवासमाप्ति आदेश दिनांक 19.10.2022और कारण बताओ नोटिस दिनांक 03.11.2022से क्षुब्ध होकररिट याचिका दायर की और रिट याचिका के लंबित रहने के दौरान जिला कार्यक्रम अधिकारी, महिला एवं बाल विकास विभाग, रायपुर ने दिनांक 17.11.2022के आदेश के माध्यम से याचिकाकर्ता की सेवाओं को समाप्त कर दिया।याचिकाकर्ता की गोपनीय प्रतिवेदन में अंकित टिपण्णी/मतांकन अच्छा नहीं होने के कारण याचिकाकर्ता  की सेवा समाप्त कर दी गई थी, याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने यह तर्क दिया था कि, छत्तीसगढ़ सिविल सेवा (संविदा नियुक्ति) नियम, 2012के नियम 15(3)में प्रावधान है कि संविदा पर नियुक्त व्यक्ति की गोपनीय रिपोर्ट दर्ज की जाएगी।

ताकि अगले वर्ष के लिएसंविदा पर नियुक्ति के लिए विचार किए जाने की स्थिति में उसके कार्य का मूल्यांकन किया जा सके।याचिकाकर्ता को गोपनीय प्रतिवेदन की प्रतिलिपि प्रदान नहीं दी गई थी और कार्य सुधार हेतु कोई नोटिस जारी नहीं किया गया, जिससे याचिकाकर्ता को गोपनीय प्रतिवेदन में अंकित टिप्पणी/मतांकन में सुधार हेतु कोई अवसर नहीं मिला|याचिका की सुनवाई माननीय न्यायाधीश अरविन्द सिंह चंदेल जी के बेंच में हुई, माननीय उच्च न्यायालय रिट याचिका को स्वीकार कर सेवासमाप्ति/बर्खास्तगी आदेश को निरस्त कर याचिकाकर्ता की सेवा बहाल करने का आदेश दिया गया|

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