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SCERT में मोर बालवड़ी कार्यशाला का उद्घाटन…. शिक्षा मंत्री प्रेमसाय सिंह टेकाम द्वारा

रायपुर 19 मार्च 2022 शिक्षा मंत्री प्रेमसाय सिंह टेकाम द्वारा आज दोपहर 2.30 बजे scert रायपुर में मोर बालवाड़ी पर केंद्रित कार्यशाला का शुभारंभ किया गया।इसमे माननीय शिक्षा मंत्री जी ने अपने उदबोधन में कहा कि बालवाड़ी ,5 से 6 वर्ष उम्र वाले बच्चों के लिए है तथा जिन स्कूलों के परिसर में पहले से ही आंगनबाड़ी संचालित है। उसी प्राथमिक स्कूल के शिक्षक बालबाड़ी के बच्चों को अध्यापन करायेंगे।मोर बालवाड़ी कार्यक्रम में सभी के सुझाव व तालमेल से कार्यक्रम को बेहतर ढंग से लागू किया जा सकता है। इस कार्यक्रम के सफल संचालन हेतु एक बेहतर पाठ्यक्रम, क्षमता विकास और पालकों की सहभागिता बहुत महत्वपूर्ण है।
इस कार्यक्रम में राज्य योजना आयोग सदस्य मिताक्षरा कुमारी, विशेष सचिव एवम् संचालक एससीईआरटी राजेश राणा,प्रबंध संचालक ,समग्र शिक्षा नरेंद्र दुग्गा ; संचालक, लोक शिक्षण संचालनालय सुनील जैन उपस्थित थे । इसके अलावा कार्यशाला में रेखा शर्मा सेन, प्रोफेसर IGNOU, सायंतनी, कार्यकारी निदेशक, Ahvaan Trust, सुनिशा आहूजा, शिक्षण विशेषज्ञ, UNICEF, अजीम प्रेम जी फाउंडेशन, APF, CLR, Pratham Books, Dost Education, Aurobindo Society NGOs सम्मिलित हुए ।
कार्यशाला का प्रारंभ संचालक एस सी ई आर टी श्री राजेश राणा के उद्बोधन से प्रारंभ हुआ । इसके पश्चात् अतिरिक्त संचालक एस सी ई आर टी श्री योगेश शिवहरे द्वारा ECC के विषय में प्रस्तुतिकरण दिया गया । इसके पश्चात् राज्य प्रमुख छत्तीसगढ़,UNICEF श्री जॉब जकारिया ने अपने वक्तव्य में शिक्षकों की क्षमता बढ़ाने पर विशेष जोर दिया गया।सुश्री मिताक्षरा कुमारी, राज्य योजना आयोग सदस्य, SPC(MODERATOR) ने कहा कि यथासंभव बालबाड़ी के बच्चों को महिला शिक्षक ही अध्यापन कराये। बालवाड़ी कार्यक्रम के सफल संचालन हेतु अधिक से अधिक क्रियाकलाप आधारित,पालक शिक्षक समन्वय की आवश्यकता है।
इसके पश्चात् NCERT प्रोफेसर सुनीता फर्किए द्वारा बालवड़ी को बेहतर बनाने के लिए सुझाव दिए गए ।
इस कार्यक्रम में अम्बेडकर वि वि नई दिल्ली की रिटायर्ड प्राध्यापक डॉ. वेनिता कौल वर्चुअल रूप से शामिल हुई।आपने कहा कि हमे 5 से 6 ,6 से 7 व 7 से 8 साल के आयुवर्ग के बच्चों के आधारभूत कौशल को बढ़ाने पर ध्यान देने की आवश्यकता है।प्रत्येक शिक्षकों को हैंडबुक बनाने की जरूरत है तथा शिक्षको को निरंतर प्रशिक्षित होते रहना चाहिए।

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