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IPS सूरज की सोच, जो बन गयी मिसाल: “पुलिस की पाठशाला” का कारवां 500 बच्चों तक पहुंचा….SP पद से हटने के बाद भी GPM में इस अनूठी पहल से आज तक हैं जुड़े…..ट्वीट कर याद किया साझा …

रायपुर 24 अक्टूबर 2021। एक पहल किस तरह मिसाल बन जाती है, ये IPS सूरज सिंह परिहार और GPM वासियों से बेहतर कौन जान सकता है।  आज से 8 महीने पहले शुरू हुई “पुलिस की पाठशाला” अब होनहारों के भविष्य संवारने की मजबूत कड़ी बन गयी है। कभी 15-20 बच्चों से शुरू हुई पुलिस की पाठशाला अब 500 बच्चों तक पहुंच गयी है। “पुलिस की पाठशाला” गौरेला-पेंड्रा-मरवाही जिले के पहले एसपी सूरज सिंह परिहार की सोच थी। पुलिस अधीक्षक पद से हटने के बाद बावजूद अभी भी IPS सूरज इस पाठशाला से जुड़े हुए हैं। हर स्तर के किताबों की व्यवस्था, अध्ययनरत छात्रों की समस्याओं का निराकरण और सबसे बड़ी बात होनहारों के मार्गदर्शन के लिए खुद की पहल ना जाने कितने बच्चों के भविष्य को संवार रही है।

7 फरवरी 2021 को एसपी कार्यालय के बगल में दो कमरों में वनी पुलिस की पाठशाला एक तरह की लाइब्रेरी है, जहां बच्चों को निशुल्क किताबें मिलती, वहां उन्हें पढ़ने की भी व्यवस्था की गयी है। लाइब्रेरी को लेकर वक्त-वक्त पर IPS सूरज सिंह को सुझाव मिलते रहे हैं। एक ऐसा ही सुझाव आईपीएस को कल मिला, जिसे उन्होंने ट्वीटर पर साझा किया है। सूरज सिंह परिहार को ट्वीट कर एक पाठक ने किताब की उपलब्धता को लेकर सुझाव दिये हैं। व्हाट्सएप पर आये उस सुझाव को सूरज सिंह परिहार ने साझा किया है…

एसपी सूरज परिहार के “पुलिस की पाठशाला”  विजन की देश  विदेश मे सराहना हुयी और दूसरे प्रदेश से भी लोगों ने इस पहल की सराहना करते हुये किताबें एसपी को भेजीं और इसके बाद यहां एसपी कार्यालय के दो कमरों में पुलिस की इस पाठशाला की शुरूआत हुई। करीब डेढ़ वर्ष पुराने जिले में इसी वर्ष फरवरी महीने में यह अनोखा पुस्तकालय और वाचनालय शुरू किया था। तत्कालीन पुलिस अधीक्षक सूरज सिंह परिहार ने इसे बीजापुर नक्सल हमले में शहीद हुये प्रधान आरक्षक शिवनारायण बघेल की स्मृति में बनाया था। लायब्रेरी के प्रेरणाश्रोत एसपी सूरज पुलिस अधीक्षक पद से हटने के बाद भी उस पाठशाला से जुड़े हुए हैं।

चुनौतियों का सामना कर IPS बने हैं सूरज सिंह

जौनपुर के शाहगंज गांव के रहने वाले सूरज परिहार का जीवन भी संघर्षों से भरा रहा है। कभी ट्यूशन, कभी कॉल सेंटर की नौकरी और कभी बैंककर्मी के रूप में काम करते-करते उन्होंने देश के सर्वोच्च इम्तिहान UPSC को पास करने का सपना संजोया और फिर उसे मुमकीन कर दिखाय़ा।   फरवरी 2020 में स्थापित पेंड्रा-गौरेला-मरवाही जिला का उन्हे पहले OSD बनाया गया और फिर वो वहां के पहले एसपी बने हैं। पांचवी के बाद की पढ़ाई उन्होंने कानपुर के जाजमऊ कस्बे में पिता के पास रहते हुए की। कॉल सेंटर की नौकरी से पेशेवर जीवन की शुरुआत करने के बाद बैंक पीओ और एक्साइज इंस्पेक्टर भी रहे। 2015 में चौथे प्रयास में यूपीएससी में हिंदी में परीक्षा देकर सफलता पाई।राजधानी रायपुर में प्रशिक्षु आईपीएस के रूप में नियुक्ति के समय से ही परिहार भावी पीढ़ी को प्रोत्साहित कर रहे हैं। कोरोना संकटकाल में हजारों युवाओं को ऑनलाइन मार्गदर्शन दिया। ऑनलाइन कक्षाओं में देश के विभिन्न हिस्सों में कार्यरत विशेषज्ञ और सूरज के बैचमेट सहित प्रदेश के अन्य आईएएस और आईपीएस भी योगदान करते हैं।

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