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विडंबना : आदिवासी CM के राज में आदिवासी छात्रों के हक पर डाका,SDO और मानचित्रकार के गठजोड़ ने कर दिया करोड़ों का फर्जीवाड़ा,अब CM साय से शिकायत की तैयारी

कोरबा 27 दिसंबर 2023। छत्तीसगढ़ में लंबे इंतजार के बाद भले ही आदिवासी मुख्यमंत्री प्रदेश को मिल गया , लेकिन सूबे में आदिवासियों का हाल किसी से छिपा नही है। आदिवासी छात्रों को मिलने वाली सुविधा और हक पर अफसर कैसे डाका डाल रहे है,इसकी बानगी देखनी है, तो कोरबा चले आईये। यहां आदिवासी बच्चों के बेहतर भविष्य के लिए बनने वाले छात्रावास और आश्रम समायवधि पूरा होने के बाद भी आज भी अधूरे है। जवाबदार अफसर ठेका कंपनियों पर एक्शन लेने के बजाये उन्हे संरक्षण देने में जुटे हुए है। वहीं दूसरी तरफ आदिवासी छात्रों के बेहतर सुविधाओं के लिए केंद्र और राज्य सरकार से मिलने वाले करोड़ों रूपये के फंड पर SDO और सहायक मानचित्रकार बेखौफ होकर सेंध लगाकर खुलेआम भ्रष्टाचार कर रहे है। लेकिन जवाबदार जिला प्रशासन मौन साधे बैठा हुआ है। ऐेसे में आरटीआई से हुए इस खुलासा के बाद अब इसकी शिकायत मुख्यमंत्री से करने की बात कही जा रही है।

आदिवासी बाहुल्य छत्तीसगढ़ को विष्णुदेव साय के रूप में आदिवासी मुख्यमंत्री मिल गये है। साय के मुख्यमंत्री बनने के बाद एक तरफ जहां छत्तीसगढ़ के आम जनता के साथ ही आदिवासी वर्ग को काफी उम्मींदे है। वहीं दूसरी तरफ आदिवासी मुख्यमंत्री के राज में भी आदिवासी छात्र-छात्राओं के हक में अफसर डाका डालने से गुरेज नही कर रहे है। दरअसल पूरा मामला आदिवासी बाहुल्य कोरबा जिला का है। यहां आदिवासी सहायक आयुक्त के अधीन आने वाले छात्रावास-आश्रम में रहने वाले छात्रों के बेहतर सुविधाओं के लिए केंद्र सरकार के साथ ही राज्य सरकार से करोड़ों रूपये के फंड आये। लेकिन कांग्रेस के कार्यकाल में इस विभाग के निर्माण शाखा में जमकर धांधली और बोगस बिलों का भुगतान कर भ्रष्टाचार किया गया। इसी तरह छात्रावास और आश्रमों में छात्रों के नाम पर कागजों में खरीदी कर पैसों का भुगतान कर दिया गया।

विभाग में अफसरों की मनमानी का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि सिविल इंजीनियर की पदस्थापना होने के बाद भी भवन निर्माण की जिम्मेदारी अनुभवहीन सहायक मानचित्रकार के जिम्मे सौंप दिया गया है। बताया जा रहा है कि दुर्ग जिला से आने वाले सहा. मानचित्रकार ऋषिकेश के जिम्में 22 छात्रावास और आश्रम भवन निर्माण की जिम्मेदारी है। सप्ताह में महज 2 दिन कार्यायल आने वाले ऋषिकेश बानी ने कभी भी निर्माण स्थल का विजिट नही किया। जिसका फायदा उठाकर ठेका कंपनी द्वारा निर्माणाधीन भवन के प्लींथ बीम में पीसीसी किये बगैर ही ना केवल ढलाई करवा दिया गया, बल्कि भवन की मजबूती के लिए प्लींथ बीम में 16 एमएम के सरिया की जगह 10 एमएम का सरिया लगाकर ढलाई किया गया। बावजूद इसके इस घटिया निर्माण पर सहायक मानचित्रकार और एसडीओं अजीत तिग्गा ने आपत्ति जताने के बजाये एस्टिेमेट के मुताबिक पूरे बिल का भुगतान कर दिया गया।

बताया जा रहा है कि 22 छात्रावास और आश्रम भवनों को पूरा करने की समय सीमा समाप्त हो चुकी है। बावजूद इसके जवाबदार सहायक मानचित्रकार ने एक भी ठेका कंपनी का ना तो नोटिस जारी किया गया और ना ही काम में हुए विलंब को लेकर बिल में कटौती की गयी। आदिवासी विभाग के सहा.मानचित्रकार ऋषिकेश बानी और एसडीओं अजीत तिग्गा के गठजोड़ का ही कारनामा है कि आदिवासी बच्चों के लिए तैयार हो रहे अधिकांश छात्रावास और आश्रम भवनों में कम्पलीट होने से पहले ही दरारे पड़ने लगी है। ठीक इसी तरह आदिवासी विभाग का केंद्र सरकार से मिले 5 करोड़ रूपये के फंड में निर्माण शाखा से फर्जी एस्टिेमेट बनाकर इंजीनियर और एसडीओं अजीत तिग्गा ने अपने हस्ताक्क्षर से करोड़ों रूपये का फर्जी बिलों का भुगतान करा दिया गया।

बताया जा रहा है कि पूर्व आदिवासी सहायक आयुक्त के कार्यकाल में हुए इस भ्रष्टाचार के सारे दस्तावेज और फाइल विभाग से गायब है। बावजूद इसके आज तलक बगैर काम कराये करोड़ों रूपये का बिल भुगतान कर अह्म भूमिका निभाने वाले एसडीओं अजीत और इंजीनियर सहित सहा.मानचित्रकार ऋषिकेश बानी पर कोई एक्शन नही लिया जा सका है। बताया जाता है कि कांग्रेस की सरकार में दुर्ग जिला से आने वाले सहा.मानचित्रकार बानी अपनी राजनीतिक पहंुच का हवाला देकर जमकर विभाग में जमकर धांधली किये है। यहीं वजह है कि पिछले 2 वर्षो में आदिवासी विभाग में बड़े-बड़े घोटाले हुए, लेकिन सहा.मानचित्रकार और SDO अजीत तिग्गा तक आज तक जांच की आंच नही पहुंच सकी। आर.टी.आई. से हुए इस खुलासे के बाद अब इस पूरे भ्रष्टाचार की शिकायत प्रमाण के साथ मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के करने की बात कही जा रही है।

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