शिक्षक/कर्मचारी

भूकंप आया, चोट लग गयी, सांप ने काटा या फिर बेहोश हो गये……बच्चों और शिक्षकों को इन आपात स्थिति में बचने और बचाने का दिया गया प्रशिक्षण

: जशपुर जिला के अंतर्गत विकासखंड जशपुर के अंतर्गत संकुल स्तरीय मुख्यमंत्री शाला सुरक्षा एवं व्यक्तिगत सुरक्षा संकुल स्तरीय प्रशिक्षण का समापन हुआ। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में संकुल जशपुर 1,2,3 एवम राजापारा के अंतर्गत संयुक्त रूप से संचालित सभी शासकीय/अनुदान प्राप्त प्राथमिक शाला ,माध्यमिक शाला से लगभग ….शिक्षक शिक्षिकाएं शामिल हुए ।छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की मंशा अनुसार प्रत्येक विद्यालय के विद्यार्थियों एवम अध्यापकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के उद्देश्य से यह प्रशिक्षण आयोजित किया गया। भागलपुर स्थित पूर्व माध्यमिक शाला राजापारा में यह प्रशिक्षण में दिनांक 4जुलाई से लेकर 9 जुलाई तक दो शिफ्ट में आयोजित था जिससे की स्कूल से आधे आधे शिक्षक प्रशिक्षण लें ताकि स्कूल की पढ़ाई प्रभावित न हो।
इस प्रशिक्षण में विद्यालय सुरक्षा,विद्यार्थी सुरक्षा,शिक्षक सुरक्षा को लेकर विभिन्न गतिविधि कराया गया जिसमें कुछ प्राथमिक उपचार के बारे में प्रशिक्षण दिया गया।

  • बेहोश होने पर, प्राकृतिक आपदा होने पर लकड़ी ,कपड़ा से एस्ट्राइचर बनाना,कंधे के माध्यम से उठाना आदि।
  • चोट लगने पर हाथ के माध्यम से एस्ट्रेचर बनाना,सिर पर कपड़ा बांधना, आपात स्थिति में हाथ या पैर टूटने पर प्लास्टर बांधने का तरीका।
  • भूकंप आने पर,मलबा में दबे रहने की स्थिति में कैसे रेस्क्यू करना है?लेट कर पैर के सहारे व्यक्ति को निकालना का फिजिकल गतिविधि कराया गया।

इस प्रशिक्षण के दौरान नगर सेना की टीम गैस से आग लगने पर ,बिल्डिंग के आगजनी से कैसे रक्षा किया जाय ,इस पर प्रयोग करके प्रशिक्षित किया गया। जशपुर जिला प्राकृतिक सौंदर्य वाला जिला है लेकिन इस प्रकार जिला में सापों की बाहुल्यता है जिससे सर्प दंश से अधिक जान जा रहा है,इस विषय के प्रशिक्षण के दौरान जिले के सर्प विशेषज्ञ केसर हुसैन ने सांपों के विभिन्न प्रकार,जहर एवम बिना जहर के सांपों की पहचान कैसे करना है ? फोटो दिखाकर प्रशिक्षित किया।

घर में सर्प दंश से बचने के लिए किस प्रकार साफ सूथरा रखना है,इस पर विषेस मारदर्शन किया।इस प्रशिक्षण के दौरान अतिथि व्याख्यान के रूप में नाबालिक लड़की लड़का के संबंध में चाइल्डलाइन संस्था के जिला संयोजक अंजना चौहान ने बच्चों से होने वाले अपराध से कैसे सुरक्षित उनको बचाया जाए उनका मार्गदर्शन कैसे करना है। इस पर प्रशिक्षण दिया गया।

सभी संकुल समन्वयक के मार्गदर्शन में राजापारा विद्यालय परिसर में मुनगा,पपीता एवम अन्य फलदार वृक्ष का रोपण किया गया जो किचन गार्डन को बढ़ावा देने की दिशा में एक कदम है। प्रशिक्षण के दौरान अतिथि व्याख्यान के लिए बी आर सी अजय चौबे, डाइट व्यख्याता श्री आर बी चौहान उपस्थित होकर मार्गदर्शन किया। उपस्थित शिक्षकों को विद्यालय में खतरे को रेखांकित किया गया। संकुल समन्वयक .नेलसन जॉन लकड़ा ने आकाशीय बिजली से कैसे बचाव करना है इस पर जानकारी साझा किए ….
■ वज्रपात से बचने हेतु कुछ सरल सुरक्षा उपाय निम्न हैं…
■ जब आप घर के बाहर हों :-
● बिजली से संचालित उपकरणों से दूर रहें, तार वाले टेलीफोन का उपयोग ना करें।
● ऐसी वस्तुए है जो बिजली की सुचालक है उनसे दूर रहे, धातु से बने पाइप, नल, फव्वारा, वाशबेसिन आदि के संपर्क से दूर रहें।
● कपड़े सुखाने के लिए तार का प्रयोग न कर जूट या सुत की रस्सी का प्रयोग करें।
● खिड़किया, दरवाजे, बरामदे और छत से दूर रहें।
■ जब आप घर के भीतर हों :-
● ऊंचे वृक्ष बिजली को आकर्षित करते हैं, कृपया उनके नीचे न खड़े रहें। ऊंची इमारतों वाले क्षेत्र में आश्रय न लें। समूह में न खड़े रहें, बल्कि अलग-अलग हो जाएँ।
● किसी पक्के मकान में आश्रय लेना बेहतर है। सफर के दौरान अपने वाहन में ही बने रहें। मजबूत छत वाले वाहन में रहें, खुली छत वाले वाहन की सवारी ना करें।
● बाहर रहने पर धातु से बनी वस्तुओं का उपयोग न करें। बाइक, बिजली या टेलीफोन का खम्भा, तार की बाड़, मशीन आदि से दूर रहें।
● तालाब और जलाशयों से दूर रहें, यदि आप पानी के भीतर है अथवा किसी नाव में है तो तुरंत बाहर आ जाएँ।
● बारिश के समय धातु के डंडे वाले छाते का उपयोग ना करें।
■ जब आप खेत खलिहान में काम कर रहे हैं:-
● गीले खेतों में हल चलाते, रोपनी या अन्य कार्य कर रहें किसान तथा मजदूर या तालाब में कार्य कर रहे व्यक्ति तुरंत सूखे एवं सुरक्षित स्थान पर जाएं।
● धातु से बने कृषि यंत्र, डंडा आदि से अपने को दूर कर लें।
■ किसी सुरक्षित स्थान में शरण ले पाने में असमर्थ हों:-
● जहां हैं वहीं रहें, हो सके तो पैरों के नीचे सूखी चीजें जैसे- लकड़ी, प्लास्टिक,बोरा या सूखे पत्ते रख लें।
● जमीन पर कदापि न लेटें।
● दोनों पैरों को आपस में सटा लें एवं दोनों हाथों को घुटनों पर रखकर अपने सिर को जमीन की तरफ यथासंभव झुका लें तथा सिर को जमीन से न छुआयें।
■ जब आप जंगल में हो :-
● बौने एवं घने पेड़ों की शरण में चले जाएं।
प्रत्येक द्वितीय तल से अधिक भवनों में वज्रपात से बचाव के लिए ताड़ित रोधक अवश्य लगाएं।
इस प्रशिक्षण को सफल बनाने में मास्टर ट्रेनर
1.श्रीमती रेखा भगत (शिक्षक)2.सरोजनी डाहीरे (सहायक शिक्षक)3.मनीषा पांडे(सहायक शिक्षक)
4.ज्योति सिन्हा(शिक्षक) 5.अभिषेक अंबास्ट(सहायक शिक्षक) 6.जयब्रत सिंह पैंकरा(सहायक शिक्षक) 7.नेलसन जॉन लकड़ा(शिक्षक)

8. प्रहलाद सिदार(सहायक शिक्षक) का कर्मठ सहयोग रहा।

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