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ईसा मसीह थे हिंदू…. स्वामी निश्चलानंद सरस्वती बोले-वैष्णव सम्प्रदाय के थे अनुयायी, 10 साल भारत में रहे..

रायपुर 29 अक्टूबर 2022। श्रीमजगदगुरु पुरी शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती जी महाराज अपने दो दिवसीय रायपुर प्रवास में हैं । शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती (Shankaracharya Swami Nischalananda Saraswati) ने एक ऐसा बयान दिया है. जिसके बाद उनके बयान की चर्चा हर जगह हो रही है। दरअसल निश्चलानंद सरस्वती ने दावा किया है कि ईसा मसीह हिन्दू (Jesus Christ was Hindu) थे। ईसा मसीह के हिन्दू  होने का दावा करते हुए निश्चलानंद सरस्वती ने कहा कि विदेश में ईसा मसीह की वैष्णव तिलक लगाए हुए प्रतिमा है। निश्चलानंद सरस्वती ने दावा किया, कि 10 वर्षों तक ईसा मसीह भारत में रहे, जिसमें 3 वर्ष पूरी में बिताये, पूरी के शंकराचार्य से उनका सम्पर्क था वैष्णव सिद्धांत के अनुयायी थे ईसा मसीह।

ईसा मसीह 10 वर्षों तक भारत में रहे थे
बता दें कि उन्होंने कहा कि 10 वर्षों तक ईसा मसीह भारत (Jesus Christ India for 10 years) में रहे थे.जिसमें से 3 वर्ष उन्होंने ओडिशा के पुरी में बिताए थे. उन्होंने कहा कि पूरी के शंकराचार्य से उनका सम्पर्क था और ईसा मसीह वैष्णव सम्प्रदाय के अनुयायी थे। आज शनिवार श्री सुदर्शन संस्थान (शंकराचार्य आश्रम) आयोजित प्रेस वार्ता में शंकराचार्य जी ने पत्रकारों से बातचीत के में कई बड़े बयान दिए उन्होंने एक सवाल के जवाब में बताया कि हिंदुओं को आरक्षण के नाम पर अल्पसंख्यक बनाए जाने की विधा चल रही है । उन्होंने राजनेताओं को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि आरक्षण के नाम पर हिंदुओं को ठगने का प्रयास किया जा रहा है ।

एक सवाल सेकुलर शब्द को रखना चाहिए या हटा देना चाहिए? पर श्री शंकराचार्य महाराज के बताया कि कहा कि सेकुलर का अर्थ धर्मनिरपेक्ष है, मेरे प्रश्न का उत्तर कोई दे दे ,मैं बहुत प्रसन्न हो जाऊंगा। कोई वस्तु या व्यक्ति बताइए जो धर्मनिरपेक्ष हो। है क्या ? योग दर्शन का एक सूत्र है “शब्द ज्ञान नुपाती वस्तुशून्यो विकल्प:” बंध्यापुत्र, खरगोश के सिंग मात्र शब्द होते हैं इसका कोई अर्थ नहीं होता। इसी प्रकार धर्मनिरपेक्ष एक शब्द है। कोई व्यक्ति या वस्तु धर्मनिरपेक्ष नहीं है। प्यासे व्यक्ति की पानी पीने में प्रीति प्रवृत्ति क्यों होती है क्योंकि पानी अपने गुण धर्म का त्याग नहीं करेगा। सर्दी में ढिठुरता व्यक्ति आग क्यों तापना चाहता है क्योंकि आग अपने गुण धर्म का त्याग नहीं करती। हर व्यक्ति की प्रवृत्ति और निवृत्ति का नियामक धर्म ही है। कान अगर धर्मनिरपेक्ष हो जाए तो बहरे हो जाएं, आंख अगर धर्मनिरपेक्ष हो जाए तो अंधे हो जाएं, वाणी अगर धर्मनिरपेक्ष हो जाए तो गूंगे हो जाएं। हर व्यक्ति की प्रवृत्ति और निवृत्ति का नियामक धर्म ही है।

जब सवाल उठे की एक वर्ग विशेष भगवान को नहीं मानता प्रकृति को पूजता है इस बात पर टिप्पणी करते हुए शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद जी महाराज ने कहा कि प्रकृति के पूजक हैं प्रकृति की परिभाषा उनको आती है क्या ? वे अपने को हिन्दू नहीं मान रहे मनुष्य तो मान रहे हैं न ? प्राणी तो मान रहे हैं न ? अगर मनुष्य मान रहे हैं तो मानवोचित शील कहा से लाएंगे ? इसके लिए आखिर में उन्हें हिन्दू धर्म अपनाना ही होगा ।

गोवर्धनमठ पुरीपीठ के जगद्गुरु शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती महाराज ने साईं बाबा को भगवान मानने से इनकार कर दिया है, शंकराचार्य का कहना है कि वे बाजार और व्यापार से प्रभावित है । उन्होंने कहा कि हिंदू धर्म ही सनातन धर्म है और जो लोग आज अलग-अलग धर्मों की बात कर रहे हैं उनका मूल धर्म सनातन ही है ।

शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद की नियुक्ति पर टिप्पणी

शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती ने द्वारिका पीठ के शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद को धर्माचार्य मानने से भी इंकार कर दिया, उन्होंने पूछा कि धर्माचार्य की परिभाषा क्या होती है ?

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