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बेटी को आईएएस अफसर बनाने के लिए मां ने छोड़ी नौकरी, फिर बेटी ने ऐसे किया एग्जाम पास….

नई दिल्ली 1 नवंबर 2022: IAS देश की सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक है। इसे पास करने के लिए कैंडिडेट्स दिन रात मेहनत करते हैं। सबकी अपनी अपनी अलग स्ट्रेटजी होती है। इसमें कैंडिडेट्स अपने सब्जेक्ट्स के मुताबिक अपनी पढ़ाई की प्लानिंग करते हैं।

UPSC सिविल सेवा परीक्षा 2020 में दूसरा स्थान मध्य प्रदेश की जागृति अवस्थी ने हासिल किया। जागृति मौलाना आज़ाद राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (MANIT) से एक इंजीनियर हैं। वह भारत हेवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड (भेल) में काम करती थीं, लेकिन जिला कलेक्टर बनने और सामाजिक उत्थान की दिशा में काम करने के अपने बचपन के सपने को पूरा करने के लिए उन्होंने नौकरी छोड़ दी।

जागृति ने जब पहली बार यूपीएससी की परीक्षा दी तो उनकी स्ट्रैटजी काम नहीं आई। वे प्री भी पास नहीं कर सकीं। रिजल्ट आने के बाद निराश होने की बजाय उन्होंने दूसरी स्ट्रैटजी और अधिक मेहनत पर फोकस किया। जिसका नतीजा उन्हें दूसरी प्रयास में दिखा।

जागृति इस एग्जाम को क्वालिफाई करने के लिए हर दिन 12 से 14 की पढ़ाई करती थीं। उन्होंने वीक सेक्शन पर फोकस किया और ज्यादा से ज्यादा सिलेबस को कवर करने का प्लान बनाया। परीक्षा पास आने पर उन्होंने अपनी पढ़ाई के घंटें को और बढ़ाया और बाकी चीजों से ध्यान हटाकर मॉक टेस्ट और रिवीजन पर फोकस किया।

जागृति अवस्थी ने दिल्ली की एक कोचिंग से तैयारी भी शुरू की लेकिन लॉकडाउन की वजह से उन्हें अपने घर भोपाल वापस आना पड़ा। उनकी फैमिली में माता-पिता के अलावा एक भाई भी है। जागृति के पिता एससी अवस्थी होमियोपैथ के डॉक्टर हैं और मां स्कूल टीचर थीं। बेटी के सपने पूरे हो सके, इसके लिए मां ने जॉब छोड़ दी और बेटी की तैयारी में मदद की।

जब तक जागृति की पढ़ाई चलती रही, घर में न टीवी चलते थे और ना ही कुछ और। पैरेंट्स ने बेटी का हौसला बढ़ाया और हर कदम पर साथ दिया। इधर जागृति भी अपनी स्ट्रैटजी के अनुसार पढ़ाई कर रही थीं। इसका नतीजा रहा कि जब दूसरे प्रयास में एग्जाम में शामिल हुईं तो टॉपर बनकर निकलीं। उनकी ऑल इंडिया रैंक 2 थी।

साल 2019 में जागृति ने अफसर बनने के सपने को पूरा करने की ठान ली और दिल्ली के एक कोचिंग संस्थान में एडमिशन ले लिया, हालांकि कोरोना संकट और लॉकडाउन के दौरान उन्हें भोपाल लौटना पड़ा, लेकिन उनकी पढ़ाई नहीं रुकी। जागृति ने ऑनलाइन क्लासेज कीं।

आईएएस बनने के लिए जागृति ने इंजीनियरिंग छोड़ी तो उनके माता पिता ने भी बहुत कुछ पीछे छोड़ दिया। मां ने बेटी की मदद के लिए टीचर की नौकरी छोड़ दी। घर पर चार साल से टीवी को ऑन भी नहीं किया गया। ये सारे बलिदान जागृति को आगे बढ़ने की प्रेरणा देते रहे। पहले प्रयास में जागृति प्रीलिम्स भी पास नहीं हो सकी थीं लेकिन उन्होंने दृढ़ निश्चय किया और दूसरे प्रयास में टॉपर बन गईं।

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