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हाईकोर्ट ने कर्मचारी के खिलाफ कार्रवाई मामले में दिया बड़ा आदेश, आपराधिक मामला व विभागीय जांच साथ नहीं चल सकते, दिया स्टे

रायपुर 14 अक्टूबर 2023। किसी भी कर्मचारी के खिलाफ आपराधिक मामला एवं विभागीय जांच एक साथ नहीं चल सकते। हाईकोर्ट ने कांस्टेबल के खिलाफ विभाग की तरफ से कार्रवाई के आदेश पर रोक लगा दी है। दरअसल रमन नगर, वार्ड नं. 18. जांजगीर निवासी दुष्यन्त पाण्डेय, जिला- जांजगीर चाम्पा में पुलिस विभाग में कान्सटेबल के पद पर पदस्थ हैं। सेवा काल के दौरान दिनांक 01 जून 2022 को दुष्यन्त पाण्डेय के विरुद्ध पुलिस थाना-जांजगीर में भारतीय दण्ड विधान की धारा 306 एवं एसटी एससी एक्ट के तहत् अपराध पंजीबद्ध किया गया।

उसके पश्चात् पुलिस अधीक्षक (एस.पी.) जांजगीर-चाम्पा द्वारा दुष्यन्त पाण्डेय के विरूद्ध आरोप पत्र जारी कर विभागीय जांच कार्यवाही प्रारंभ कर दी गई। उक्त विभागीय जांच कार्यवाही से क्षुब्ध होकर दुष्यन्त पाण्डेय द्वारा हाईकोर्ट अधिवक्ता अभिषेक पाण्डेय एवं दुर्गा मेहर के माध्यम से हाईकोर्ट बिलासपुर के समक्ष रिट याचिका दायर की गई। अधिवक्ता अभिषेक पाण्डेय एवं दुर्गा मेहर द्वारा हाईकोर्ट के समक्ष यह तर्क प्रस्तुत किया गया कि चुंकि याचिकाकर्ता के विरूद्ध जिन आरोपों पर अपराध पंजीबद्ध किया गया है।

उन्हीं समान आरोपों पर विभागीय जांच कार्यवाही संचालित की जा रही है एवं दोनों मामलों में कई अभियोजन साक्षी भी समान है। अतः माननीय सुप्रीम कोर्ट द्वारा पूर्व में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया विरूद्ध नीलम नाग एवं अन्य इसके साथ ही अविनाश सदाशिव भोसले विरुद्ध युनियन ऑफ इण्डिया एवं अन्य के प्रकरण में यह सिद्धान्त प्रतिपादित किया गया है कि यदि किसी शासकीय सेवक के विरूद्ध दर्ज आपराधिक मामले एवं विभागीय जांच कार्यवाही में अभियोजन साक्षी समान है तो उन अभियोजन साक्षियों का सर्वप्रथम आपराधिक मामले में बयान एवं परीक्षण किया जाना चाहिये।

अन्यथा आपराधिक कार्यवाही पूर्वाग्रह से ग्रसित एवं दूषित हो जाती है जो कि प्राकृतिक / नैसर्गिक न्याय नियम का घोर उल्लंघन है। उच्च न्यायालय, बिलासपुर द्वारा उक्त रिट याचिका की सुनवाई के पश्चात् रिट याचिका को स्वीकार कर याचिकाकर्ता के विरूद्ध चल रही विभागीय जांच कार्यवाही पर स्थगन (स्टे) कर दिया गया।

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