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NW न्यूज 24 स्पेशल : पुंदाग से नक्सली “दाग” हटा…जहां दशकों पैदल चलना भी था दूभर, मुख्यमंत्री के संकल्प ने बदल दी, उस इलाके की तस्वीर, अब नक्सली खौफ को मुंह चिढ़ा रही है ये चमचमाती सड़क

बलरामपुर 15 जनवरी 2023। सन्नाटे से भरे बियाबान में जहां दिन के उजाले में भी चलना रौंगटे खड़े कर देता था…आज उस सन्नाटे को चीरती हुई चमचमाती सड़क तैयार हो गयी है। मुख्यमंत्री की जन-जन तक विकास पहुंचाने की सोच पर विकास की ऐसी तस्वीर तैयार हुई है, कि देखकर आपको भी फक्र होगा। बलरामपुर के जिस पुंदाग को नक्सलियों का खूनी पंजा विरासत में मिला था, आज उस पुंदाग में विकास की इठलाती सड़क नासूर बने नक्सली खौफ को मुंह चिढ़ा रही है। सुनकर आपको हैरत जरूर होगी, लेकिन यही हकीकत है कि आजादी के 75 साल तक जो पुंदाग, विकास के नाम पर “दाग” के तौर पर दिख रहा था, उस पुंदाग में विकास पहुंच ही नहीं रही, चमचमाती सड़कों पर दौड़ भी रही है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने अपने चार साल के कार्यकाल में छोटे-छोटे हिस्से को मुख्यालय से जोड़ने की कवायद की है। फिर चाहे बात बस्तर के वीरानियों की हो या फिर सरगुजा के सन्नाटे की। सड़क उन क्षेत्रों में भी तैयार हो रही है, जहां तक पहुंचना भी नामुकीन कहा जाता था।

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने अपने कार्यकाल में सड़कों का जाल फैलाया है। अब बलराम के पुंदाग को ही देख लीजिये। पुंदाग को दशकों तक नक्सली खौफ के लिए जाना जाता था, अब उस सन्नाटे को चीरते हुए गाड़ियां गुजर रही है। याद कीजिये उस वक्त को, जब पुंदाग आना मानों सरहद पर सफर करने से भी ज्यादा खौफनाक माना जाता था, चुनाव तो यहां ऐसी चुनौती थी, कि बिना चौपर के मतदानकर्मियों को लाना ले जाना नामुकीन सा था, अब वहां विकास की बयार बहनी शुरू हो गयी है। छत्तीसगढ़ के मुखिया भूपेश बघेल की सोच को कलेक्टर दयाराम के. ने वाकई में जमीन पर सच कर दिखाया है। विपरीत परिस्थितियों के बाद भी जिला मुख्यालय से बिहड़ वनांचल और पहाड़ियों के बीच बसे इस गांव तक सड़क निर्माण कराकर ग्रामीणों को विकास की मुख्यधारा से जोड़ने का विशेष प्रयास किया गया हैं।

गौरतलब हैं कि छत्तीसगढ़ के कई इलाके आज भी नक्सल प्रभावित हैं। इन इलाकों में रहने वाले विशेष संरक्षित जनजाति के साथ ही आदिवासी परिवार लाल आतंक के साये में जीने को मजबूर हैं। कुछ ऐसी ही कहानी बलरामपुर जिला मुख्यालय से करीब 140 किलोमीटर की दूरी पर स्थित पुंदाग गांव की थी। इस गांव में संरक्षित जनजाति पहाड़ी कोरवाओं की आबादी 22 सौ के करीब है। बलरामपुर कलेक्टर विजय दयाराम के. बताते हैं कि छत्तीसगढ़ और झारखंड की सीमा पर बसे इस गांव की कनेक्टिविटी आजादी के 75 साल बाद भी जिला मुख्यालय से नहीं हो पायी थी। साल 2014 में बीजेपी शासनकाल में प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना अंतर्गत ग्राम पुंदाग तक सड़क निर्माण का कार्य स्वीकृति किया गया। लेकिन वर्ष 2015 में सड़क का काम शुरू होते ही गाड़ियों में आग लगा दिया गया, जिसके बाद ठेकेदार ने काम बंद कर दिया।


वर्ष 2017 में सरकार ने दोबारा सड़क का काम शुरू कराया। लेकिन माओवादियों ने दोबारा दहशत फैलाने के लिए सड़क निर्माण में लगे इंजीनियर का अपहरण कर लिया गया। जिससे दोबारा सड़क निर्माण का काम बंद हो गया। प्रदेश में भूपेश बघेल की सरकार बनने के बाद सूबे के मुखिया ने नक्सल आतंक को खत्म करने विशेष अभियान चलाया गया। इसके साथ ही नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को विकास की मुख्यधारा से जोड़ने सड़को के निर्माण पर विशेष जोर दिया गया। बलरामपुर कलेक्टर विजय दयाराम के. बताते हैं कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के निर्देश पर विपरीत परिस्थितियों के बाद भी नक्सल प्रभावित पुंदाग तक सड़क बनाने का काम शुरू किया गया, जो यहां के लोगों के लिए आज सपने के सच होने जैसा है।
पुंदाग गांव में रहने वाले पहाड़ी कोरवा जनजाति के अमावस से जब सड़क के संबंध में जानकारी चाही गयी, तो उसने बताया कि उसकी उम्र 40 साल है, लेकिन वह आज तक जिला मुख्यालय बलरामपुर नहीं गया। कारण पूछने पर कहते हैं कि यहां से बलरामपुर जाने के लिये सड़क ही नहीं थी। हमारे गांव के लोग काम पड़ने पर झारखंड के रास्ते छत्तीसगढ़ आना-जाना करते थे। कभी कोई बीमार पड़ता था, तो परेशानी और भी ज्यादा बड़ जाती थी। गांव के ग्रामीण बताते हैं कि सड़क बन जाने से अब बच्चों को बड़ा फायदा होगा, वे उच्च शिक्षा के लिये गांव से बाहर जा पायेंगे।


भौगोलिक परिस्थिति और नक्सल समस्या थी बड़ी बाधा

पुंदाग जाने के लिये घने जंगल और कई घाट पड़ते हैं। दुर्गम इलाका होने की वजह से यहां सड़क बनाना आसान नहीं था। बीच रास्ते में कई सारी चट्टानें और नाले बड़ी बाधा थे। इसके साथ ही ये इलाका अति नक्सल प्रभावित था। इस गांव से लगे झारखंड सीमा पर बूढ़ापहाड़ इलाका है, जिसे नक्सलियों का गढ़ माना जाता था। राज्य बनने के बाद से इस इलाके में करीब 435 नक्सल घटनायें हुईं, लेकिन पिछले 4 वर्षों की बात करें तो मात्र कुछ छुटपुट घटनाएं ही हुई, साथ ही एक भी जान-माल का नुकसान नहीं हुआ है। पुलिस ने इस क्षेत्र में सत्त सर्चिंग से नक्सलियों को करीब-करीब खदेड़ दिया है ।


नक्सलियों से निपटने खोले 4 कैंप

पूर्व में नक्सली घटनाओं के चलते इस क्षेत्र में विकास कार्यों की रफ्तार धीमी हो गयी थी।लेकिन प्रदेश में सत्ता बदलने और सूबे के मुखिया भूपेश बघेल क दिशा निर्देश का ही असर रहा कि पिछले 4 वर्षों में यहां 24 किलोमीटर में 4 कैंप स्थापित किये गये हैं। ये कैंप सबाग, बंदरचुआं, भुताही और पुंदाग में लगाये गये हैं। इन कैंप को खोलने में राज्य सरकार ने पूरी सहायता उपलब्ध करायी गयी। कैंप खुलने का नतीजा ये हुआ कि यहां नक्सली घटनांए शून्य की ओर हैं और इलाके में विकास कार्य तेजी से शुरू हो रहा है।


विकास से जोड़ने ग्रामीणों को सभी सुविधाएं

कलेक्टर विजय दयाराम के. ने बताया कि इस गांव में शिक्षा, स्वास्थ्य और अन्य योजनाएं पहुंचाने के लिये सबसे जरूरी सड़क निर्माण करना था। जिसे जिला प्रशासन ने दुर्गम परिस्थितियों के बावजूद बंदरचुआं से भुताही तक करीब 6 किलोमीटर सड़क का काम पूरा किया गया। वहीं भुताही से पुंदाग तक सड़क निर्माण का काम तेजी से चल रहा है। इसके साथ ही भुताही में मोबाइल टॉवर और ट्रांसफॉर्मर भी लगा दिये गये हैं। जिस इलाके में फोन पर बात करना मुश्किल था, वहां मोबाइल टावर लगने से ग्रामीण 4जी सेवा का उपयोग कर रहे हैं। पुंदाग गांव में इसी माह सब हेल्थ सेंटर भी शुरू होने जा रहा है और स्कूल भवन का रिनोवेशन किया जा रहा है ।


पुंदाग में राशन दुकान, बिजली पोल और धान खरीदी केंद्र शुरू होंगे जल्द…..

बलरामपुर जिला के अंतिम छोर में बसे इस गांव के लोग सड़क ना होने से अब तक राशन लेने के लिये भुताही तक आते थे। लेकिन सड़क बनने के बाद प्रशासन द्वारा इस गांव में ही राशन पहुंचाना शुरू कर दिया जायेगा। यहां के किसान सड़क ना होने की वजह से धान खरीदी केंद्र सामरी में धान बेचने जाते थे। लेकिन अब यहां धान खरीदी केंद्र खोलने का प्रस्ताव भी भेज दिया गया है। इसके साथ ही सोलर लाइट से रौशन इस गांव में जल्द ही जिला प्रशासन द्वारा बिजली के खंभे लगाने का काम शुरू किया जा रहा हैं, जिससे यहां परमानेंट बिजली की सुविधा बहाल हो जायेगी

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