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Makar Sankranti 2023: मकर संक्रांति पर क्या है खिचड़ी और का महत्व, जानिए क्या है धार्मिक और वैज्ञानिक महत्व

रायपुर 15 जनवरी 2023: मकर संक्रांति का त्योहार आन वाला है। इस बार 15 जनवरी 2023 यानी आज मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाएगा। सूर्य देव धनु राशि से निकलकर मकर राशि मे प्रवेश करते हैं तब इसे सूर्य देव का संक्रमण काल कहा जाता है, इसलिए इस दिन को मकर संक्रांति के नाम से जाना जाता है। कुछ जगहो पर इसे खिचड़ी के नाम से भी जाना जाता है। इसके अलावा इसी दिन महाभारत के समय भीष्म पितामह ने सूर्य उत्तरायण होने पर ही अपने शरीर का त्याग किया था, इसी दिन उनका श्राद्ध कर्म तर्पण किया गया था। मकर संक्रांति के दिन खिचड़ी व दही-चूड़ा खाने और दान करने का विशेष महत्व है।

मकर संक्रांति 15 जनवरी 2023 को ही मनाई जाएगी। मकर संक्रांति के दिन पुण्यकाल और महापुण्यकाल में स्नान-दान बेहद फलदायी माना जाता है। इस बार पुण्य काल मुहूर्त 15 जनवरी को सुबह 06 बजकर 47 मिनट पर शुरू होगा और इसका समापन शाम 05 बजकर 40 मिनट पर होगा। वहीं महापुण्य काल सुबह 07 बजकर 15 मिनट से सुबह 09 बजकर 06 मिनट तक रहेगा।

खिचड़ी व दही-चूड़ा खाने का धार्मिक कारण
मकर संक्रांति के दिन खिचड़ी व दही-चूड़ा खाने का विशेष महत्व है। इस दिन खिचड़ी के साथ-साथ दही-चूड़ा भी खाया जाता है। धार्मिक दृष्टिकोण की बात करें तो इस दिन ये सभी चीजें खाना शुभ होता है। मकर संक्रांति के त्योहार से पहले ही सितम्बर, अक्टूबर में धान काटे जाते हैं और बाजार में नए चावल बिकने लगते हैं। यही वजह है कि अन्न देवता की पूजते हुए नए चावल की खिचड़ी बना कर इस दिन खाया जाता है। इसे पहले सूरज देव को भोग के रूप में दिया जाता है फिर खुद प्रसाद के रूप में खाया जाता है। इस दिन सूर्य देव को भोग लगा कर जल अर्पित करना शुभ माना जाता है।

खिचड़ी व दही-चूड़ा खाने का वैज्ञानिक कारण
मकर संक्रांति के दिन खिचड़ी और दही-चूड़ा खाने का एक खास वैज्ञानिक महत्व है। दही-चूड़ा पाचन तंत्र के लिए अच्छा भोजन होता है। इससे पाचन सही होता है। इसलिए इसे भी मकर संक्रांति के दिन खाया जाता है। खिचड़ी में कई तरह की सब्जियां होती हैं जो शरीर को पोषण देती हैं। इसके साथ ही इसमें नए चावल होते हैं जिन्हें खाने के बाद पेट भारी नहीं लगता है। ऐसे में मकर संक्रांति के दिन ये दोनों ही भोजन खाने से हमारा पाचन तंत्र सही होता है। इसलिए इन्हें खास तौर पर इस दिन ग्रहण किया जाता है। कहते हैं कि चूड़ा में फाइबर की मात्रा अधिक होती है जो पाचन के लिए बहुत लाभदायक होता है।

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