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NW न्यूज स्पेशल: मुख्यमंत्री की शहरी स्लम स्वास्थ्य योजना ग्रामीणों के लिए बनी सेहत की संजीवनी…50 लाख परिवारों को मिल रहा मुफ्त इलाज और सस्ती दवाईयां

रायपुर 20 अप्रैल 2023। शहरी स्लम स्वास्थ्य योजना गरीब परिवारों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है। 1 नवंबर 2020 को शुरू हुई इस योजना ने तीन साल से कम समय में ही लाखों परिवार तक अपनी पहुंच बनायी है। योजना के तहत शहरी क्षेत्र के स्लम बस्तियों में रहने वाले गरीब परिवारों को मुफ्त उपचार की सुविधा देती है। इस योजना के जरिये अब तक 46 लाख 23 हजार 554 लोगों को फ्री इलाज की सुविधा मिली है।

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की पहल पर शहरी स्लम स्वास्थ्य योजना के तहत अब पूरे राज्य के नगरीय क्षेत्रों के स्लम बस्तियों में चिकित्सक, पैरामेडिकल टीम, मेडिकल उपकरण एवं दवाओं से लैस 120 मोबाइल मेडिकल यूनिट पहुंचकर लोगों को स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध करा रही है। आंकड़ों की बात करें तो इस योजना के माध्यम से अब तक 11 लाख 35 हजार 511 मरीजों की पैथालॉजी टेस्ट किया जा चुका है। साथ ही 39 लाख 31 हजार 344 से अधिक मरीजों को निःशुल्क दवाएं भी दी गई हैं। नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग द्वारा संचालित इस योजना में अब तक राज्य के 169 नगरीय निकायों की स्लम बस्तियों में उपचार के लिए 60 हजार 872 कैम्प लगाएं जा चुके हैं।

14 नगर निगमों में चल रही योजना

आपको बता दें कि राज्य के 14 नगर निगम क्षेत्रों की स्लम बस्तियों में रहने वाले लोगों को स्वास्थ्य सुविधा मुहैया कराने के लिए मुख्यमंत्री शहरी स्लम स्वास्थ्य योजना के प्रथम चरण की शुरूआत 1 नवम्बर 2020 को हुई थी। इसके तहत 60 मोबाइल मेडिकल यूनिट द्वारा स्लम बस्तियों में जाकर लोगों का स्वास्थ्य परीक्षण और उपचार एवं दवा वितरण की शुरूआत की गई थी। 31 मार्च 2022 को इसका विस्तार पूरे राज्य के सभी नगरीय निकाय क्षेत्रों में किया गया तथा 60 और नई मोबाइल मेडिकल यूनिट शुरू की गई। आगामी दिनों में नई मोबाइल मेडिकल यूनिट की संख्या 150 हो जाएगी। जिससे शहरी क्षेत्र के गरीबों और जरूरतमंद लोगों को उनके घर के पास ही स्वास्थ्य सुविधा मिलेगी।

शहरी स्लम स्वास्थ्य योजना बना वरदान

मुख्यमंत्री शहरी स्लम स्वास्थ्य योजना से बीमार, रोग ग्रस्त मरीजों के चेहरे पर खुशी लौटने लगी है। मोबाईल यूनिट चिकित्सक दल नगरीय क्षेत्रों की स्लम बस्तियों में पहुंचकर जरूरतमंदों का निःशुल्क इलाज कर रहे हैं। इन बस्तियों में रहने वाले गरीब लोग जो कई कारणों से अपना स्वास्थ्य परीक्षण या इलाज कराने अस्पताल तक नहीं पहुंच पाते, जिसके कारण उनका बेहतर इलाज और उपचार या स्वास्थ्य परीक्षण नहीं हो पाता। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री ने इन गरीबों की पीड़ा को समझा और गरीबों का इलाज कराने उनकी बस्तियों में चिकित्सक पहुंचे ऐसी परिकल्पना की।

इलाज के साथ जांच की भी सुविधा

स्लम स्वास्थ्य योजना के तहत ना सिर्फ गरीबों का इलाज किया जाता है, बल्कि मरीजों की मुफ्त जांच भी होती है।  जरिए लोगों का खून जांच, थायराइड, मलेरिया, टाइफाइड, ईसीजी, ब्लड प्रेशर, पल्स, ऑक्सीमीटर के साथ अन्य जांच कुशल लैब टेक्नीशियन एवं अत्याधुनिक सुविधा वाली मशीनों से की जा रही है। मोबाईल मेडिकल यूनिट अंतर्गत लगने वाले कैम्प और स्वास्थ्य लाभ प्राप्त करने वालों की संख्या में इज़ाफ़ा हो रहा है। मरीज मोबाईल मेडिकल यूनिट के माध्यम से इलाज करा रहे हैं। वहीं धन्वंतरी जेनेरिक मेडिकल स्टोर को दवाइयों का ऑर्डर भी दिया जा रहा है। अब जिले के शहरी क्षेत्रों की झुग्गी बस्तियों में निवासरत लोगों की नियमित जांच, उपचार, दवा का लाभ और बेहतर एवं सरल तरीके से सुविधा मिल रही है। जिससे स्लम इलाकों में रहने वाले लोग ना सिर्फ इन मोबाईल मेडिकल यूनिट पर डॉक्टरों से अपना इलाज करा सकेंगे, साथ ही यहां से दवाइयां और कई ज़रूरी टेस्ट भी मुफ्त किए जा रहे है। अब जिले में स्लम बस्तियों के मरीजों को मुफ्त जांच, उपचार और दवा की सुविधा और बेहतर तरीके से मिल रही है। आधुनिक उपकरण से सुसज्जित मोबाईल मेडिकल यूनिट स्वास्थ्य सेवाएं देगी। मोबाईल मेडिकल यूनिट में 41 प्रकार के विभिन्न लैब टेस्ट किए जाते हैं। कैंप लगाकर डॉक्टर, लोगों की जांच कर रहे है। औसतन एक कैम्प में लगभग 75 मरीज मोबाईल यूनिट के जरिए लाभ ले रहे हैं।

स्वास्थ्य सुविधा में विस्तार की योजना

छत्तीसगढ़ में सरकार ने ग्रामीण क्षेत्रों में निजी अस्पताल खोलने की प्रक्रिया प्रारंभ कर दी है। इसमें सबसे महत्वपूर्ण बात है वह है स्वास्थ्य सेवा को उद्योग का दर्जा देने का फैसला। इसके तहत ग्रामीण क्षेत्रों में अस्पताल खोलने वाले डाक्टर या संस्थान को उद्योगों की तरह रियायतें दी जाएंगी।

संभवत: छत्तीसगढ़ देश का पहला राज्य है जिसने स्वास्थ्य सेवा को उद्योग का दर्जा देने का फैसला किया है। रियायत देने के लिए राज्य को भौगोलिक दृष्टि से चार भागों में बांटा जा रहा है। ए, बी, सी और डी कैटेगरी में चार भागों में ए यानी अच्छे शहरी क्षेत्र। बी यानी अर्धशहरी क्षेत्र, सी यानी बड़े ग्रामीण क्षेत्र और डी यानी दूरदराज के ग्रामीण इलाके। इनमें सबसे अधिक सरकारी रियायत और अनुदान डी इलाके में अस्पताल खोलने वालों को दिया जाएगा।

इसी प्रकार सी कैटेगरी के गांवों को रियायतें दी जाएंगी। बी और ए कैटेगरी के क्षेत्रों को अपेक्षाकृत अनुदान और रियायतें कम मिलेंगी। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के निर्देश पर उद्योग विभाग इसकी पूरी कार्ययोजना तैयार कर रहा है। इसके प्रथम चरण में राज्य में 50 अस्पताल खोले जाएंगे। इनमें दूरदराज के गांवों को प्राथमिकता दी जाएगी। ताकि ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध हो सकें।

हर गांव में 30 से 40 बिस्तरों का अस्पताल खोला जाएगा ताकि वहां बुनियादी सुविधाओं की कमी ना हो। प्रारंभिक योजना के अनुसार अस्पताल में एक बिस्तर का इंतजाम करने पर औसतन 10 लाख रुपए खर्च होते हैं। प्रथम चरण के दो हजार बिस्तरों के अस्पतालों की स्थापना पर करीब 200 करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे। कोरोना की पहली और दूसरी लहर में इसी का सबसे अधिक संकट ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी ही थी।उल्लेखनीय है कि नीति आयोग भी लगातार सरकार से कहता रहा है कि स्वास्थ्य सेवा को उद्योग का दर्जा देकर देश में स्वास्थ्य सुविधाओं को बढ़ावा दिया जाए। पर इस पर अब तक केंद्र सरकार ने कोई फैसला नहीं किया है। छत्तीसगढ़ में चूंकि बड़े शहरों में ही स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध हैं, इसलिए सरकार ने यहां के ग्रामीण क्षेत्रों में अस्पताल खोलने को प्राथमिकता दी है।

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