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कोरोना से ज्यादा पिछले साल आत्महत्या कर लोगों ने दी जान….मौत के चौकाने वाले आंकड़े….लव-अफेयर में भी इतने लड़कों की हुई मौत, लॉकडाउन के बावजूद एक्सीडेंट में लाखों….

नई दिल्ली 3 नवंबर 2021। साल 2020-2021 मौतों का साल रहा। कोरोना ने कई घर को तबाह किया, कई परिवार को बर्बाद किया, लेकिन कोरोना से भी ज्यादा किसी एक और चीज़ ने मौत के दर्द को गहरा किया तो वो थी आत्महत्या …..। कोरोना से मौत के आंकड़ों आंकड़ो के बीच आत्महत्या के एक बेहद चौकाने वाले आंकड़े सामने आये हैं। NCRB के आंकड़ों के मुताबिक साल 2020 में जितनी मौत कोरोना से नहीं हुई, उससे कहीं ज्यादा जान लोगों की आत्महत्या की वजह से गयी।एनसीआरबी की रिपोर्ट के मुताबिक, देश में साल 2020 में ज्यादातर कोरोनाकाल के चलते बंद का ही माहौल था, लेकिन पिछले पांच सालों के मुकाबले ज्यादा लोगों ने आत्महत्या की. 2020 में देश में 1 लाख 53 हज़ार 52 लोगों ने सुसाइड किया, जबकि 2020 में कोरोना से 1 लाख 49 हज़ार मौत हुई थी।

आत्महत्या के ये आंकड़े पिछले 5 सालों में सबसे ज्यादा है। साल 2016 में 1 लाख 31 हजार, साल 2017 में एक लाख 29 हजार साल, साल 2018 में एक लाख 34 हजारऔर साल 2019 में एक लाख 39 हजार 123 लोगों ने आत्महत्या की, जबकि 2020 में ये आंकड़ा 1 लाख 53 हज़ार रहा। इसका सीधा मतलब यह भी है कि कोरोना काल में बंद के दौरान लोगो में ज्यादा तनाव था, जिसके चलते यह प्रतिशत पिछले 5 सालों के मुकाबले बढ गया.

NCRB के आंकड़ों के मुताबिक आत्महत्या करने वालों में ज्यादातर मज़दूर रहे, करीब 38 हज़ार मज़दूरों ने आत्महत्या की, जो सबसे ज्यादा थे, वहीं दूसरे नम्बर पर वो लोग थे, जो पहले किसी ना किसी ना किसी और बीमारी से ग्रसित थे, उनके आंकड़े 27 हज़ार के करीब थे। 2020 में महिलाओं की तुलना में पुरुषों ने ज्यादा जान दी। 71 फीसदी आत्महत्या करने वाले पुरुष थे। 12 हज़ार छात्र और 10 हज़ार किसानों ने भी पिछले साल आत्महत्या की। महिलाओं में 50 प्रतिशत उन महिलाओं ने खुदकुशी की, जो घरेलू काम करती थी।

18 साल से कम उम्र के बच्‍चों के आत्‍महत्‍या करने के प्रमुख कारण पारिवारिक समस्याएं भी रहीं. ऐसे कुल 4,006 मामले सामने आए. वहीं लव अफेयर्स के मामलों के चलते 1,337 बच्‍चों ने आत्‍महत्‍या की. इसके अलावा बीमारी के कारण 1,327 बच्‍चों ने मौत को चुना. कुछ बच्चों द्वारा आत्महत्या के पीछे वैचारिक कारण, बेरोजगारी, दिवालियापन, नपुंसकता या बांझपन और नशीली दवाओं का दुरुपयोग समेत अन्य कारण थे।

रिपोर्ट के मुताबिक, सड़क दुर्घटनाओं मे भारी कमी आई है और पिछले पांच सालों के मुकाबले सबसे कम लोगों की मौत सड़क और रेल क्रासिंग दुर्घटनाओं में हुईं. साल 2020 में कोरोना बंद के वावजूद 3 लाख 74 हजार 397 लोग इन दुर्घटनाओं मे मारे गए.

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