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“छत्तीसगढ़ी भाषा व स्थानीय बोली” को विषय के रूप में पाठ्यक्रम में शामिल करने की तैयारी शुरू, CM की घोषणा के बाद SCERT डायरेक्टर ने ली बैठक

रायपुर 17 अगस्त 2023। छत्तीसगढ में कक्षा 1 से कक्षा 5 तक के पाठ्यक्रम में छत्तीसगढ़ी भाषा एवं आदिवासी क्षेत्रों में स्थानीय बोली को एक विषय के रूप में सम्मिलित करने की तैयारी SCERT ने कर दी है। SCERT डायरेक्टर राजेश सिंह राणा ने इस संदर्भ में आज एक बैठक ली। आपको बता दें कि मुख्यमंत्री ने स्वतंत्रता दिवस पर इस बात का ऐलान किया था कि नये शैक्षणिक सत्र से कक्षा 1 से 5 तक के पाठ्यक्रम में छत्तीसगढ़ी भाषा एवं आदिवासी क्षेत्रों में स्थानीय बोली को एक विषय के रूप में सम्मिलित किया जायेगा।

आज की बैठक के दौरान परिषद् की उपसंचालक पुष्पा किस्पोट्टा, पाठ्यपुस्तक लेखन के प्रकोष्ठ प्रभारी वी.के. तिवारी, सहायक संचालक श्री सुशील राठोड़, सहायक प्राध्यापक, डॉ. जयभारती चंद्राकर, स० प्रकोष्ठ प्रभारी बहु भाषा शिक्षण, एस.के.तंबोली, व्याख्याता तथा अशासकीय संगठनों से श्री राधेश्याम थवाईत (अज़ीम प्रेमजी फाउंडेशन), रंधीर एवं प्रदीप (रूम टू रीड फाउंडेशन), संजय गुलाटी एवं मधुलिका झा (लैंग्वेज लर्निंग फाउंडेशन), रागिनी मेहरा(संपर्क फाउंडेशन) उपस्थित थे |


राजेश सिंह राणा ने मुख्यमंत्री की घोषणा से सभी को अवगत कराते हुए सभी NGOs से उनके द्वारा बहुभाषा शिक्षण के क्षेत्र में उनके गत अनुभव तथा वर्तमान में किए जा रहे कार्यों की संक्षिप्त जानकारी ली तथा FLN के भाषागत लक्ष्यों, सीखने के प्रतिफलों को ध्यान में रखते हुए एससीईआरटी की अकादमिक टीम के साथ सहयोग करते हुए कक्षा 1 से कक्षा 5 तक सर्वप्रथम छत्तीसगढ़ी भाषा(रायपुर एवं बिलासपुर संभाग), सरगुजिहा, हल्बी, गोड़ी, सादरी, कुडुख स्थानीय भाषाओं में 15 सितम्बर तक प्रथम पांडुलिपि तैयार कर प्रस्तुत करने का आग्रह किया है | NGOs ने कक्षा 1 से 3 तक इस क्षेत्र में कार्य किए जाने वाली स्थानीय भाषाओं में पाठ्य सामग्री निर्माण कर, दी गई समय सीमा में प्रस्तुत करने का भरोसा दिया है | इसे स्थानीय भाषाओँ के लिए पूर्व तैयार की गई समितियों के मध्य आगामी 15 सितम्बर को चर्चा हेतु रखा जाएगा |

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