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IFS अफसर पर दूसरी बार पेनाल्टी: सूचना आयोग की दो टूक, ‘ जानकारी नहीं देने की धारा लिखना पर्याप्त नहीं, जन सूचना अधिकारी को कारण भी बताना पड़ेगा’

रायपुर 15 सितम्बर 2022। छत्तीसगढ़ राज्य सूचना आयोग अशोक अग्रवाल ने एक IFS अधिकारी पर सूचना का अधिकार के तहत दूसरी बार रु. 25000 की पेनल्टी लगाई है।

क्या है मामला

महासमुंद्र वन मंडल में हाथियों के विचरण क्षेत्र से संबंधित जानकारी वाइल्डलाइफ SOS नामक NGO ने जमा की थी। रायपुर के आवेदक नितिन सिंघवी ने वह जानकारी सूचना के अधिकार के मांगी थी।

जन सूचना अधिकारी ने सूचना का अधिकार अधिनियम की धारा 8(1)(h) का हवाला देते हुए जानकारी देने से मना कर दिया कि हाथियों के विचरण क्षेत्र से संबंधित जानकारी देने से अपराधियों के अन्वेक्षण, पकड़े जाने या अभियोजन की क्रिया में अड़चन पड़ेगी। इसके बाद प्रथम अपील दायर की गई। प्रथम अपील अधिकारी एसएसडी बडगैयया ने जन सूचना अधिकारी के निर्णय को सही बताया, तब आवेदक ने द्वितीय अपील दायर की।

द्वितीय अपील की सुनवाई के दौरान आवेदक ने आयोग को बताया की आकाशवाणी से प्रतिदिन शाम 5.55 पर छत्तीसगढ़ के सभी संबंधित जिलों में विचरण कर रहे हाथियों की संख्या की जानकारी का प्रसारण किया जाता है, यहां तक कि कितने हाथी, वन विभाग के किस कंपार्टमेंट में विचरण कर रहे हैं, यह भी बताया जाता है। आयोग के समक्ष आकाशवाणी द्वारा प्रस्तुत जानकारी का ऑडियो भी प्रस्तुत किया गया, जिसे आयोग ने सुना।

आवेदक ने तर्क रखा कि वे हाथियों के विचरण की पुरानी जानकारी मांग रहे थे, यहाँ तो हाथियों के प्रति दिन के विचरण की ताजा जानकारी प्रसारित की जाही है। इस पर आयोग ने जन सूचना अधिकारी से पूछा कि आवेदक को हाथियों के विचरण क्षेत्र से संबंधित जानकारी देने से किस प्रकार अपराधियों के अन्वेक्षण, पकड़े जाने या अभियोजन की क्रिया में अड़चन आएगीॽ जन सूचना अधिकारी यह स्पष्ट नहीं कर पाए कि किस प्रकार चाही गई जानकारी देने से अपराधियों के अन्वेक्षण, पकड़े जाने या अभियोजन की क्रिया में अड़चन आएगी। आयोग ने कहा कि अधिनियम की धारा लिखना पर्याप्त नहीं है बल्कि जन सूचना अधिकारी की जिम्मेदारी है कि वह स्पष्ट रूप से अंकित करेंगे की सूचना देने से अपराधियों के अन्वेषण, पकड़े जाने या अभियोजन की क्रिया में किस तरह अड़चन पड़ेगी। आयोग ने तत्कालीन जन सूचना अधिकारी मयंक पांडे वर्तमान पदस्थापना वनमंडल अधिकारी बालोद पर आवेदन का विधि सम्मत निराकरण नहीं करने के कारण रुपए 25000 की पेनल्टी लगाकर आदेशित किया है कि आवेदक को चाही गई सूचना निशुल्क प्रदान कर सूचना की लागत दोषी अधिकारी से वसूल की जावे। गौतलब है की मयंक पण्डे पर इससे पूर्व भी रुपए 25000 की पेनल्टी सूचना आयोग द्वारा लगाई गई है।

बडगैय्या के विरुद्ध तीसरी अनुशासनात्मक कार्यवाही की अनुशंसा

आयोग ने एसएसडी बडगैयया तत्कालीन प्रथम अपील अधिकारी मुख्य वन संरक्षक रायपुर के विरुद्ध अपील का नियमानुसार निराकरण नहीं किये जाने के कारण अनुशासनात्मक कार्यवाही की अनुशंसा प्रमुख सचिव छत्तीसगढ़ शासन वन विभाग से की है। गौरतलब है कि एसएसडी बडगैयया इसी अप्रैल में सेवानिवृत्त हो गए है। गौर तलब है कि पूर्व में भी दो प्रकरणों में एसएसडी बडगैयया के विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही की अनुशंसा प्रमुख सचिव छत्तीसगढ़ शासन वन विभाग से सूचना आयोग ने की है।

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