ब्यूरोक्रेट्स

…तिरंगे में लिपटे बेटे को रूंधे गले से मां ने कहा “जय हिंद साहब”……जांबाज बेटे को मां की ऐसी विदाई पर रो पड़ा पूरा रायगढ़….पिता ने भी किया अपने लाल को सलाम

रायगढ़ 15 नवंबर 2021। …दोपहर 12.35 पर जैसे ही दहाड़ता हुआ वायुसेना का प्लेन रायगढ़ की आसमान में मंडराया….हर किसी को मालूम पड़ गया रायगढ़ का फौलाद बेटा अपनी जमीं पर बस उतरने ही वाला है। उधर आसमान में वायुसेना का प्लेन चिघाड़ता हुआ सारेजहां को बता रहा था…तो इधर जमीं पर टकटकी बांधे लोगों के नारो से पूरी फिजां गूंज रही थी। …भीड़ कह रही थी….देखो-देखो कौन आया…शेर आया..शेर आया। वायुसेना का प्लेन जिंदल एयरस्ट्रीप पर थमा, तो कुछ पल की खामोशी के बाद असम राइफल्स के जवान उतरे…कांधे पर कमांडर की तिरंगे में लिपटी ताबूत थी…पर सीना तना…मस्तक ऊंचा और बूट की मध्धिम आवाज ये अहसास करा रही थी…इस लाल का स्वागत करो…दशकों में किसी मां के कोख से ऐसा जांबाज जन्म लेता है… पिता की गोद में ऐसा फौलाद पलता है।

सबसे आगे की कर्नल विप्लव की ताबूत…फिर अंजुला की और उसके बाद मासूम अबीर…कौन था जिसकी आंखें डबडबायी नहीं थी… कौन था जिसका कलेजा मुंह को नहीं आ गया था…..फिर भी ना जाने वो कैसा अजब अहसास था, जो गर्व से सीना चौड़ा किये जा रहा था। शव को कांधा देने एसपी आये थे, कलेक्टर पहुंचे थे… मंत्री, नेता, सांसद सब आये थे….सभी के लब्ज सिले थे..और आंखे डबडबायी हुई थी। कालीन बिछी थी… फूल सजे थे…मालाएं बंधी थी… होती भी क्यों ना, सालों में कोई एक ऐसा जांबाज जो जन्म लेता है…दशकों में कोई जांबाज ऐसी शहादत जो पाता है…आज पूरा रायगढ़ फक्र कर रहा था विप्लव की शहादत पर… पूरा छत्तीसगढ़ गर्व कर रहा है इस वीर सपूत पर।

शनिवार की सुबह उग्रवादियों ने कर्नल विप्लव के काफिले पर हमला बोला, तो इस वीर ने एक पल भी जान की परवाह नहीं की…..गाड़ी से कूदकर मोर्चा संभाला, फायर खोला ही था कि कई गोलियां सीने में आ धंसी, लेकिन जब तक जान थी, लड़ता रहा और फिर वीरगति को पा गया। आज इस वीर को सलाम करने पूरा रायगढ़ उमड़ पड़ा था, एयरस्ट्रीप से लेकर शहीद के घर तक मानों लोगों की भीड़ टूट पड़ी थी। चप्पे-चप्पे पर नारे गूंज रहे थे…जब तक सूरज चांद रहेगा विप्लव तेरा नाम रहेगा… त्रिपाठी परिवार का ये बलिदान याद रखेगा हिंदुस्तान… विप्लव भैया अमर रहे। जुबान मानों थकने का मानों नाम ही नहीं ले रहा था… सेकंड भर की शांति नहीं होती की नारों से पूरा आसमान गूंजने लगता।

शनिवार को जब से बेटे की शहादत की खबर पत्रकार पिता सुभाष त्रिपाठी को मिली थी, उनकी आंखे पथरा गयी थी, अंदर ही अंदर बेटे को खो देने का गम जरूर था, लेकिन एक शहीद पिता की अहमियत उन्हे रोने नहीं दे रही थी। एयर स्ट्रीप से सीधे शव घर लाया गया और फिर रामलीला मैदान में आमलोगों के दर्शनार्थ रखा गया। पिता जब अपने शहीद बेटे अपनी बहू और पोते के अंतिम दर्शन करने आये तो बिल्कुल खामोश, आंसू बिल्कुल सूखे हुए…बेटे के ताबूत पर पुष्प चक्र चढ़ाया और फिर हाथ जोड़ लिये। उन्हें मालूम था कि ये सिर्फ उनका बेटा नहीं…पूरे देश का बेटा था…और वीरगति को पाकर तो उसने एक बेटे से कहीं ज्यादा खुद को उपर कर लिया है। इस दौरान पूरा समां ‘जय हिंद के घोष से गूंज रहा था। बेटे को अंतिम विदा देने से पहल शहीद की मां ने अपने बेटे के पार्थिव शरीर को सलाम किया और रुंधे गले से जय हिंद का जयघोष किया। मुखाग्नि से पहले कर्नल त्रिपाठी की मां ने अपने शहीद बेटे को सलाम किया और ‘जय हिंद के उद्घोष के साथ उसे विदा किया। मां के द्वारा अपने बेटे और उसके परिवार को दी गई इस अंतिम विदाई को देख कर वहां मौजूद सभी लोगों की आंखें भर आईं।

शाम करीब चार बजे रायगढ़ के सर्किट हाउस मुक्तिधाम में शहीद विप्लव और उनकी पत्नी और बेटे की ताबूत लायी गयी…फिर असम राइफल्स के जवानों ने गार्ड आफ आनर के साथ इस वीर जवान को अंतिम विदाई थी। चिता की आग आसमान की तरफ लहरायी और ये इशारा कर गयी ये वीर अब जमी पर नहीं सितारों में मंडरायेगा….और अपनी वीरगाथा पूरी दुनिया को बतायेगा। विप्लव बेशक इस दुनिया को अलविदा कर गये हो….लेकिन उनकी शहादत…उनकी वीरगाथा और उनका बलिदान पूरा जहां सदियों-सदियों तक याद रखेगा।

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