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NW स्पेशल: रेशम कीट व मधुमक्खी पालन को मिला खेती का दर्जा, मुख्यमंत्री की घोषणा ने किसानों के लिए खोले संपन्नता का रास्ते

रायपुर 28 अगस्त 2023 । किसान का बेटा ही किसान के मर्म को समझ सकता है। उसे पता होता है कि आज के दौर में किसानों का आर्थिक उत्थान कितना जरूरी है। …और ये बातें मुख्यमंत्री भूपेश बघेल पर पूरी तरह से लागू होती है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सत्ता संभालते ही कर्जमाफी के जरिये एक तरफ जहां अन्नदाताओं के सर पर लदा आर्थिक बोझ पूरी तरह से उतार दिया, तो वहीं दूसरी तरफ किसान न्याय योजना लागू कर किसानों को आर्थिक रूप से संबल बनाया। मुख्यमंत्री के माटी पुत्र को बखूबी पता है कि किसानों को सिर्फ आर्थिक सहयोग देकर संपन्न नहीं बनाया जा सकता, बल्कि खेती को लाभकारी बनाना होगा, ताकि वो खुद को सक्षम कर सकें।

मुख्यमंत्री इस इस दिशा में लगातार काम कर रहे हैं। मुख्यमंत्री ने इससे पहले जब लाख की खेती और मछली पालन को कृषि का दर्जा दिया था, तो उसका सार्थक नतीजा देखने को मिला था। किसानों का लाख की खेती व मछली पालन के प्रति बढ़ते रूझान को देखते हुए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने अब रेशम कीट पालन और मधुमक्खी पालन को भी कृषि का दर्जा देने की घोषणा की है। स्वतंत्रता दिवस के मौके पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इसका ऐलान किया था।

ऐसा नहीं है कि भूपेश सरकार ने सिर्फ इसकी घोषणा की है, बल्कि रेशम कीट पालन और मधुमक्खी पालन को लेकर किसानों को प्रर्याप्त जानकारी और साधन मिले, इसकी भी पूरी व्यवस्था की है। रेशम को उद्योग के तोर पर स्थापित करने के लिए भूपेश बघेल के नेतृत्व में रेशम प्रभाग में संचालित नैसर्गिक टसर बीज प्रगुणन एवं संग्रहण कार्यक्रम अंतर्गत 2 लाख 5 हजार 565 लोगों को अब तक नियमित रोजगार दिया जा चुका है। वहीं पौने पांच साल में रेशम प्रभाग ने दो लाख से ज्यादा लोगों को रोजगार उपलब्ध कराया है।

सिल्क समग्र योजना-2 शुरू

सरकार ने किसानों की आमदनी बढ़ाने और रेशम पालन को बढ़ावा देने के लिए सिल्क समग्र योजना-2 शुरू की है। इस योजना के सफल क्रियान्वयन के लिए राज्य के 14 जिलों के रेशम अधिकारियों के तकनीकी उन्नयन के लिए केन्द्रीय रेशम बोर्ड बेंगलूरू और ग्रामोद्योग विभाग के रेशम प्रभाग के संयुक्त तत्वाधान में लगातार प्रशिक्षण भी कराया जा रहा है, ताकि अत्य़ाधुनिक सुविधाओं के साथ-साथ उन्हें रेशम पालन की बुनियादी जानकारी भी मिल सके। राज्य में सिल्क समग्र योजना-2 के तहत निजी क्षेत्र में किसानों की निजी भूमि पर रेशम विस्तार कार्य किया जा रहा है। वर्ष 2023-24 में सिल्क समग्र योजना के क्रियान्वयन के लिए कृषकों का चयन किया जा रहा है। लगभग 975 एकड क्षेत्र पर शहतूत पौधरोपण किये जाने की प्रारंभिक तैयारी प्रारंभ कर दी गई है। योजना में 53 लाख 62 हजार उन्नत प्रजाति के शहतूत पौधे तैयार किये जा रहे हैं, जिनका रोपण जुलाई-अगस्त में किया जा चुका है।

अधिकारियों को भी किया जा रहा है प्रशिक्षित

जशपुर, सरगुजा, बलरामपुर, सूरजपुर, कोरबा, रायगढ़, जांजगीर-चांपा, रायपुर, मुंगेली, बिलासपुर, कांकेर, बस्तर, नारायणपुर, कोण्डागांव जिलों में रेशम कीट पालन की प्रर्याप्त संभावनाएं हैं। लिहाजा इन जिलों में अधिकारियों को अन्य प्रदेश के अधिकारियों के जरिये प्रशिक्षित कराया जा रहा है। ताकि प्रशिक्षण के साथ-सथ उन्हें विस्तार प्रबंधन, रेशम उत्पादन एवं व्यावसायिक उद्देश्य, क्लस्टर एप्रोच, शहतूती पौधों का विकास एवं प्रबंधन, रेशम विस्तार कृषकों के यहां बुनियादी सुविधाओं का विकास, अधोसंरचनाओं का निर्माण, शहतूत पौधों के रोग एवं कीट प्रबंधन, रेशम कीट पालन प्रबंधन एवं सावधानियां की जानकारी मिल सके।

शहतूत बाड़ी योजना से भी मिल रहा है कीट पालन में लाभ

भूपेश सरकार ने देश का पहला नैसर्गिक कोसा अभयारण्य नया रायपुर अटल नगर में स्थापित किया था। वहीं शहतूत बाड़ी योजना के जरिये भी रेशम कीट पालन को बढ़ावा दिया जा रहा है। योजना के अंतर्गत प्रति एकड़ पांच लाख रुपये व्यय करने का प्रावधान है।जिसमें 10 फीसद राशि हितग्राही द्वारा वहन की जाएगी तथा शेष 10 फीसद राशि राज्य सरकार द्वारा एवं शेष 80 फीसद राशि केंद्रीय रेशम बोर्ड द्वारा वहन की जाएगी। इसके अलावा राज्य सरकार द्वारा अन्य खेती करने पर दिए जाने वाला अनुदान 10 हजार रुपये प्रति एकड़ अलग से देय होगी। योजना से जुड़ने वाले किसानों के पास निजी जमीन होना जरूरी है। इच्छुक किसानों को पौधरोपण एवं रेशम कीटपालन से संबंधित सभी तकनीकी जानकारी उपलब्ध कराने एक माह का प्रशिक्षण दिया जाएगा।

सालभर में ले सकते हैं पांच से छह फसल

योजना के तहत एक एकड़ क्षेत्रफल में किसान प्रति वर्ष पांच से छह फसलें ले सकता है। विभाग के मुताबिक इस योजना से किसान पहले वर्ष में 40 हजार रुपये, दूसरे वर्ष में 53300 रुपये और तीसरे वर्ष में एक लाख 17600 रुपये तक आय अर्जित कर सकता है। जो किसान उत्पाद स्वयं नहीं बेच पाएंगे विभाग द्वारा ऐसे किसानों का उत्पाद विक्रय के लिए व्यवस्था बनाई जाएगी।  शहतूत रेशम बाड़ी योजना से छत्तीसगढ़ के किसान भी रेशम सिल्क का उत्पादन कर सकते हैं। यह किसानों के लिए लाभदायक योजना है। रेशम सिल्क की अच्छी डिमांड है किसानों को इसके विक्रय में दिक्कत नहीं आएगी। इस योजना के लिए किसानों को सब्सिडी देने के साथ ही उन्हें तकनीकी सहायता भी उपलब्ध कराई जा रही है।

मधुमक्खी पालन कर किसान हो रहे हैं आत्मनिर्भर

भूपेश सरकार ने मधुमक्खी पालन के जरिये रोजगार के नये रास्ते खोल दिये हैं। इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय ने प्रदेश के अंबिकापुर स्थित कृषि विज्ञान केंद्र में पहला समन्वित मधुमक्खी पालन केंद्र स्थापित करने का निर्णय लिया है। यहां कृषि विज्ञानी मधुमक्खी पालन करने के लिए नई तकनीक पर अनुसंधान करेंगे। विश्वविद्यालय परिसर रायपुर में शहद की जांच के लिए लैब स्थापित होगी। एक छोटी लैब अंबिकापुर में भी स्थापित होगी। यहां कोई भी किसान शहद की जांच करा सकेंगे। मधुमक्खी पालन से ग्रामीण क्षेत्रों में जहां रोजगार का साधन प्राप्त होता है, वहीं पर-परागण के माध्यम से फसलों से होने वालों की आय और गुणवत्ता में भी वृद्धि होती है। मधुमक्खी पालन से शहद और मोम जैसे उत्पाद भी प्राप्त होते हैं।

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