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प्रदेश में एक राज्य एक महंगाई भत्ता का सिद्धांत लागू हो……..कमल वर्मा बोले- कर्मचारी-अधिकारियों के कर्तव्यनिष्ठता से छत्तीसगढ़ को स्वच्छतम राज्य का राष्ट्रीय पुरस्कार मिला

रायपुर 27 नवंबर 2021। छत्तीसगढ़ राज्य के विकास संबंधी योजनाओं के क्रियान्वयन एवं जनहित के कार्यों में राज्य के कर्मचारी-अधिकारियों का परफॉरमेंस देश में अव्वल है। लेकिन अधिकार देने के मामले में सरकार का परफॉरमेंस उसके अनुरूप नहीं है। छत्तीसगढ़ कर्मचारी अधिकारी फेडरेशन के संयोजक कमल वर्मा, महामंत्री आर के रिछारिया, डॉ लक्ष्मण भारती,सचिव राजेश चटर्जी,कोषाध्यक्ष सतीश मिश्रा,मुख्य प्रवक्ता विजय झा, प्रवक्ता बी. पी.शर्मा का कहना है कि कर्मचारी-अधिकारी काम करते हैं और सरकार का नाम होता है। लेकिन सरकार कर्मचारी-अधिकारियों को उनका अधिकार देने के मामलों में समय पर निर्णय नहीं ले रही है।

फेडरेशन में शामिल समस्त संगठनों के प्रांताध्यक्ष का कहना है कि महँगाई भत्ता का गणना केन्द्र सरकार द्वारा आल इण्डिया कंज़्यूमर प्राइस इंडेक्स नम्बर (AICPIN) के आधार पर होता है। वर्तमान में केंद्रीय कर्मचारी -अधिकारियों को 31 % महँगाई भत्ता मिल रहा है,जबकि राज्य शासन 17 % मिल रहा है। देश के अधिकतर राज्यों ने अपने कर्मचारियों को 28 प्रतिशत महंगाई भत्ता दे रहे है। इस विसंगति के चलते प्रदेश के चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी को न्यूनतम औसत प्रतिमाह 2464, तृतीय श्रेणी कर्मचारी को 4198, द्वितीय श्रेणी को 8008 एवं प्रथम श्रेणी को 17455 का आर्थिक नुकसान हो रहा है। फेडरेशन के कहना है कि एक राज्य एक महँगाई भत्ता का सिद्धांत होना चाहिये। उन्होंने बताया कि राज्य में चतुर्थ श्रेणी में 55635,तृतीय श्रेणी में 307473, द्वितीय श्रेणी में 40021 एवं प्रथम श्रेणी में 3444 कार्यरत हैं।

उन्होंने बताया कि 1 जनवरी 2016 से राज्य में सातवाँ वेतनमान लागू है। केंद्र में गृहभड़ा भत्ता सातवे वेतनमान के मूलवेतन का 27 %,18% एवं 9% स्वीकृत है। लेकिन छत्तीसगढ़ सरकार कर्मचारी-अधिकारियों को छठवें वेतनमान के मूलवेतन पर 10% एवं 7% गृह भाड़ा भत्ता दे रही है। सातवे वेतनमान में वेतन का तीन क़िस्त एरियर्स बकाया है। इन तथ्यात्मक मुद्दों पर सरकार को सीधे निर्णय करना चाहिये। जोकि न्याय नहीं है। फेडरेशन का कहना है कि महँगाई भत्ता मद में कर्मचारी-अधिकारियों का 180 करोड़ 84 लाख 65 हजार 482 रुपये प्रतिमाह औसत न्यूनतम बकाया है। फेडरेशन ने कहा है कि यदि 22 नवंबर को आयोजित होने वाले कैबिनेट की बैठक में सरकार ने कर्मचारी-अधिकारी हित में निर्णय नहीं लिया तो छत्तीसगढ़ कर्मचारी अधिकारी फेडरेशन राजधानी में समस्त प्रांताध्यक्ष एवं जिला संयोजकों की आपात बैठक लेकर अनिश्चितकालीन हड़ताल करने पर निर्णय लेगा।

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