शिक्षक/कर्मचारी

संशोधन निरस्तीकरण पर विभाग की चुप्पी ने बढ़ाया सस्पेंस, तूफान हो गया शांत या तूफान के पहले की शांति ? चर्चाओं का दौर जारी

रायपुर 12 अगस्त 2023। शिक्षकों के पोस्टिंग संशोधन के निरस्तीकरण पर विभाग की अचानक चुप्पी ने सस्पेंस बढ़ा दिया है। कुछ शिक्षक इसे तूफान के शांत हो जाने का इशारा कह रहे हैं, तो कुछ का कहना है कि ये तूफान के पहले की शांति है। लिहाजा अटकलों और कयासों का दौर जारी है। इन सबके बीच बीच शिक्षा विभाग ने जो तेवर कार्रवाई को लेकर कुछ दिन पहले दिखाये थे, वो अभी नरम दिख रहे हैं। हालांकि खबर ये भी है कि इस पूरे मामले में विभाग में अंदर ही अंदर फाइलें जरूर चल रही है। जल्द ही इस पर कोई एक्शन ले लिया जायेगा।

सूत्रों के मुताबिक संशोधन के मसले पर अधिकारी से लेकर राजनेताओं तक के गर्दन अटके हुए हैं। जाहिर है अगर चार से साढ़े चार हजार संशोधन को निरस्त किया गया, तो उस संशोधन के छीटे से अधिकारी-मंत्री और विधायक भी नहीं बच पायेंगे। लिहाजा पूरे मामले पर विभाग बहुत सोच समझ कर कदम उठाने वाला है।

इस पूरे मामले का एक पहलू ये भी है कि संशोधन निरस्त नहीं करने को लेकर प्रभावित शिक्षक भी लगातार मंत्री व विधायकों के दरवाजे पर दस्तक दे रहे हैं। ऐसे में चुनाव के वक्त में विभाग भी दवाब में है। कहीं निरस्तीकरण का दांव ज्यादा गंभीर तो नहीं हो जायेगा। विभागीय सूत्रों के मुताबिक इस मामले में कार्रवाई तो होगी, इसकी तैयारी भी चल रही है, लेकिन कार्रवाई का प्रारूप क्या होगा, इसे लेकर मंथन चल रहा है।

संशोधन निरस्तीकरण पर विभाग की चुप्पी से बढ़ा सस्पेंस

हालांकि पिछले दिनों शिक्षा मंत्री ने विभाग की समीक्षा बैठक ली थी, तो उस दौरान उन्होंने अधिकारियों को इस बात स्पष्ट निर्देश दिया था कि पोस्टिंग में जितने भी संशोधन हुए हैं, उसे निरस्त कर दिया जाये। यही नहीं दोषी संयुक्त संचालकों पर FIR का भी निर्देश दिया गया था। लेकिन ये दोनों निर्देश अभी तक अमलीजामा नहीं पहन पाया है। ऐसे में चर्चा इस बात की होने लगी है, कि क्या निरस्तीकरण का मामला ठंडे बस्ते में चला गया है। क्याशिक्षा मंत्री के आदेश का पालन नहीं किया जायेगा। हालांकि सूत्र बता रहे हैं कि इस आदेश पर अमल तो होगा, लेकिन
इसके साइड इफेक्ट को पहले पूरी तरह समझ कर ही आगे कोई कदम उठाया जायेगा। दरअसल
संशोधन कराने वालों की संख्या भी कम नहीं है। चार से साढ़े चार हजार शिक्षकों ने अपने संशोधन कराया है। मामला संख्या का नहीं है
, मुश्किल इस बात की है कि संशोधन मामले में नेता, मंत्री, अधिकारी सभी का गला फंसा हुआ है। क्योंकि शिक्षक नेताओं व खुद शिक्षकों ने अपनी हैसियत के अनुरूप जितना संशोधन कराया है, उससे कई गुणा संशोधन तो नेता-मंत्री व अधिकारी की पैरवी से हुआ है। एक वजह ये भी है कि कार्रवाई के पहले विभाग में माथापच्ची चल रही है।

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