शर्मनाक है ये !..स्वास्थ्य मंत्रीजी, दर्द से कराहती गर्भवती को बेड तक नहीं दे सका आपका विभाग……कराहती महिला ने जमीन पर ही दिया बच्चे को जन्म….कुछ मिनटों बाद ही हो गयी मौत………”जान बचानी जरूरी थी या फिर कागजी खानापूर्ती”…..कब होगी इनपर कार्रवाई
गोबिंदपुर(धनबाद) 30 नवंबर 2021। ….उपर जो तस्वीर देख रहा है ना…ठीक से नहीं देखें हो तो फिर से देखिये। एक बेबस मां और पास पड़ा बेसुध नवजात। ….. बच्चा मर चुका है, मां की आंखों का पानी सूख चुका है, उधर बाप बिलख रहा है, उधर बूढ़ी दादी सुबक रही है। हमें तस्वीर दिखाते हुए शर्म आ रही है… पर ना तो झारखंड के स्वास्थ्य महकमे को शर्म आती है और ना ही डाक्टरों और स्वास्थ्यकर्मियों को लज्जा। प्रसव दर्द से गर्भवती महिला बिलबिलाती रही… पति हाथ जोड़कर गिड़गिड़ाता रहा… लेकिन ना तो नर्सों को रहम आया और ना ही स्वास्थ्यकर्मियों को दया।
दिल दहलाने वाली ये घटना धनबाद जिले के गोबिंदपुर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र का है। जहां एक गर्भवती महिला ने दर्द से बिलखते हुए जमीन पर ही बच्चे को जन्म दे दिया। सोचिये, जिस मां ने गर्भ में 9 माह तक खुद की जान से ज्यादा जिसकी परवाह की हो…उसे दर्द ना हो इसलिए छोटी-छोटी चोट को खुद झेला, उसे अपनी औलाद को जमीन पर जन्म देते कैसा महसूस हुआ होगा? कैसा लगा होगा, जब उसकी नजरों के सामने ही उसकी मौत हो गयी होगी। खैर छोड़िये, पहले ये पढ़िये कि उस दौरान अस्पताल के स्वास्थ्यकर्मी नैतिकता को ताक पर रखकर कर क्या रहे थे। गर्भवती के परिजनों को कभी रिपोर्ट लाने भेज रहे थे तो …तो कभी कागज बनवाने को कह रहे थे। कभी ये कहते कि यहां से चली जाओ, दूसरी जगह भर्ती करवाओ……अब परेशान पति भला अपनी कराहती पत्नी को देखता…या फिर कागज बनवाता, होमोग्लोबीन चेक करवाता या फिर रेफर कराकर कहीं और ले जाता। ….कराहती महिला के सामने नर्सें आती रही, जाती रही, डाक्टर खड़े होकर तमाशा देखते रहे, लेकिन मोटी-मोटी तन्ख्वाह पाने स्वास्थ्यकर्मियों की मोटी चमड़ी को ना तो तरस आया और ना ही अपने पेशे की गरिमा का ख्याल।
मानवता जमीं पर शर्मिंदा होकर बिलखती रही….और बेशर्म स्वास्थ्यकर्मी मानवता को गिरबी रख हंसी ठिठौली करते रहे। कुछ पल बाद जमीन पर ही प्रसव हो गया…मासूम ने दुनिया में पहली आंखें खोली तो इस बेदर्द जमाने की बेरहमाई देखकर उसका भी दिल भर आया और फिर उसने सदा के लिए आंखें बंद कर ली। दरअसल पूर्वी टूंडी की रहने वाली गर्भवती मीना देवी को प्रसव पीड़ा शुरू हुआ तो सबसे पहले उसे लेकर परिजन कौआबांध पहुंचे और फिर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र गोबिंदपुर पहुंचे।
शर्मनाक बात ये है कि इस दौरान महिला को ममता वाहन तक नहीं मिला। किसी तरह गर्भवती को अस्पताल लाया गया, लेकिन प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र गोविंदपुर में प्रसुता को लेबर रूम से बाहर निकाल दिया गया। परिजनों को रिपोर्ट और कागज बनवाने के नाम पर दौड़ाया जाने लगा। इसी दौरान दर्द से बेसुध मीना देवी ने जमीन पर ही बच्चे को जन्म दे दिया। इस मामले अस्पताल के डाक्टर परिजनों के ही सर पर इस घटना का ठिकरा फोड़ रहे हैं। बताते हैं कि महिला की तबीयत पहले से बिगड़ी थी, खराब स्थिति में उसे लाया गया था। लेकिन इन्हे कौन समझाये, खराब तबीयत थी, तभी तो अस्पताल लायी गयी थी। घटना के बाद अभी तक किसी तरह की कोई कार्रवाई नहीं होने से व्यवस्था पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं। आखिर ऐसे गैर जिम्मेदाराना स्वास्थ्यकर्मियों पर कब होगी कार्रवाई?… जनता की गाढ़ी कमाई से मोटी तनख्वाह पाने वाले ये स्वास्थ्यकर्मी और डाक्टर जनता की जान से ही कब तक खिलवाड़ करते रहेंगे।