मनोरंजन

अनोखा यह मंदिर: ‘हे ईश्वर, NEET में पास करा दो, भाई को Google में जॉब दिला दो’ इस मंदिर की दीवार पर छात्र लिखते हैं ऐसी विशेज

कोटा 25 दिसंबर 2022: ‘‘नीट 2023 में मेरा चयन हो जाए’’, ‘‘हे ईश्वर, पढ़ाई में मेरा फिर ध्यान लगने लगे’’, ‘‘एम्स दिल्ली में मुझे (प्रवेश) मिल जाए’’, ‘‘आईआईटी दिल्ली में मुझे (प्रवेश) मिल जाए और मेरे भाई की गूगल में नौकरी लग जाए’’…ये बातें किसी डायरी का हिस्सा नहीं हैं, बल्कि यहां विभिन्न कोचिंग सेंटर में बड़ी संख्या में पढ़ रहे विद्यार्थियों द्वारा एक मंदिर में ‘विश्वास की दीवार’ पर लिखी गईं मनोकामनाएं हैं।

राजस्थान के कोटा शहर में एक दीवार पर लिखी है जिसे कोचिंग के हब में ‘विश्वास की दीवार’ के नाम से जाना जाता है। छात्रों के बीच यह दीवार सालों से फेमस है और इसको लेकर छात्रों की गहरी निष्ठा है। बताया जाता है कि कोटा आने वाला हर छात्रा इस दीवार पर अपने मन की इच्छा लिखता है। मालूम हो कि कोटा शहर में देश के कोने-कोने से हर साल लाखों छात्र देश के प्रतिष्ठित इंजीनियरिंग और मेडिकल कॉलेज में एडमिशन लेने का सपना लेकर कोचिंग लेने के लिए पहुंचते हैं और तैयारी के दौरान यहं बिजी दिनचर्या, तनाव और परीक्षा की टेंशन जैसे बोझ के तले दबा महसूस करते हैं।

ऐसे में तलवंडी क्षेत्र के राधाकृष्ण मंदिर को लेकर छात्रों के बीच गहरा विश्वास है। मंदिर के पुजारियों का कहना है कि सालों से छात्रों का विश्वास इतना पक्का हो चला है कि हर दो महीने में मंदिर की सफेदी करवानी होती है। उन्होंने बतााय कि हर दिन 300 से अधिक छात्र मंदिर में आते हैं। बता दें कि इस साल कोटा में विभिन्न कोचिंग संस्थानों में रिकॉर्ड दो लाख छात्रों ने एडमिशन लिया है।

दीवार को लेकर बताया जाता है कि शुरू में तो मंदिर प्रशासन ने ऐसी बातें लिखने को दीवारों को खराब करने के तौर पर लिया लेकिन साल 2000 के शुरू में जब यहां अपनी मनोकामनाएं लिखने वाले कुछ छात्रों को आईआईटी और मेडिकल एडमिशन परीक्षा में सफलता मिली तो यह मंदिर लोकप्रिय हो गया और फिर उसे विश्वास की दीवार ‘Wall Of Belief’ नाम दे दिया गया।

मंदिर के पुजारी किशन बिहारी ने बताया कि बहुत पहले, कुछ छात्र यहां पूजा करने आए थे और उन्होंने आईआईटी या मेडिकल प्रवेश परीक्षा में चयनित होने की मनोकामनाएं दीवार पर लिखी थीं, जिसके कुछ महीने बाद दो छात्रों के माता-पिता मंदिर में आए और उन्होंने यह दावा करते हुए दान दिया और बताया कि, दीवार पर लिखी उनके बच्चों की मनोकामनाएं पूरी हो गई हैं और तब से यह एक परिपाटी बन चली है।

उन्होंने कहा कि शुरू में छात्र मंदिर की दीवार पर कहीं भी अपनी मनोकामनाएं लिख दिया करते थे और हम मंदिर को गंदा न करने की बात कहकर उन्हें रोकने की कोशिश करते थे और पुलिस कार्रवाई की चेतावनी देते थे, लेकिन जब वहां रहने वाले लोगों और छात्रों का विश्वास पक्का हो चला तब हमने मंदिर में इसके लिए समर्पित क्षेत्र बनाने का फैसला किया और उसे ‘विश्वास की दीवार’ नाम दिया’।

अन्य पुजारी त्रिलोक शर्मा ने कहा कि हर दो महीने में मंदिर की पुताई कराई जाती है क्योंकि दीवारें मनोकामनाओं से भर जाती हैं और अन्य विद्यार्थियों के लिए लिखने के वास्ते जगह नहीं रहती। उन्होंने कहा, ‘‘जब भी विद्यार्थी आते हैं तो हम उन्हें आशीर्वाद एवं प्रसाद देते हैं और यह कहते हुए उत्साहित करते हैं कि ईश्वर केवल तभी मदद करता है जब आप कठिन परिश्रम करते हैं। कठिन परिश्रम ही कुंजी है।’’

मध्य प्रदेश से आई राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (नीट) की अभ्यर्थी प्रगति साहू ने कहा, ‘‘ मैंने अब तक दीवार पर अपनी कोई मनोकामना नहीं लिखी है लेकिन जब मुझे अपनी तैयारी पर विश्वास हो जाएगा तब मैं मुख्य परीक्षा के आसपास यह लिखूंगी। लेकिन इस बीच जब भी मेरा मनोबल घट जाता है या मैं दबाव महसूस करती हूं तो मैं यहां आती हूं और प्रार्थना करती हूं या ध्यान लगाती हूं ताकि अच्छा महसूस करूं।’’

संयुक्त प्रवेश परीक्षा (जेईई) की तैयारी कर रहे महाराष्ट्र के विद्यार्थी कशिश गुप्ता ने कहा, ‘‘ऐसा नहीं है कि कोई लिख देगा कि मैं नंबर वन रैंक चाहता हूं और उसे वह मिल जाएगी, बल्कि लोकप्रिय धारणा है कि आप अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन दीजिए और फिर उस हिसाब से अपनी मनोकामनाएं लिखिए।’’

Back to top button