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कैविएट क्या है ? शिक्षक पोस्टिंग निरस्तीकरण को लेकर क्यों है कैविएट की चर्चा, अधिवक्ता गोविंद देवांगन से जानिये कैविएट से क्या होगा ?

रायपुर 8 अगस्त 2023। शिक्षक प्रमोशन घोटाला को लेकर इन दिनों सरगर्मियां तेज है। विपक्ष इसे लेकर सरकार पर निशाना साध रहा है, तो वहीं शिक्षा विभाग की तरफ से ताबड़तोड़ कार्रवाईयां भी हो रही है। अब तक 4 संयुक्त संचालक, डीईओ सहित 12 अफसर निलंबित हो चुके हैं। शिक्षा मंत्री ने संयुक्त संचालकों के खिलाफ FIR के भी निर्देश दिये हैं। वहीं जिन जिन शिक्षकों के प्रमोशन के बाद पोस्टिंग में संशोधन हुआ है, उसे निरस्त करने का आदेश भी शिक्षा मंत्री ने अधिकारियों को दिया है। हालांकि इसी बीच एक चर्चा हाईकोर्ट में कैविएट को लेकर भी छिड़ी है।

दावा ये किया जा रहा है कि शिक्षा विभाग निरस्तीकरण से पहले कैविएट लगायेगा। हालांकि विभाग की तरफ से इस खबर में कोई भी पुष्ट जानकारी नहीं है। विभाग के लोगों ने ऐसे किसी भी जानकारी से अनिभिज्ञता जतायी है। हालांकि सोशल मीडिया में कैविएट की बातें चर्चा में हैं। ऐसे में कानून के जानकार से हमने बात की और उनसे ये जानने की कोशिश की, आखिर ये कैविएट होता क्या है। क्या कैविएट लग जाने पर शिक्षकों को न्याय नहीं मिल पायेगा? क्या कैविएट लग जाने के बाद हाईकोर्ट से शिक्षकों को बैरंग लौटना पड़ेगा। क्या कैविएट लगाने पर याचिकाकर्ता अपना केस जीत नहीं सकता है, क्या उसे स्टे नहीं मिलता है।

ऐसे काफी सारे सवालों को लेकर NW न्यूज ने छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के अधिवक्ता गोविंद देवांगन से बातचीत की। उन्होंने कैविएट से जुड़े हर सवाल का जवाब दिया। देखिये उन्होंने कैविएट को लेकर क्या कुछ बातें कही है।

केविएट क्या होता है और इसका प्रावधान किस में दिया गया है

जवाब – केविएट एक प्रकार का आवेदन है जो सिविल प्रक्रिया संहिता की धारा 148 A में प्रावधान दिया गया है, जिसके तहत कोई पक्षकार माननीय न्यायालय के समक्ष आवेदन प्रस्तुत कर न्यायलय से यह प्रार्थना करता है कि अगर कोई व्यक्ति उनके विरुद्ध उस न्यायलय मे कोई वाद दायर करता है तो उस वाद/ मामले मे एकपक्षिय स्थगन आदेश नहीं दिया जाय एवं केविएट दायर करने वाले व्यक्ति को भी सुना जाए, मतलब एक पक्षीय स्टे आर्डर नहीं दिया जाए, केविटर को भी सुना जाय, इसलिए इस प्रावधान के तहत स्टे देने से पूर्व केविटर को भी सुनवाई की जाती है,

केवीएट कौन दायर कर सकता है

जवाब – केवीएट वह व्यक्ति प्रस्तुत कर सकता है जिसे लगता है कि उनके विरुद्ध कोई पक्षकार माननीय न्यायालय से एकपक्षीय स्टे ऑडर ले सकता है, वह व्यक्ति केविएट दायर कर सकता है,

केवीएट कितने दिन तक प्रभावशील होती है

जवाब – केवीएट की समय सीमा दायर करने के दिनांक से 90 दिवस की होती हैं, यदि इन 90 दिवस के अंतर्गत कोई मामला उनके विरुद्ध दायर नहीं होता है तो 90 दिवस के बाद केवीएट का प्रभाव खत्म हो जाता है, और चाहे तो बाद में फिर से एक नए केवीएट दायर कर सकते हैं जो कि आगामी 90 दिन तक प्रभावशील रहेगी,

क्या किसी पक्षकार द्वारा केवीएट दायर कर देने से किसी दूसरे पक्षकार को स्टे मिलती है या नहीं?

जवाब – केवीएट दायर कर देने मात्र से किसी सामने वाले पक्षकार को स्टे नहीं मिलेगा ऐसा कहना गलत है, केवीएट का मतलब केवल स्टे पर सुनवाई के दौरान सामने वाले पक्षकार जिसने केवीएट दायर किया है उनको भी सुना जाए और सामने वाले पक्षकार को सुनने के बाद भी कोर्ट को लगता है कि यह स्टे का मामला है तो न्यायालय स्टे कर सकता है।

केवीएट दायर होने के बाद भी स्टे हो सकता है,

जवाव- केविएट दायर होने से स्टे में सुनवाई के दौरान केविटर को भी न्यायालय द्वारा सुना जाता है, केवीएट का मुख्य आशय यही है

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