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कहां गए रे मोर बासी के खवैया…’ खो गई अमृता की अमर आवाज

रायपुर 13 अक्टूबर 2023। ‘कइसे सबों मया के बखान करव ओ, मोर बासी के खवैया कहां गए रे, तोला बंदत हंव बाबा, जय सतनाम…’ इन गानों को अपनी आवाज से अमरता देने वाली छत्तीसगढ़ की सुप्रसिद्ध लोकगीत भरथरी गायिका, पंथी कलाकार अमृता बारले एक ऐसी दुनिया में चली गईं, जहां से कोई नहीं आता। छत्तीसगढ़ की चिन्हारी उसके लोकगीत, लोकधरोहर आज अमृता की आवाज को ढूंढ रहे हैं। लोक कला के सशक्त हस्ताक्षर के रूप में देश विदेश में छत्तीसगढ़ की खुशबू को बिखेरने वाली अमृता ने 64 साल की उम्र में कल शाम करीब चार बजे दुनिया छोड़ दी। अमृता बारले भिलाई स्थित मेडिकल कॉलेज के आईसीयू में पिछले कई दिनों से भर्ती थीं, जहां उनका इलाज चल रहा था। छत्तीसगढ़ में भरथरी विधा को प्रदेश और प्रदेश के बाहर नई पहचान दिलाने वाली अमृता बारले को राज्य सरकार ने मिनीमाता राज्य अलंकरण सम्मान से नवाजा था। इसके अलावा उन्हें असंख्य सम्मान और पुरस्कार मिले थे। राष्ट्रपति द्वारा सम्मानित राष्ट्रीय ख्यातिलब्ध भरथरी एवं पंथी कलाकार अमृता बारले का जन्म 2 मई 1958 को छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले के पाटन इलाके के गांव बठेना में हुआ था। महज नौ साल की उम्र से उन्होंने पहली मंचीय प्रस्तुति दी। तब से लेकर अब तक उन्होंने भरथरी और पंथी लोकगीत, लोकनृत्य की हजारों प्रस्तुतियां दीं। उनके कई एलबम छत्तीसगढ़ी लोक संसार में लोगों का प्यार पा रहे हैं। अमृता बारले के निधन से प्रदेश के लोक कला जगत में शोक की लहर दौड़ गई है। आज आशीशनगर, भिलाई में उनकी पार्थिव देह अंतिम दर्शन के लिए रखी गई है। जहां से दोपहर बाद अंतिम यात्रा निकलेगी और उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा। एनडब्ल्यू ग्रुप छत्तीसगढ़ की लोक कला और संस्कृति में नया रंग भरकर उसे नई ऊंचाई देने वाली अमृता को सादर श्रद्धांजलि देता है।

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