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सिंहदेव को क्यों मिला डिप्टी CM का पद : महाराज को मनाकर पार्टी ने क्या सरगुजा को रख लिया सलामत ? क्या कांग्रेस अब साध लेगी 14 सीटें

रायपुर 29 जून 2023। बुधवार की रात जब अचानक से छत्तीसगढ़ की राजनीति में डिप्टी सीएम का नाम आया, तो हैरानी लाजिमी थी। इसलिए नहीं की, मुख्यमंत्री के पद पर दावेदारी जता रहे सिंहदेव आखिर डिप्टी सीएम पर क्यों मान गये, बल्कि इसलिए, क्योंकि चुनाव के 120 दिन पहले आखिरी ये फैसला पार्टी को लेना क्यों पड़ गया। सियासी पंडित इसका सीधा मतलब सरगुजा की 14 सीट पर नजर रखने को लेकर देखते हैं। सरगुजा यानी छत्तीसगढ़ का उत्तरी भाग जिसमें छिपा है सत्ता का समीकरण।

 राजनीति के जानकार मानते हैं कि बस्तर की 12 सीटों के साथ-साथ अम्बिकापुर, सूरजपुर, बलरामपुर, कोरिया और जशपुर जिले की 14 सीटें इस बार भी सत्ता की राह तय करेंगी। ये सीटें सिंहदेव के बगैर आसान नहीं थी।  वो भी तब जब सिंहदेव नाराज दिख रहे थे और बीजेपी उन पर डोरे डालने में लगातार भिड़ी हुई थी। ये वक्त ऐसा है जब कांग्रेस मजबूती के साथ सत्ता में वापसी का दावा कर रही है, तो सिंहदेव का नाखुश रहना या न्यूट्रल रहना, बीजेपी को एक तरह से सरगुजा में साफ्ट इंट्री देने जैसा होता।

जाहिर है सरगुजा की 14 सीटे बाबा के बगैर जीतना को नामुकीन होता ही, बीजेपी को एक मौका गिफ्ट कर देने जैसा भी हो जाता।  लिहाजा बुधवार की दोपहर तक बैठक और दोपहर के बाद रात तक हुई मंथन के बाद ये तय किया गया कि सिंहदेव को हर हाल में मानना और पार्टी में मजबूत ओहदा दिया जाना जरूरी है। बेशक डिप्टी सीएम का पद संवैधानिक नहीं है, लेकिन जनता की नजरों में डिप्टी सीएम का पद भारी भरकम लगता तो है ही।

सरगुजा की सीटों को देखें तो इनमें से 9 आदिवासियों के लिये आरक्षित हैं। पर चौँकाने वाली बात यह है कि जो आदिवासियों के लिये आरक्षित सीटें नहीं हैं वहां भी एसटी वोटर एक्स फैक्टर के रूप में काम करते आए हैं। इनमें से सामरी, रामानुजगंज, भरतपुर-सोनहत, लुंड्रा, सीतापुर जैसी कुछ सीटें तो ऐसी हैं, जहां जंगल के अंदरूनी हिस्सों में विधायक का चेहरा स्थापित नहीं हो पाया है। लेकिन उन इलाकों में बाबा जिन्हे स्थानीय लोग महाराज साहब बोलते हैं, का अपना एक अलग प्रभाव है।

पिछली बार कांग्रेस ने सरगुजा की 14 की 14 विधानसभा सीटें जीती, तो उसके पीछे एकमात्र चेहरा टीएस सिंहदेव का था। जानकर कहते हैं कि सरगुजा में पिछली बार के चुनाव में पार्टी ने भले ही मुख्यमंत्री का चेहरा तय नहीं था पर संभाग मुख्यालय से विधायक और मंत्री टीएस सिंहदेव के सीएम बनने की चर्चा आम हो गई थी। ऐसे में यहां से कांग्रेस को बहुत फ़ायदा हुआ था, लेकिन इस बार जनता के बीच अलग ही मैसेज जा रहा था, जो पार्टी के लिए बड़ा नुकसानदायक था। कुल मिलाकर सिंहदेव को डिप्टी सीएम बनाना, एक तरह से ये कहा जा सकता है कि कांग्रेस ने सरगुजा में अपना किला मजबूत कर लिया है।

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