शिक्षक/कर्मचारी

77 हजार शिक्षकों पर मंडरा रहा नौकरी जाने का खतरा, शिक्षक बहाली में सरकार ने कर दी ‘बड़ी गलती’…

पटना 18 जनवरी 2023: बिहार सरकार की ओर से बहुत ही कड़ा फैसला लिया जा रहा है. बिहार के हजारों शिक्षकों की नौकरी डेंजर जोन में है. इस डेंजर जोन में वो शिक्षक पहले हैं जिनकी नियुक्ति 2006 से 2015 के बीच हुई है. इसमें साढ़े तीन लाख से ज्यादा नियोजित शिक्षक शामिल हैं, जिनमें से लगभग 70 से 77 हजार की नौकरी जा सकती है.

बिहार में हजारों की संख्या में शिक्षकों की नौकरी पर भारी संकट मंडराता नजर आ रहा है. बिहार में 2006 और 2015 के बीच नियुक्त किए गए 3.52 लाख संविदा शिक्षकों में से 70,000 से अधिक को अपनी नौकरी खोना पड़ सकता है. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, 77,000 से अधिक शिक्षकों के दस्तावेजों वाले फोल्डर अभी तक नहीं मिले हैं. बिहार शिक्षा विभाग की लापरवाही से बड़ी संख्या में शिक्षकों की नौकरी खतरे में है.

राज्य विजिलेंस ब्यूरो द्वारा 2,200 से अधिक शिक्षकों से जुड़ी एक हजार से अधिक एफआईआर दर्ज की गई हैं. 2015 के पटना उच्च न्यायालय के आदेश के अनुसार “Missing Folder” जांच के लिए ब्यूरो को सौंपे जाने हैं. इस मामले में 2006 और 2015 के बीच पंचायत-राज संस्थानों और शहरी स्थानीय निकायों के माध्यम से शिक्षकों की कथित अवैध नियुक्ति की गई थी.

शिक्षा विभाग ने पिछले साल उन कार्यरत शिक्षकों के डॉक्यूमेंट्स को पोर्टल पर अपलोड करने का जिम्मा डाला था, जिनके फोल्डर गायब हैं. हालांकि कई समय सीमा देने के बावजूद प्रक्रिया पूरी नहीं की जा सकी. ऐसे में बिहार शिक्षा विभाग की इस लापरवाही की वजह से हजारों की संख्या में शिक्षकों की नौकरी जा सकती है.

दरअसल, पिछले साल सभी डिस्ट्रिक्ट एजुकेशन ऑफिसर को पत्र भेजा गया था. इस लेटर में कहा गया था कि यदि डॉक्यूमेंट अपलोड नहीं किए गए हैं, तो यह माना जाएगा कि शिक्षकों की नियुक्ति की वैधता के संबंध में उन्हें कुछ नहीं कहना है. इसे अवैध मानते हुए, उन्हें हटाने और भर्ती एजेंसियों के माध्यम से भुगतान किए गए वेतन की वसूली के लिए प्रक्रिया शुरू की जाएगी.

बिहार में साल 2006 से मई 2015 के बीच कुल 3.52 लाख शिक्षकों की भर्तियां की गई थी. इसमें दो हजार 82 लाइब्रेरियन भी शामिल थे. उनमें 3,11,000 प्राथमिक शिक्षक और बाकी 1,04,000 शिक्षा मित्र शामिल थे. इन्हें 1500 रुपये मानदेय पर बहाल किया गया था. बाद में उन्हें पंचायत शिक्षक के पद पर प्रमोट किया गया. इसके खिलाफ एक जनहित याचिका भी दायर की गई थी.

अन्‍य शिक्षकों पर भी खतरा
उधर, एक दूसरे मामले में कुछ और शिक्षकों की नौकरी जा रही है. ये वो टीचर हैं जिन्होंने 19 अक्तूबर 2022 तक प्रशिक्षण यानि ट्रेनिंग नहीं ली है. शिक्षा विभाग ने इस बाबत सभी जिला शिक्षा पदाधिकारियों को दिशा-निर्देश तक जारी कर दिया है. शिक्षा विभाग ने ये फैसला अताउर रहमान एवं अन्य बनाम राज्य सरकार एवं अन्य में हाइकोर्ट के आदेश को देखते हुए लिया है.

प्राथमिक शिक्षा निदेशक रवि प्रकाश ने अपने पत्र में लिखा है कि अब राज्य में बिना ट्रेनिंग किए हुए शिक्षकों की सेवा खत्म कर दी जाएगी. इनमें बगैर ट्रेनिंग वाले वो शिक्षक भी शामिल हैं जो अनुकंपा के आधार पर नियुक्त हुए हैं. लेकिन इसके साथ ही ऐसे शिक्षक अपनी सेवा पर बने रहेगें, जिन्होंने 31 मार्च 2019 के बाद और 19 अक्टूबर 2022 तक अपनी ट्रेनिंग पूरी कर ली है. लेकिन इसमें भी ऐसे सभी टीचरों को उनकी ट्रेनिंग पूरी करने की अवधि से तैनात माना जाएगा. इस हिसाब से उसी दिन से उनकी सेवा शुरू मानी जाएगी.

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