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सूर्यास्त के बाद से बस इतने समय के लिए रहेगा रावण दहन का उत्तम समय….और जानें क्यों करते हैं रावण दहन

रायपुर 05 अक्टूबर 2022 : हिंदू पंचांग के अनुसार, आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को पूरे देश में दशहरा या विजयादशमी का त्योहार मनाया जाता है। इस साल दशहरा 5 अक्टूबर, बुधवार को है। दशहरे के पर्व को आयुधपूजा के नाम से भी जाना जाता है। दशहरा के पर्व को लेकर कई पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं। जिसमें भगवान राम द्वारा रावण का वध और मां दुर्गा द्वारा राक्षस महिषासुर का अंत शामिल है। दशहरा का पर्व बुराई पर अच्छाई का प्रतीक है।

यूं तो दशहरा का दिन सबसे उत्तम माना गया है। लेकिन दशहरे के शाम का समय सबसे ज्यादा शुभ माना गया है और इस काल को विजय काल के नाम से जाना जाता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, विजय काल में किसी भी काम को करने से उसमें विजय हासिल होती है। इस दौरान खरीदारी करना व नए काम की शुरुआत करना अतिलाभकारी माना गया है। दशहरे के दिन नीलकंठ के दर्शन करना बेहद शुभ माना गया है।

दशहरे के दिन रावण दहन किया जाता है। इस दिन रावण के पुतला का दहन करने का शुभ समय सूर्यास्त के बाद से रात 08 बजकर 30 मिनट तक रहेगा। रावण दहन हमेशा प्रदोष काल में श्रवण नक्षत्र में ही किया जाता है। रावण दहन के बाद उसकी राख को घर लाना अति शुभ माना गया है। मान्यता है कि ऐसा करने से नकारात्मकता दूर होती है।

रावण दहन का विजय मुहूर्त – 02:07 पी एम से 02:54 पी एम तक है। जिसकी अवधि – 00 घण्टे 47 मिनट्स की है। अपराह्न पूजा का समय – 01:20 पी एम से 03:41 पी एम तक है। इसकी अवधि – 02 घण्टे 21 मिनट्स की है।

रावण दहन मुहूर्त
जो लोग स्थान, काल और परिस्थितियों के अनुरुप 05 अक्टूबर को दशहरा पर रावण दहन करना चाहते हैं, वे प्रदोष काल में पुतला दहन कर सकते हैं. इस दिन आप सूर्योदय के बाद से रात 08 बजकर 30 मिनट तक पुतला दहन कर सकते हैं.

दशमी तिथि 04 अक्टूबर को दोपहर 02 बजकर 20 मिनट पर प्रारंभ होगी, जो कि 05 अक्टूबर को दोपहर 12 बजे तक रहेगी। 

भगवान राम को जब वनवास हुआ था, तब रावण ने माता सीता का हरण कर लिया. उसके पाप और अत्याचार का घड़ा भर गया था. माता सीता का अपहरण रावण के जीवन की बड़ी भूल साबित हुई. वानर सेना की मदद से प्रभु श्रीराम ने लंका पर चढ़ाई कर दी, जिसमें भीषण युद्ध हुआ. उस युद्ध में रावण और उसके पूरे कुल का नाश हो गया. प्रभु श्रीराम के हाथों रावण का वध हुआ. प्रभु राम और रावण के बीच 10 दिनों तक युद्ध हुआ था. 10वें दिन विजयादशमी को रावण मारा गया. इस वजह से हर साल आश्विन शुक्ल दशमी को दशहरा मनाते हैं और शाम को रावण दहन करते हैं. यह त्योहार असत्य पर सत्य की, अधर्म पर धर्म की जीत का प्रतीक है.

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