हेडलाइन

हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से मांगा जवाब: स्मार्ट सिटी की तरफ बनाये गये पार्किंग में दुकान निर्माण व आवंटन मामले को हाईकोर्ट में चुनौती, कोर्ट ने कहा..

हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से मांगा जवाब बिलासपुर 4 मार्च 2024। स्मार्ट सिटी द्वारा कोतवाली परिसर में पार्किंग में दुकान निर्माण और बिना आरक्षण आवंटन मामले में हाईकोर्ट ने राज्य सरकार ने जवाब मांगा है। इस मामले में हाईकोर्ट में याचिका दायर कर चुनौती दी गयी थी। कोर्ट ने कहा है कि कोई भी दुकान आवंटन याचिका पर अतिम निर्णय से बाधित होगा।  दुकानों का निर्माण में भूतल का वेन्टीलेशन बंद करने और अग्नि सुरक्षा पर समझौता करने का भी आरोप याचिका में शामिल है। वहीं जमीन के स्वामित्व को लेकर भी चल रहे विवाद को याचिका में सवाल है।

 

बिलासपुर हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस रविन्द्र कुमार अग्रवाल की खण्डपीठ में राज्य शासन और बिलासपुर स्मार्ट सिटी कपनी को उस जनहित यासिका का जवाब देने के लिए निर्देश दिया है, जिसमें बिलासपुर सिटी कोतवाली परिसर में मल्टी लेवल कार पार्किंग के नूतल पर दुकान निर्माण और बिना आरक्षण नियमों के दुकानों के आवंटन को चुनौती दी गई है।  महाधिवक्ता प्रफुल भारत की उस दलील से हाईकोर्ट संतुष्ट नहीं हुआ, जिसमें उन्होंने कहा कि स्मार्ट सिटी एक एसपीवी कंपनी है। इसलिए आरक्षण नियम उस लागू नहीं होता।

 

याचिकाकतों की ओर से अधिवक्ता सुदीप श्रीवास्तव का तर्क था कि स्मार्ट सिटी का स्वामित्व राज्य सरकार और नगर निगम का है। इसलिए यह सरकारी कंपनी है और उस पर निगम के आरक्षण नियम पूरी तरह लागू होते हैं। दुकानों का निर्माण बिना नक्शा पास किये और भूखण्ड का स्वामित्व न होने का भी चुनौती का आंधार बनाया गया है।

 

गौरतलब है कि स्वयं शासन ने आज स्वीकार किया कि पहले दुकानों की निर्माण की कोई योजना नहीं थी और केवल कार पार्किंग बनाई जा रही थी। परन्तु बाद में पुलिस विभाग के लिए मकानों के निर्माण के लिए धन राशि की व्यवस्था करने हेतु दुकाने निर्मित की गई है। नंद किशोर राज कार्यकतां गोडवाना गणतन्त्र पार्टी और महेश दुबे टाटा ने याचिका के साथ कार पार्किंग और दुकानों के दो ग्राफ भी लगाये है, जिससे कि दुकानों का कोई नक्शा पास नहीं है। कार पार्किंग में सभी वटीलशन को बंद कर भूतल को अवैध रूप से दुकानों में परिवर्तित किया गया है। इसके कारण अग्नि दुर्घटना की स्थिति में नारी जनधन हानि की आशंका है।

 

गौरतलब है कि नगर निगम स्थाई सपत्ति अतरण नियम 1994 के अनुसार दुकानों के आबंटन में नगर निगम क्षेत्र की एससी एसटी, ओबीसी जनसंख्या के हिसाब से और महिला, विकलांग, भूतपूर्व सैनिक एवं स्वतंत्रता संग्राम सेनानी जैसी श्रेणियों के लिए भी दुकाने आरक्षित करने का प्रावधान है। आज शासन ने स्वयं यह हाईकोर्ट को बताया कि जून 2024 में स्मार्ट सिटी कंपनी समाप्त हो जाएगी और उक्त परिसर नगर निगम बिलासपुर के कब्जे में रहेगा। इस स्तर पर खण्डपीठ ने सवाल उठाया कि फिर आज दुकान आवंटन करने का अधिकार कैसे रखते है। आज की सुनवाई में स्मार्ट सिटी की ओर से अधिवक्ता शशाक ठाकुर नगर निगम की ओरसे आशीष तिवारी, केन्द्र सरकार की ओर से रमाकांत मिश्रा और ग्राधिका दाखिल करने वाले सुदीप वर्मा उपस्थित थे।

Back to top button