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बोरा…चिट्ठी और बवाल : नेता प्रतिपक्ष ने सरकार की नियत पर उठाये सवाल…तो मुख्यमंत्री बोले- “मुझे उनके अल्प ज्ञान पर तरस आता है”

रायपुर 23 नवंबर 20201। बारदाने को लेकर छत्तीसगढ़ में एक बार फिर सियासी बवाल शुरू हो गया है। प्रधानमंत्री मोदी को मुख्यमंत्री ने जहां एक तरह पत्र भेजा है, तो वहीं दूसरी तरफ बीजेपी ने इस मसले पर सरकार को घेरा है। इससे पहले आज सुबह मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में कहा था कि जूट कमिश्नर ने अगर समय पर बारदाना उपलब्ध नहीं कराया, तो छत्तीसगढ़ में लॉ एंड आर्डर की स्थिति बिगड़ सकती है।

इधर बीजेपी ने मुख्यमंत्री के इस पत्र पर सवाल खड़ा किया है। नेता प्रतिपक्ष ने कहा है कि राज्य सरकार की मंशा धान खरीदी को लेकर साफ नहीं है, इसलिए वो इस तरह से भ्रम फैला रही है। कौशिक ने कहा कि राज्य सरकार ने पूछा कि आखिर समय पर डिमांड, एडवांस और मीटिंग की कवायद क्यों नहीं की, अगर समय पर जूट कमिश्नर के साथ प्रक्रिया पूरी की जाती, तो ये स्थिति नहीं आती। इधर धरमलाल कौशिक के बयान पर मुख्यमंत्री ने जवाब दिया है। उन्होंने कहा कि ..

“उनके अल्प ज्ञान पर मुझे तरस आता है। भारत सरकार ने जूट कमिश्नर का पद क्रिएट किया है, उन्ही के जरिये पूरे देश भर के राज्यों को जूट उपलब्ध कराया जाता है। जूट कमिश्नर ही उपलब्ध कराता है, उनसे ही हमलोगों ने डिमांड किया है”

इससे पहले नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने कहा था कि प्रधानमंत्री को लिखे पत्र को लेकर कांग्रेस सरकार को घेरा था। नेता प्रतिपक्ष ने कहा है कि …

पिछली बार भी बोरे को लेकर राजनीति की गयी। बार-बार भ्रम ये फैलाया गया कि केंद्र सरकार बोरा उपलब्ध नहीं कर रही है, अंतत: विधानसभा में ये बातें सामने आयी कि बोरा उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी छत्तीसगढ़ सरकार की है। समय पर डिमांड करना, एडवांस राशि भेजना और बैठक करना और उसके बाद बोरे की प्राप्ति करना। जूट कमिश्नर के माध्यम से पूरे राज्यों को एक साथ बोरे की जरूरत पड़ती है, जिसे उपलब्ध कराया जाता है, लेकिन तब तक छत्तीसगढ़ सरकार सोती रहती है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ने लॉ एंड आर्डर बिगड़ने की बात कही है, अगर ऐसा होता है तो ये छत्तीसगढ़ सरकार की विफलता कहलायेगी। अपनी जिम्मेदारी से छत्तीसगढ़ सरकार भागना चाहती है, इसलिए दूसरों पर आरोप लगा रही है। किसानों से धान खरीदी पर कोताही बरतनी है, इसलिए इस तरह का भ्रम फैलाया जा रहा है। ये स्थिति सरकार जानबूझकर निर्मित करती है, ताकि धान समय पर ना खरीदना पड़े।

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