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ब्रेकिंग : पुरानी पेंशन का लाभ 1998 से देने बिक्रम सिंह एवं अन्य 90 ने हाईकोर्ट में लगायी याचिका ….. याचिका में सुप्रीम कोर्ट के न्यायिक हस्तक्षेप, खाली पदों व पेंशनभोगी पदों के विरूद्ध की गयी भर्ती को बनाया गया आधार…

याचिकाकर्ता बिक्रम सिंह ने बताया कि हमने पुरानी पेंशन योजना लागू होने के पूर्व याचिका दायर किया था। स्वभाविक है कि शासन द्वारा पुरानी पेंशन योजना लागू कर दिया गया है यह जवाब प्रस्तुत किया जाएगा, क्योंकि शासन को दिए गए आवेदन का जवाब में शासन द्वारा सेवा अवधि की गणना 1998 से करने का उल्लेख नही किया जा रहा है।याचिकाकर्ता के वकील अनूप मजूमदार द्वारा पुरानी पेंशन हेतु सेवा अवधि की गणना 1998 से करने का पक्ष व तर्क न्यायालय में पुनः प्रस्तुत किया जाएगा।

रायपुर 11 अगस्त 2022। बिक्रम सिंह एवं अन्य 90 याचिकाकर्ताओं ने पेंशन नियम 1976 के तहत पुरानी पेंशन का लाभ देने अपने अधिवक्ता अनूप मजूमदार के माध्यम से माननीय उच्च न्यायालय बिलासपुर में याचिका दायर कर कहा है कि हमारी नियुक्तियां नियमित रूप से रिक्त पेंशनभोगी पदों पर की गई थीं, जो पेंशन के लिए हक प्रदान करती हैं। प्रशासन और प्रबंधन के लिए जिला और जनपद पंचायत का नियंत्रण था, स्कूलों को कभी पंचायत को स्थानांतरित नहीं किया गया था। इसलिए याचिकाकर्ता राज्य सरकार के कर्मचारी है। सिविल सेवा पेंशन नियम 1976 के प्रावधानों के अनुसार, अगर एडहॉक नियुक्ति किसी पद के विरुद्ध है और उसी को बिना ब्रेक के जारी रखा जाता है। फिर एडहॉक सेवा पर खर्च की जाने वाली अवधि को पेंशन के उद्देश्य के लिए अर्हकारी सेवाओं के निर्धारण के लिए माना जाएगा।याचिकाकर्ताओं की सेवाओं को स्कूल शिक्षा विभाग के अधीन संविलियन कर लिया गया है, इसलिए सेवा में कोई बाधा नहीं है, इसलिए पेंशन के उद्देश्य के लिए 1998 से अब तक की सेवा की अवधि माना जावे।


बिक्रम सिंह एवं 90 अन्य द्वारा पुरानी पेंशन देने के लिए दायर की गई याचिका WPS No. 6997 of 2021 में 15 /12/2021 को पहली सुनवाई हुई थी जिसमे उच्च न्यायालय द्वारा अगस्त माह में सुनवाई हेतु समय दिया गया था। प्रकरण पर सुनवाई करते हुए माननीय उच्च न्यायालय ने 8 अगस्त 2022 को शासन को नोटिस जारी कर 3 सप्ताह में जवाब प्रस्तुत करने को कहा है।

न्यायालय में रखे गए पक्ष अनुसार शिक्षाकर्मियों को स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा नियोजित किया गया था, हालाँकि नियुक्ति आदेश जारी करने की शक्ति और अपनाई जाने वाली प्रक्रिया पंचायत विभाग के संबंधित अधिकारियों के माध्यम से थी,,जबकि नियुक्ति स्कूल शिक्षा विभाग में उपलब्ध पदों के विरुद्ध की गई थी।

पेंशन नियम 1976 के तहत 2004 के पूर्व नियुक्त कर्मचारियों को पुरानी पेंशन का लाभ दिए जाने का तथ्य व तर्क रखते हुए NPS योजना को उपयुक्त नही मानते हुए याचिका दायर की गई है। शासन से जवाब आने के बाद याचिकाकर्ता बिक्रम सिंह & 90 Ors. की ओर से अधिवक्ता अनूप मजूमदार पैरवी करेंगे।

माननीय उच्च न्यायालय व उच्चतम न्यायालय के न्यायिक हस्तक्षेप के बाद मध्यप्रदेश शिक्षा कर्मी (भर्ती तथा सेवा की शर्तें ) नियम 1997 कानून लागू किया गया था। स्कूल शिक्षा विभाग के रिक्त पदों के विरुद्ध याचिकाकर्ताओ की नियुक्ति शिक्षको के रिक्त पदों पर की गई थी। 73 वें व 74 वें संविधान संसोधन के अनुसार 1992 में ग्रामीण व शहरी क्षेत्रों में स्थानीय स्वशासन की प्रणाली शुरू की गई थी। संपूर्ण रूप से पंचायत विभाग को कभी भी राज्य स्तर पर स्कूलों के प्रबंधन के लिए कोई अधिकार नहीं दिया गया था, इसलिए सभी साधनों और उद्देश्यों के लिए स्कूलों पर अंतिम नियंत्रण स्कूल शिक्षा विभाग का था। जब स्कूलों को पंचायत विभाग में स्थानांतरित नहीं किया गया था, तो यह नहीं माना जा सकता है कि याचिकाकर्ता पंचायत विभाग के तहत जनपद पंचायत या जिला पंचायत के कर्मचारी बन गए।

शिक्षाकर्मियों को एक नियमित सिविल सेवक का दर्जा देने का निर्देश दिया जावे, जो शिक्षाकर्मियों के पद पर उनकी प्रारंभिक तिथि को देखते हुए उन्हें छत्तीसगढ़ सिविल सेवा पेंशन आयोग 1976 के तहत पेंशन का हकदार घोषित करता है।

याचिकाकर्ता 1998 से नियुक्त है, जबकि नवीन अंशदायी पेंशन योजना 2004 से लागू की गई है, अतः याचिकाकर्ता पुरानी पेंशन के हकदार है। ज्ञात हो कि नवीन अंशदायी पेंशन योजना छत्तीसगढ़ में नवंबर 2004 के बाद नियुक्त कर्मचारियों के लिए लागू किया गया है, जबकि वर्तमान एल बी संवर्ग के शिक्षक जिनकी नियुक्ति 2004 के पूर्व 1998 में शिक्षा कर्मी के पद पर हुई थी वे पेंशन नियम 1976 के तहत पुरानी पेंशन के पात्र होंगे।

शासन की ओर से जवाब प्रस्तुत होने के पश्चात यह तथ्य न्यायालय के समक्ष अधिवक्ता श्री अनूप मजूमदार जी के माध्यम से प्रस्तुत किया जाएगा कि याचिकाकर्ताओं की नियुक्ति 1998 में हुई, छत्तीसगढ़ शासन द्वारा OPS के स्थान पर NPS योजना 1 /11/ 2004 से प्रारंभ की गई, परन्तु याचिकाकर्ताओं की NPS कटौती 1/4/2012 से प्रारंभ की गई। जब शासन द्वारा पुरानी पेंशन बहाली का आदेश राजपत्र में 11 मई 2022 को प्रकाशित कर जारी कर दिया गया है तब पेंशन निर्धारण के लिए सेवा की गणना का लाभ 1998 से किया जावे। यह याचिका भी 1998 से पुरानी पेंशन का लाभ प्रदान करने के लिए दायर की गई है।

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