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CG- शिक्षक हित में हाईकोर्ट का बड़ा फैसला…पेंशन व GPF की राशि अटकाने वाले जिम्मेदार अफसर की जेब से क्षतिपूर्ति भुगतान के निर्देश…राशि को जल्द जारी करने के लिए भी कहा.

रायपुर/कोरबा 3 अक्टूबर 2021। रिटायर शिक्षक का पेंशन व GPF अटकाने वाले प्राचार्य को अब हर्जाने की राशि जेब से भरनी होगी। रिटायरमेंट के 15 महीने बाद भी पेंशन और GPF सेटलमेंट नहीं करने के मामले में दायर की गयी याचिका पर हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला दिया है।

हाईकोर्ट ने ना सिर्फ अधिकारियों को तत्काल पेंशन जारी करने और GPF के सेटलमेंट के निर्देश दिए हैं, बल्कि ये भी कहा है कि इन दौरान याचिकाकर्ता को भुगतान में देरी से जो नुकसान हुआ है, उसके एवज वार्षिक 10 प्रतिशत की दर से पेनाल्टी का भुगतान किया जाएगा। ये राशि राज्य सरकार के खजाने से नहीं, बल्कि दोषी DDO से राशि वसूली जाएगी।

दरअसल ये पूरा प्रकरण हायर सेकेंडरी स्कूल जर्वे ब्लॉक करतला जिला कोरबा का है, जहां से पिछले साल 30 जून 2020 को व्यख्याता शिक्षक सनत कुमार रिटायर हुए थे। 63 साल के सनत कुमार साहू ने जब अपने पेंशन और GPF भुगतान के लिए आवेदन किया तो DDO ने टालमटोल शुरू कर दिया। अपने हक़ के पेंशन और GPF के लिए दर्जनों बार रिटायर शिक्षक ने दफ्तर के चक्कर लगाए, लेकिन DDO ने ना तो उनका काम किया और ना ही कोई स्पष्ट जानकारी और ना ही रोकने का कोई कारण बताया। फोन करने पर DDO ने फोन उठाना भी बंद कर दिया, जिसके बाद सनत कुमार साहू ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया।

शिक्षक के 30/06/20 को रिटायरमेंट के 15 महीने बाद भी ना तो 42,224 पेंशन प्रतिमाह के हिसाब से 633360 रुपये जारी किया गया और ना ही जमा पूंजी जीपीएफ की राशि लगभग 22 लाख रुपये सेटेलमेंट किया था। कोर्ट से बेहद गंभीर माना। और इस बात का निर्देश दिया कि तत्काल पेंशन और जीपीएफ की राशि का भुगतान किया जाए, साथ ही 10 प्रतिशत सलाना की दर से क्षतिपूर्ति का भुगतान किया जाए। कोर्ट ने कहा है कि क्षतिपूर्ति की गई राशि जिम्मेदार अधिकारी को खुद से देना होगा।

शिक्षक हित में आये कोर्ट के इस फैसले को शिक्षक हित में अहम माना जा रहा है। सर्व शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष विवेक दुबे ने कहा है..

“यह माननीय उच्च न्यायालय का स्वागत योग्य कदम है जिससे एक हमारे एक वरिष्ठ शिक्षक व्याख्याता को न्याय तो मिला ही है साथ ही एक सबक भी है उन कर्मचारियों के लिए जो जानबूझकर अपने ही विभाग के कर्मचारियों को परेशान करते हैं क्योंकि माननीय उच्च न्यायालय ने इसमें समय पर कार्य न करने वाले कर्मचारी पर जुर्माना लगाया है और वह राशि अब उसे अपने जेब से भुगतान करना होगा ।”

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