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CG ब्रेकिंग : रायपुर एयरपोर्ट को कार्गो हब… मध्य क्षेत्रीय परिषद की बैठक में छाया रहा छत्तीसगढ़….19 प्रस्ताव में से 8 प्रस्ताव छत्तीसगढ़ ने ही सुझाये… कोदो, कुटकी का न्यूनतम समर्थन मूल्य केंद्र सरकार घोषित करेगी

रायपुर 22 अगस्त 2022। मध्य क्षेत्रीय परिषद की बैठक में आज छत्तीसगढ़ छाया रहा। गृहमंत्री अमित शाह की अगुवाई में हुई मध्य क्षेत्रीय परिषद की बैठक में 19 एजेंडों में से 8 एजेंडे को छत्तीसगढ़ सरकार ने सुझाये थे। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के प्रस्ताव पर मध्य क्षेत्रीय परिषद की बैठक में रायपुर एयरपोर्ट को कार्गो हब बनाने पर मुहर लगी। बैठक में हुए फैसले के बाद अब जल्द ही केंद्र सरकार इसे लेकर जल्द ही निर्देश जारी करेगी।

बैठक में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के प्रस्ताव पर बैठक में निर्णय लिया गया है कि वनोपज कोदो, कुटकी का न्यूनतम समर्थन मूल्य केंद्र सरकार घोषित करेगी। छत्तीसगढ़ सरकार के आग्रह पर बैठक में इस बात का भी निर्णय लिया गया कि गोधन न्याय योजना अंतर्गत निर्मित वर्मी कम्पोस्ट को रासायनिक खाद की तर्ज़ पर Nutrition Based Subsidy का लाभ प्रदान किया जाएगा ।

आज की बैठक में कुल 19 एजेंडा पर चर्चा हुई, जिसमें 8 एजेंडा तो छत्तीसगढ़ सरकार की तरफ से सुझाये गये। वहीं मप्र शासन के 3, उप्र शासन के 1 और उत्तराखंड शासन के 2 एजेंडे चर्चा में लिए गए।

मुख्यमंत्री श्री बघेल ने बैठक को संबोधित करते हुए आगे कहा कि, सुराजी गांव योजना के अंतर्गत हमने ‘नरवा, गरुवा, घुरुवा, बारी’ के संरक्षण व विकास के माध्यम से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने
की पहल की है। राज्य में उत्पादित वर्मी कम्पोस्ट पर, रासायनिक उर्वरकों के समान ‘न्यूट्रिएंट बेस्ड सब्सिडी’ देने का प्रस्ताव भारत सरकार को भेजा गया है, जिसकी स्वीकृति का अनुरोध है।

प्रदेश में लघु धान्य फसलों की समर्थन मूल्य पर खरीदी की जा रही है। राज्यस्तर पर कोदो, कुटकी का समर्थन मूल्य 3 हजार रुपए प्रति क्ंिवटल निर्धारित किया गया है। अतः भारत सरकार द्वारा भी कोदो एवं
कुटकी फसल का न्यूनतम समर्थन मूल्य निर्धारित किया जाए।

हमने प्रदेश में लाख उत्पादन को कृषि का दर्जा दिया है। भारत सरकार से अनुरोध है कि लाख उत्पादन हेतु ‘किसान क्रेडिट कार्ड’ तथा ‘फसल बीमा योजना’ का लाभ दिया जाए। हमने अतिशेष धान से बायो-एथेनॉल उत्पादन हेतु 25 निवेशकों के साथ एमओयू किया है। इस संबंध में भारत सरकार की नीति में संशोधन की जरूरत है, जिसमें बायो-एथेनॉल उत्पादन के लिए प्रत्येक वर्ष कृषि मंत्रालय से अनुमति लेने का प्रावधान है, अतः प्रतिवर्ष के बंधन को समाप्त किया जाए। आधिक्य अनाज घोषित करने का
अधिकार एनवीसीसी की जगह राज्य को मिलना चाहिए।

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