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CG NEWS-तृतीय-चतुर्थ श्रेणी पदों में स्थानीय निवासियों के नौकरी मामले पर GAD का पत्र… सभी विभागों को हाईकोर्ट के निर्देश का पालन करने को कहा….

रायपुर 30 सितंबर 2022। बस्तर-सरगुजा संभाग में तृतीय-चतुर्थ श्रेणी के पद स्थानीय निवासी से भरे जाने को लेकर राज्य सरकार के फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट के आदेश के बाद अब सामान्य प्रशासन विभाग ने भी इस संदर्भ में सभी विभागों, कलेक्टर, कमिश्नर व जिला पंचायत सीईओ को निर्देश भेज दिया है।

आपको बता दें कि तृतीय व चतुर्थ श्रेणी के पदों को बस्तर और सरगुजा के स्थानीय निवासियों से भरे जाने का फैसला राज्य सरकार ने लिया था। इस फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी गयी थी, जिसके बाद कोर्ट में लंबी चली सुनवाई के बाद 12 मई 2022 को फैसले को गलत ठहराते हुए अधिसूचना को निरस्त कर दिया था। अब हाईकोर्ट के उस फैसले का पालन करने के लिए जीएडी ने सभी विभागों को भेज दिया है। जीएडी ने इस संदर्भ में सभी विभागों को कोर्ट की कॉपी भी भेजी है, ताकि निर्देशों का पालन किया जा सके।

हाईकोर्ट ने स्थानीय निवासियों को ही नौकरी देने अधिसूचना को किया था रद

हाई कोर्ट ने अपने महत्वपूर्ण फैसले में कहा था कि संविधान की पांचवीं अनुसूची के तहत राज्यपाल मूलभूत अधिकार को कम नहीं कर सकते हैं। संविधान ने सभी नागरिकों को समान रूप से रोजगार के अवसर प्रदान किए हैं। इस अधिकार को अनुसूची पांच के तहत कम नहीं किया जा सकता। डिवीजन बेंच ने कहा था कि विशेष परिस्थिति में आवश्यक हो तो संसद ही अनुच्छेद 16(3) के तहत निवास के आधार पर आरक्षण दे सकती है। राज्य शासन या राज्यपाल को यह अधिकार नहीं है। इसके साथ डिवीजन बेंच ने कोरबा जिले के अलावा सरगुजा व बस्तर संभाग में स्थानीय निवासियों को ही तृतीय एवं चतुर्थ श्रेणी के पदों पर नियुक्ति देने राज्यपाल द्वारा जारी अधिसूचना को रद कर दिया था। चीफ जस्टिस एके गोस्वामी व जस्टिस गौतम चौरड़िया की डिवीजन बेंच ने नियुक्ति प्रक्रिया पर लगी रोक भी हटा दी थी।छत्तीसगढ़ के राज्यपाल ने 17 जनवरी 2012 को अधिसूचना जारी की थी। इसके तहत कोरबा जिले और बस्तर व सरगुजा संभाग में स्थानीय निवासियों की ही तृतीय एवं चतुर्थ श्रेणी के पदों पर नियुक्ति दी जा रही थी। तीनों जगह सहायक शिक्षकों की नियुक्ति पर लगी रोक को हाई कोर्ट ने हटा दिया था। जिसके बाद करीब 2,700 सहायक शिक्षकों की नियुक्ति का रास्ता साफ हो गया था। सुशांत शेखर धराई एवं उमेश श्रीवास ने वकील अजय श्रीवास्तव के जरिए बिलासपुर हाई कोर्ट में याचिका दायर कर राज्य शासन द्वारा जारी अधिसूचना को चुनौती दी थी। याचिका के अनुसार छत्तीसगढ़ के राज्यपाल द्वारा 17 जनवरी 2012 को संविधान की पांचवीं अनुसूची में दी गई शक्ति का प्रयोग करते हुए बस्तर व सरगुजा संभाग व कोरबा जिले के लिए तृतीय एवं चतुर्थ श्रेणी के पदों के लिए स्थानीय निवासियों की भर्ती का आदेश जारी किया था।इस आदेश को राज्य शासन ने वर्ष 2023 तक बढ़ा दिया था। याचिकाकर्ता ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 16 के तहत राज्य के किसी भी नागरिक के साथ धर्म, जाति, जन्म स्थान, निवास एवं लिंग के आधार पर नौकरी में विभेद नहीं किया जा सकता। प्रत्येक नगरिक को राज्य में नियुक्ति प्रक्रिया में भाग लेने का समान अधिकार है। यदि निवास के आधार पर विशेष परिस्थिति में आरक्षण करना है तो यह अधिकार मात्र संसद को है। याचिकाकर्ता ने राज्यपाल द्वारा जारी अधिसूचना को असंवैधानिक बताया था।

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