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रिश्वत मामले में बर्खास्त डाक्टर 26 साल बाद बेगुनाह… न्याय का इंतजार करते-करते हो गयी मौत….अब विभाग देगा पूरी सैलरी और भत्ता…छत्तीसगढ़-मध्यप्रदेश के बीच उलझा रहा मामला

रायपुर/जबलपुर 21 जून 2022। …एक वेटनरी डाक्टर को मौत के बाद कोर्ट से न्याय मिला है। रिश्वत के मामले में निर्दोष करार होने के बाद पशुपालन विभाग ने अब डाक्टर को बर्खास्तगी के बाद की सैलरी और भत्तों के भुगतान का निर्देश दिया है। मामला 26 साल पुराना है। ये मामला मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ के बीच ऐसा उलझा कि न्याय का इंतजार करते-करते वेटनरी डाक्टर देवेंद्र वर्मा की हार्ट अटैक से मौत हो गयी। डॉ. देवेन्द्र वर्मा छत्तीसगढ़ के रायपुर जिले के धरसींवा में पशु चिकित्सा विस्तार अधिकारी थे। 3 अप्रैल 1992 को उन्हें जयराम प्रसाद अवस्थी की गाय का मृत्यु प्रमाणपत्र देने के बदले 300 रुपए की रिश्वत लेते हुए लोकायुक्त पुलिस रायपुर ने रंगे हाथों पकड़ा था। 5 जुलाई 1999 को विशेष न्यायधीश रायपुर ने इस मामले में उन्हें अलग- अलग धाराओं में एक- एक हजार रुपए का अर्थदंड और एक-एक साल की सजा सुनाई थी। इसके बाद उन्हें 14 मार्च 2000 को नौकरी से हटा दिया गया था। डॉ. वर्मा ने इस मामले में जबलपुर हाईकोर्ट में अपील थी। छत्तीसगढ़ राज्य अलग होने के बाद केस छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट बिलासपुर ट्रांसफर कर दिया गया।

18 सितंबर 2018 को बिलासपुर हाईकोर्ट ने डॉ. देवेन्द्र वर्मा को इस मामले में बरी करते हुए दोबारा सरकारी नौकरी में वापस लेते हुए बर्खास्तगी (14 मार्च 2000) के बाद की सैलरी और सभी देयकों का भुगतान करने के आदेश दिए थे। बेगुनाही साबित होने के बाद वे अपनी नौकरी के लिए सरकारी दफ्तरों के चक्कर काटते रहे और 2 दिसंबर 2020 को उन्हें हार्ट अटैक आया। परिजन अस्पताल लेकर गए डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया था।

डॉ. देवेन्द्र वर्मा की मौत के बाद उनकी पत्नी सावित्री वर्मा और बेटे राहुल वर्मा ने इस मामले में पैरवी शुरू की। डॉ. वर्मा के बेटे राहुल ने बताया कि जब पिताजी पर यह मामला दर्ज हुआ तब रायपुर मप्र में आता था, लेकिन जब हाईकोर्ट से उन्हें बरी कर नौकरी में वापस लेने का आदेश आया, तो छत्तीसगढ़ के सामान्य प्रशासन विभाग ने उन्हें मप्र शासन का कर्मचारी बताकर छत्तीसगढ़ पशुपालन विभाग के तहत जॉइन कराने से इनकार कर दिया था।डॉ. वर्मा की मौत के बाद उनकी पत्नी और बेटे ने वरिष्ठ अधिकारियों से मदद की गुहार लगाई। अब मप्र के पशुपालन विभाग ने अब डॉ. देवेन्द्र वर्मा को नौकरी से हटाने की तारीख से अब तक की बकाया सैलरी और बाकी देयकों का भुगतान करने का आदेश दिया है।

मप्र पशुपालन विभाग का आदेश(पेज1)

मप्र पशुपालन विभाग का आदेश(पेज 2)

दिवंगत डॉक्टर देवेन्द्र वर्मा के परिवार में उनकी पत्नी सावित्री के अलावा एक बेटा और चार बेटियां हैं। डॉ. वर्मा के बेटे राहुल ने बताया कि पिताजी की मौत 59 साल में हुई थी। अगर सरकार हाईकोर्ट के आदेश का पालन करते हुए उनकी सेवा में वापसी करा देती तो वे नौकरी कर रहे होते। नियमों के मुताबिक अब पशु चिकित्सा विभाग को अनुकंपा नियुक्ति का आदेश जल्दी जारी करना चाहिए।राहुल ने बताया कि पिताजी पर मामला दर्ज होने के बाद साल 1999 में उन्हें बर्खास्त करके वेतन और सभी भत्ते मिलने बंद हो गए। हमारे परिवार को इस दौरान सामाजिक तौर पर कई परेशानियों का सामना करना पड़ा। खेती करके परिवार का भरण पोषण किया। कर्ज लेकर चार बहनों की जैसे-तैसे शादी की। बाद में पिताजी बेदाग बरी हो गए, लेकिन 26 साल तक पिताजी के माथे पर रिश्वत का कलंक लगा रहा।

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