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ELECTION 2023 : “नक्सलगढ़” में जहां मतदान करना सबसे बड़ा खौफ,लाल आतंक के उसी गढ़ में कलेक्टर और SSP मतदान प्रतिशत बढ़ाने कर रहे….

जगदलपुर 19 अगस्त 2023। छत्तीसगढ़ में साल के आखिर में चुनाव हैं, ऐसे में एक ओर जहां राजनीतिक दल सियासी दांव-पेच में जुटे हुए हैं। वहीं दूसरी तरफ पुलिस और प्रशासन शांति पूर्ण ढंग से चुनाव संपन्न कराने की तैयारी में कर रही हैं। इन सब से इतर छत्तीसगढ़ में ऐसे भी इलाके हैं जहां मतदान करना और मतदान कराना पुलिस और प्रशासन के लिए एक बड़ी चुनौती हैं। जीं हां हम बात कर रहे हैं बस्तर के धुर नक्सल प्रभावित क्षेत्रों की जहां आज भी लाल आतंक का खौफ इस कदर कायम हैं कि लोग अपना मताधिकार का उपयोग करने से भी खौफ खाते हैं। ऐेसे में बस्तर कलेक्टर विजय दयाराम के. और एसएसपी जितेंद्र सिंह मीणा ने ऐसे धुर नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में मताधिकार का अलख जगाने की मुहिम शुरू की हैं।

बस्तर को छत्तीसगढ़ का स्वर्ग कहा जाता हैं, लेकिन इसी बस्तर की एक पहचान नक्सलगढ़ के रूप में भी की जाती हैं। छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद पूरे प्रदेश के साथ ही नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में भी तेजी से विकास हुआ। सड़क,स्कूल,अस्पताल और बिजली की सुविधा पहुंचने से लोगों के जीवन और रहन-सहन में बदलाव देखा जा सकता हैं। लेकिन बस्तर के कई इलाके आज भी ऐसे है,जहां लाल आतंक का खौफ लोगों के दिलों-दीमाग में समाया हुआ हैं। खास कर चुनाव के वक्त माआवादियों के अल्टीमेटम के बाद भोले-भाले आदिवासी अपने मताधिकार का प्रयोग करने से भी काफी खौफ खाते हैं। छत्तीसगढ़ में एक बार फिर पूरी सरकार,शासन-प्रशासन चुनावी मोड पर हैं।

ऐसे में बस्तर के संवेदनशील कलेक्टर विजय दयाराम के. और एसएसपी जितेंद्र सिंह मीणा ने बस्तर के ऐसे धुर नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में मतदान जागरूकता की अलख जगाने की मुहिम शुरू की हैं। जगदलपुर कलेक्टर विजय दयाराम ने बताया कि उनके द्वारा क्षेत्र में सबसे कम मतदान होने वाले बूथों की जानकारी इकट्ठी की गयी हैं। इन्ही बूथो में एक जगदलपुर के अतिसंवेदनशील क्षेत्र के सुदूर ग्राम कलेपाल हैं। यहां पिछले चुनाव में मौजूदा आबादी के मुकाबले सिर्फ 5 फीसदी मतदान हुआ था। कलेक्टर ने बताया कि कलेपाल मुख्य रूप से दंतेवाड़ा और सुकमा जिले के सीमा में स्थित है। इस जगह का पहुँच मार्ग दंतेवाड़ा जिले के कटेकल्याण ब्लॉक से होकर जाता है। संवेदनशील इस कलेपाल गाँव में नक्सल गतिविधियों के कारण विकास कार्यों की गति काफी धीमी है, लगभग 5 किलोमीटर सड़क मार्ग के पुल-पुलिया को नक्सलियों द्वारा क्षतिग्रस्त किया गया है।

लिहाजा शनिवार को धुर नक्सल प्रभावित कलेपाल गांव में खुद कलेक्टर और एसएसपी पहुंचे। यहां कलेक्टर विजय दयाराम के. ने कलेपाल मतदान केंद्र की व्यवस्था का अवलोकन करने के बाद गांव के लोगों के साथ बैठक की। कलेक्टर ने गांव के मतदाताओं को मताधिकार के उपयोग और अधिकार की जानकारी देते हुए ज्यादा से ज्यादा मतदान करने के लिए प्रेरित किया गया। गांव वालों को जागरूक करते हुए बताया कि गांव के विकास के लिए मतदान करना जरूरी है। अगर मतदाता अपने मतों का उपयोग करेंगे तो जनप्रतिनिधि भी विकास कार्यों को गाँव तक पहुंचाने के लिए तत्पर होंगे। मतदान केंद्र में आयोजित विशेष शिविर में कलेक्टर के निर्देश पर मतदाता सूची का वाचन किया गया और जिनका मतदाता सूची में नाम छूटा है उनको जोड़ने के निर्देश बीएलओ को दिए। कलेक्टर विजय दयाराम के. ने बताया कि कलेपाल में 400 से अधिक मतदाता है।

लेकिन वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में इस मतदान केंद्र से लगभग पांच फीसदी ही मतदान किया गया था। ऐसे में इस गांव के लोगों से बात करन और उन्हे मतदान के अधिकार और महत्व को लेकर जागरूक करना जरूरी था। इसीलिए शनिवार को ही इस गांव में जाने का फैसला किया गया। कलेक्टर ने बताया कि नक्सलियों के उत्पात के कारण गांव तक के सड़क और पुल-पुलिया का काम अधूरा हैं,बारिश के कारण गांव तक चार पहियां वाहन नही पहुंच सकते थे, बावजूद इसके बाइक से उन्होने गांव तक का सफर तय किया। ताकि गांव के लोगों को मतदान के प्रति जागरूक करने के साथ ही उनके अधिकार की जानकारी देकर जागरूक किया जा सके। कलेक्टर विजय दयाराम के. ने बताया कि बस्तर के ऐसे चिन्हांकित बूथ जहां मतदान प्रतिशत कम रहे, वहां शिविर लगाकर ग्रामीणों को मतदान के प्रति लगातार जागरूक किया जा रहा हैं। उन्होने बताया कि धुर नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में खुद ही एसएसपी के साथ पहुंचकर इस जागरूकता अभियान को रफ्तार दिया जा रहा हैं।

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