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चुनावी मंथन : राजस्व मंत्री जयसिंह के विजय रथ को लखन और विकास की जोड़ी ने कर दिया ध्वस्त,कलेक्टर-एसपी का तबादला….सटीक रणनीति पर नितिन नबीन का दांव पड़ गया भारी…..!

रायपुर 5 दिसंबर 2023। छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की करारी हार ने एक बार फिर साल 2018 के विधानसभा चुनाव की याद को ताजा कर दिया है। उस वक्त बीजेपी की बुरी तरह से हुई हार में तीन-तीन बार के मंत्रियों को हार का सामना करना पड़ा था और मौजूदा चुनाव में कांग्रेस के कद्दावर और दंबग मंत्रियों को जनता ने धूल चटा दिया। प्रदेश की हाई प्रोफाईल सीटों में एक कोरबा विधानसभा भी इस चुनाव में सबसे ज्यादा चर्चा का विषय बना हुआ है। यहां से कांग्रेस के राजस्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल की सारी रणनीति पर बीजेपी प्रत्याशी लखनलाल देवांगन और विकास महतो की जोड़ी भारी पड़ गयी। माना जा रहा है कि इस ऐतिहासिक जीत में संगठन सह प्रभारी नितिन नबीन का चुनाव से महज एक सप्ताह पहले कोरबा में की गयी बैठक ने अहम रोल अदा किया।

छत्तीसगढ़ की राजनीति में औद्योगिक नगरी के नाम से मशहूर कोरबा जिला का अहम रोल रहता है। राजस्व के मामले में अव्वल रहने वाला कोरबा जिला पिछले 5 सालों में कोल स्कैम और ईडी की कार्रवाई से लेकर राजस्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल का ब्यूरोक्रेट के साथ सीधी लड़ाई को लेकर भी सुर्खियों में रहा। कोरबा के राजनीतिक पृष्ठभूमि की बात करे तो इसे साल 2023 के 2 दिसंबर तक कांग्रेस का गढ़ माना जाता था। लेकिन इसी कांग्रेस के गढ़ से बीजेपी के लखनलाल देवांगन ने मंत्री जयसिंह अग्रवाल को पटखनी देकर चारो खाने चीत कर दिये। लगातार तीसरे बार विधायक बनने के बाद 2018 में प्रदेश में कांग्रेस की सरकार आने के बाद जयसिंह अग्रवाल का कद बढ़ा और उन्हे कैबिनेट में राजस्व मंत्री की बड़ी जिम्मेदारी मिली। जयसिंह अग्रवाल के राजस्व मंत्री बनने के बाद उनके समर्थकों के साथ ही जिले की जनता की अपेक्षाए बढ़ गयी थी।

जनता को क्षेत्र के विकास और समस्याओं से निजात की उम्मींद थी। लेकिन नगर निगम में पिछले 10 साल से कांग्रेस के महापौर और सूबे में सरकार होने के बाद भी कुछ विशेष नही हो सका। उल्टे राजस्व मंत्री के कलेक्टर-एसपी से विवाद के कारण क्षेत्र में होने वाले कई कार्य बाधित हुए। कुल मिलाकर देखा जाये तो जिले में कलेक्टर-एसपी से तनातनी और प्रदेश में मुख्यमंत्री के गुड बूक से हट चुके जयसिंह अग्रवाल मंत्री रहने के बाद भी हासिये पर रहे। यहीं वजह रही कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कोरबा विधानसभा में भेंट मुलाकात कार्यक्रम करने से भी परहेज किया। चुनावी साल में कांग्रेस ने लगातार चौथी बार जयसिंह अग्रवाल को अपना प्रत्याशी बनाया गया। लेकिन मंत्रीजी को कलेक्टर-एसपी से लड़ाई का चुनावी दंगल में नुकसान का अनुमान था। लिहाजा जयसिंह अग्रवाल ने अपनी जीत सुनिश्चित करने कलेक्टर संजीव कुमार झा का तबादला करा दिया।

हाईकमान के आदेश पर संजीव झा को बिलासपुर और मंत्री के पसंद पर बिलासपुर से सौरभ कुमार को कोरबा का कलेक्टर बनाया गया। उधर आचार संहिता लगते ही निर्वाचन आयोग ने शिकायतों के बाद कोरबा एसपी यू.उदय किरण को जिले से हटा दिया। एसपी-कलेक्टर के हटने के बाद राजस्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल को बीजेपी प्रत्याशी लखनलाल देवांगन से अपनी जीत सुनिश्चित लग रही थी। बताया तो ये भी जाता है कि मंत्रीजी ने बकायदा लखन देवांगन के खेमे में सेंधमारी भी कर ली थी। लेकिन इसी बीच चुनाव से महज सप्ताह भर पहले संगठन सह प्रभारी नितिन नबीन ने कोरबा पहुंचकर चुनाव की अहम जिम्मेदारी विकास महतो को सौंपी गयी। इसके बाद अमित शाह की चुनावी रैली की कमान संभालने के साथ लखनलाल देवांगन की जीत में विकास महतो का अहम रोल रहा। हर बार पार्टी की गुटबाजी के कारण हार का सामना करने वाली बीजेपी को ऐन वक्त में नितिन नबीन ने एकजुट कर नई संजीवनी दी और बीजेपी ने रिकार्ड मतों से जीत दर्ज कर कांग्रेस के इस गढ़ को पूरी तरह से ध्वस्त कर दिया।

मंत्री के अपनों ने डूबो दी नईया……

राजस्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल के हार की एक वजह उनके करीबी नेता भी रहे। आपको बता दे कि कोरबा विधानसभा का पूरा क्षेत्र नगर निगम में आता है। पिछले 10 वर्षो से कोरबा नगर निगम में कांग्रेस का कब्जा है। लिहाजा निगम पर पूरा नियंत्रण राजस्व मंत्री के हाथों में ही है। ऐसे में नगर निगम के महापौर राजकिशोर प्रसाद और सभापति श्याम सुंदर सोनी के कंधो पर निगम क्षेत्र के विकास की अहम जिम्मेदारी थी। लेकिन दोनों नेताओं ने अहम पद पर रहने के बाद भी नगर निगम क्षेत्र तो दूर अपने वार्ड तक की जनता का दिल नही जीत पाये।

यहीं वजह है कि निगम के महापौर और सभापति के वार्ड से भी राजस्व मंत्री का लोगों का साथ नही मिल सका। वहीं कोरबा में सड़क,प्रदूषण,पाॅवर प्लांट से निकलने वाले राख को लेकर होने वाली मनमानी से लोग पूरे 5 साल त्रस्त रहे। लेकिन मंत्रीजी ने जनता की इस समस्या की ओर उतनी गंभीरता नही दिखाई। वहीं कुशल रणनीतिकार कहे जाने वाले राजस्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल ने सारे इस चुनाव में हर छोटे-बड़े संगठन और समाज को साधने में सफल रहे, लेकिन जनता जर्नादन को साध पाने में सीधे तौर पर नाकाम रहे। यहीं वजह है कि तीन बार के विधायक और मंत्री रहने के बाद भी जनता ने जयसिंह अग्रवाल को सिरे से खारिज कर दिया।

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