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DA-HRA का पूरा कैलकुलेशन: महंगाई भत्ता- गृहभाड़ा भत्ता का कितना हो रहा नुकसान … राजेश चटर्जी के इस कैलकुलेशन को पढ़िये, खुद समझ जायेंगे हड़ताल क्यों हो रहा है ?

रायपुर 21 मई 2022। छत्तीसगढ़ में अनिश्चितकालीन हड़ताल शुरू हो गया है। प्रदेश के करीब 4 लाख कर्मचारी कल से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जा रहे हैं। न्यायिक कर्मचारी संघ के अलावे तहसीलदार, नायब तहसीलदार, आधा दर्जन शिक्षक संगठन के अलावे कर्मचारी अधिकारी फेडरेशन से जड़े 80 से ज्यादा संगठनों ने अनिश्चतकालीन हड़ताल में शामिल होने का ऐलान कर दिया है। मतलब इस आंदोलन से ना सिर्फ सरकारी दफ्तरों में कामकाज प्रभावित होगा, बल्कि स्कूलों में ताले लटकेंगे। सबसे अहम बात ये है कि कोर्ट का कामकाज भी बुरी तरह से प्रभावित होगा। ये पहला मौका होगा, जबकि न्यायिक कर्मचारी संघ इस आंदोलन में शामिल हुआ है।

आखिर कर्मचारी, अधिकारी और शिक्षक संवर्ग क्यों नाराज है ? 6 प्रतिशत डीए बढ़ने के बाद भी क्यों नाराजगी खत्म नहीं हुई कर्मचारियों की? आंदोलन में इस बार क्यों दिख रहा है इतना आक्रोश ? ….जवाब देने के लिए हमने छत्तीसगढ़ प्रदेश शिक्षक फेडरेशन के प्रांताध्यक्ष और कर्मचारी-अधिकारी फेडरेशन के सचिव राजेश चटर्जी से समझने की कोशिश की, कि आखिर कर्मचारियों की इतनी ज्यादा नाराजगी क्यों हैं ? … जो दावे किये जा रहे हैं कि कर्मचारियों-अधिकारियों को हर महीने हजारों रूपये का नुकसान हो रहा है, उस दावे में क्या सच्चाई है? …आखिर कितना हो रहा है हर माह कर्मचारियों को डीए-HRA नहीं मिलने से नुकसान। राजेश चटर्जी ने पूरा कैलकुलेशन बताया, कि आखिर अलग-अलग वर्ग के कर्मचारियों को हर महीने कितना नुकसान उठाना पड़ रहा है…

राजेश चटर्जी का पूरा कैलकुलेशन समझिये

6 % डी ए के बाद भी 22 अगस्त 22 से अनिश्चितकालीन हड़ताल आखिर क्यों ?
मुद्दा (1) :-

“केंद्र के समान देय तिथि से 34 % महँगाई भत्ता”
राज्य शासन के द्वारा प्रदेश के 407862 कर्मचारी-अधिकारियों को केंद्र के समान देय तिथि से महँगाई भत्ता (डी ए) का क़िस्त स्वीकृत नहीं करने के कारण चरणबद्ध प्रतिमाह वेतन में कटौती हुआ है।
-: पहला चरण :-
केंद्र शासन ने 1 जनवरी 2019 के 12 % महँगाई भत्ता में 5 % वृध्दि कर 1 जुलाई 2019 से 17 % घोषित किया था। लेकिन राज्य शासन ने 1 जुलाई 2021 से महँगाई भत्ता में 5 % वृध्दि किया। जिसके कारण 1 जुलाई 2019 से 30 जून 2021 तक अथार्त 2 वर्ष प्रदेश के कर्मचारी अधिकारियों को कुल वेतन भाग में 5 % कटौती किया है।
दूसरा चरण:-
केन्द्र सरकार ने 1 जनवरी 20 का 4 %,1 जुलाई 20 का 3 % तथा 1 जनवरी 21 का 3 % कुल 11 % डी ए में वृद्धि अथार्त 17% से 28 % को 1 जुलाई 21 से प्रभावशील किया था। लेकिन राज्य शासन द्वारा डी ए में 5 % का वृध्दि 1 मई 22 से करने के कारण 1 जुलाई 21 से 30 अप्रैल 22 तक कुल 10 माह में 17 % कटौती वेतन भाग में किया है।
तीसरा चरण:-
केंद्रीय कर्मचारियों को फिलहाल 34 % डी.ए. लेकिन राज्य के कर्मचारियों को 22 % डी.ए. मिल रहा है जोकि 1 मई 22 से प्रभावशील है। जिसके कारण राज्य के प्रत्येक कर्मचारी-अधिकारी के मासिक वेतन में 12 % कटौती 1मई 22 से आज पर्यन्त प्रतिमाह हो रहा है। यह सरासर अन्याय है

(X) डी.ए. में हुए निरंतर कटौतियों के कारण मूल वेतन अनुसार आर्थिक क्षति ?

  • ₹20000 को ₹ 65200 ;
  • ₹30000 को ₹ 97800;
  • ₹40000 को ₹ 130400;
  • ₹50000 को ₹ 163000;
  • ₹60000 को ₹ 195600 ;
  • ₹70000 को ₹ 228200;
  • ₹80000 को ₹ 260800;
  • ₹90000 को ₹ 293400 ;
  • ₹100000 को ₹ 326000 ;
  • ₹110000 को ₹ 358600
  • ₹120000 को ₹ 391200
  • का आर्थिक नुकसान 1जुलाई 2019 से 30 अप्रैल 2022 तक तथा 1 मई 2022 के स्थिति में हुआ है। उपरोक्त वेतन के आसपास वेतन पाने वाले कर्मचारी-अधिकारी अपना लगभग आर्थिक नुकसान का आंकलन कर सकते हैं।

आर्थिक क्षति का चौथा चरण

6 % डी ए की घोषणा !

फिर भी 22 अगस्त 22 से अनिश्चितकालीन हड़ताल !
आखिर क्यों ?
अब तो डी.ए 22 % से 28 % हो गया है


हमें समझना और समझाना होगा ?

राज्य शासन ने डी ए 22 % में 6 % वृद्धि कर डी ए 28 % को 1अगस्त 2022 से प्रभावशील किया है! केंद्र शासन में 28 % डी ए 1 जुलाई 2021(देय तिथि) से प्रभावशील है।
राज्य सरकार ने पुनः 13 माह के अवधि में 6 % कटौती हमारे वेतन भाग में किया है!

(Y) 1 जुलाई 21 से 31जुलाई 22 तक 13 माह में 6 % के दर पर आपको हुए आर्थिक क्षति का आकलन!

  • ₹20000 को ₹15600
  • ₹30000 को ₹23400
  • ₹40000 को ₹31200
  • ₹50000 को ₹39000
  • ₹60000 को ₹46800
  • ₹70000 को ₹54600
  • ₹80000 को ₹62400
  • ₹90000 को ₹70200
  • ₹100000 को ₹78000
  • ₹110000 को ₹85800
  • ₹120000 को ₹93600

(X) और (Y) का योग केवल डी ए में आपको आर्थिक क्षति हुआ है !

हमारा पहला मुद्दा केवल इतना है कि राज्य सरकार भी केंद्र सरकार के समान देय तिथि से महँगाई भत्ता (डी ए) किश्त स्वीकृति आदेश जारी करे।

एच आर ए का गणित ?
मुद्दा (2) :-
"सातवे वेतन में गृहभाड़ा भत्ता"

राज्य में पुराना प्रचलित दर 10 % एवं 7 % है जोकि शहर वर्गीकरण अनुसार सातवे वेतनमान में फिलहाल 18 % एवं 9 % है।
राज्य के कर्मचारियों को सातवे वेतन में गृहभाड़ा भत्ता (एच आर ए) 1 जनवरी 2016 से नहीं दिया गया है। उनको आज पर्यन्त छटवे मूलवेतन पर पुराने दर में दिया जा रहा है।
यह सरासर अन्याय है।

उदाहरण:-

7 वाँ मूलवेतन ₹25000
एच आर ए
(A) मिलना था
@ 18 % ₹ 4500
@ 9 % ₹ 2250

(B) माँग रहे हैं
@10 % ₹ 2500
@ 7 % ₹ 1750

(C) मिल रहा है
7 वाँ वेतन= ₹ 25000 का
6 वाँ वेतन =₹ 9728 पर
@ 10 % ₹ 973
@ 7 % ₹ 681

कर्मचारियों को नुकसान
अंतर की राशि (प्रतिमाह)

(B)-(C)
@ 10 %
₹ 2500 – ₹ 973 = ₹1527 (प्रतिमाह)
@ 7 %
₹ 1750 – ₹ 681= ₹1069 (प्रतिमाह)
राज्य शासन एच आर ए के मामले में कर्मचारियों के हक का न्यूनतम ₹ 43.6 करोड़ प्रतिमाह भुगतान नहीं कर रही है! गणना केवल मूलवेतन ₹25000 पर है।

हमारा दूसरा मुद्दा यह है कि राज्य सरकार छटवे वेतनमान के स्थान पर सातवे वेतनमान में हमें गृहभाड़ा भत्ता स्वीकृत करे।

अपने हक के लिए लड़ना है,फैसला आपको करना है

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