बिग ब्रेकिंगहेडलाइन

हाईकोर्ट : सहायक प्राध्यापक के एक पद सुरक्षित रखने का निर्देश… हाईकोर्ट ने शासन से मांगा जवाब

बिलासपुर 9 अक्टूबर 2022। हाईकोर्ट ने छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग में निकाली गई 1384 सहायक प्राध्यापक के पदों पर भर्ती मामले में दायर याचिका पर सुनवाई करते हुवे सहायक प्राध्यापक (राजनीती विजानं) का एक पद याचिकाकर्ता के लिए रिक्त रखने का निर्देश दिया है एवं कोर्ट ने शासन से जवाब मांगा है।

बिलासपुर निवासी गौरव रंजन यादव ने हाई कोर्ट में अधिवक्ता मतीन सिद्दीकी एवं नरेन्द्र मेहेर के माध्यम से रिट याचिका दायर की जिसमे बताया गया की दिनांक 23.01.2019 को छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग ने 1384 पद सहायक प्राध्यापक के लिए विज्ञापन जारी किया था| इस पर याचिकाकर्ता ने सहायक प्राध्यापक (राजनीती विज्ञान) पद के लिए आवेदन किया, उपरोक्त विज्ञापन में 50 पद और 9 पद बैकलाक कुल 59 पद जिसमे से 22 पद अनारक्षित 06 अनुसूचित जाती 16 अनुसूचित जनजाति तथा 6 अन्य पिछड़ा वर्ग तथा 9 पद बैकलाक से जिसमे 8 अनुसूचित जनजाति 1 अन्य पिछड़ा वर्ग आवेदन आमंत्रित किया गया था, गौरव रंजन यादव ने अनारक्षित वर्ग से आवेदन प्रस्तुत किया और परीक्षा दिया परीक्षा उत्तीर्ण होने के बाद छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग द्वारा अंतिम चयन सूची जारी किया गया जिस पर गौरव रंजन यादव का नाम प्रतीक्षा सूची में चौथे क्रम में था, दिनांक 25.01.2022 और 20.07.2022 को लोक सेवा आयोग द्वारा सहायक प्राध्यापक (राजनीती विज्ञानं) के 56 पद हेतु नियुक्ति आदेश जारी कर दिया गया, और 3 पदों हेतु नियुक्ति आदेश जारी क्या जाना बाकि था किन्तु वर्ष 2012 में तत्कालीन सरकार ने 50 प्रतिशत से बढ़ाकर 58 प्रतिशत आरक्षण देने का फैसला किया था इससे क्षुब्ध होकर कुछ याचिकाकर्तओं में अधिवक्ता मतीन सिद्दीकी के माध्यम से याचिका लगाई थी याचिका में निवेदन किया था की 50 प्रतिशत से ज्यादा का आरक्षण का प्रावधान गलत है, जिस पर सुनवाई करते हुए माननीय हाईकोर्ट के डिवीजन बेंच फैसला सुनते हुए यह आदेश दिया की 50 प्रतिशत से ज्यादा का आरक्षण असंवैधानिक है.

तत्कालीन सरकार द्वारा छत्तीसगढ़ में 58 प्रतिशत आरक्षण दिया गया था जिसमे 32 प्रतिशत अनुसूचित जनजाति, 12 प्रतिशत अनुसूचित जाती, १४ प्रतिशत अन्य पिछड़ा वर्ग था किन्तु माननीय हाई कोर्ट के डिवीजन बेंच फैसला आने के बाद छत्तीसगढ़ में 50 प्रतिशत आरक्षण नियम लागु होना है जिसमे 20 प्रतिशत अनुसूचित जनजाति, 16 प्रतिशत अनुसूचित जाती, १४ प्रतिशत अन्य पिछड़ा वर्ग का बनता है,

यहकी सहायक प्राध्यापक (राजनीती विज्ञानं) के 59 पदों में से 56 पदों मैं पहले से ही नियुक्ति आदेश जारी किया जा चूका है ऐसे तो 50 प्रतिशत से ज्यादा का आरक्षण असंवैधानिक है लेकिन 03 पदों पर नियुक्ति आदेश जारी किया जाना बाकि है यदि 50 प्रतिशत आरक्षण नियम लागु करते हैं तो अनारक्षित के 04 पद बढ़ते हैं, और अनारक्षित वर्ग के अभ्यर्थी गौरव रंजन यादव जिनका नाम प्रतीक्षा सूचि के चौथे क्रम में हैं का चयन होगा

गौरव रंजन यादव द्वारा डिवीजन बेंच के आदेश के में तथा छत्तीसगढ़ लोक सेवा अनुसूचित जातियों जनजातियों और अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षण अधिनियम 1994 के तहत छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग के सहायक प्राध्यापक (राजनीती विज्ञानं) पदों पर नियुक्ति करने हेतु माननीय हाई कोर्ट में याचिका प्रस्तुत किया जिसकी सुनवाई जस्टिस पार्थ प्रतीम साहू की सिंगल बेंच में हुई, याचिका पर सुनवाई करते हुए सहायक प्राध्यापक (राजनीती विज्ञानं) का एक पद याचिकाकर्ता के लिए रिक्त रखने का निर्देश दिया है एवं कोर्ट ने शासन से जवाब मांगा है।

Back to top button