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इस गांव में रंग से नहीं बल्कि अंगारों से खेली जाती है होली, जानिए कहाँ होता है ये परंपरा

Holi 2023: रंगों का पर्व यानि होली परंपराओं का भी पर्व है। इस दिन लोग एक दूसरे को गुलाल-अबीर लगाकर होली की शुभकामनाएं देते हैं। आपने बरसाने की लठ्ठ मार होली के बारे में सुना होगा। लेकिन, क्या आपको पता है कि भारत में अलग-अलग जगहों पर होली पर अंगारों से लेकर पत्थर तक फेंके जाते हैं। वहीं, कुछ जगहों पर होली को शोक के रूप में भी मनाया जाता है। भारत में एक ऐसा गांव भी है, जहां लोग इस पर्व को नहीं मनाते हैं। आज हम आपको इस लेख के माध्यम से होली से जुड़ी कुछ रोचक जानकारी बताएंगे।

भारत में होली रंगों के साथ खेली जाती है लेकिन गोवा के मोल्कोर्नेम गांव में दृश्य थोड़ा अलग है, जहां लोग गर्म अंगारे उछालते हैं जो उनके ऊपर गिरते हैं और इस अनोखे तरीके से वे यह त्योहार मनाते हैं। इस पर्व को ‘शेनी उजो’ कहा जाता है। कोंकणी में, ‘शेनी’ का अर्थ है उपला और ‘उजो’ शब्द का अर्थ आग। होली का पर्व दक्षिण गोवा में पणजी से 80 किलोमीटर दूर स्थित मोल्कोर्नेम गांव में एक अलग और अनोखे तरीके से मनाया जाता है, जहां इस अनुष्ठान के दौरान लोग खुद पर अंगारे बरसाते हैं। हालांकि उन्हें यह नहीं पता कि यह परंपरा कब से चली आ रही है।

गांव के एक निवासी कुशता गांवकर ने कहा, ‘‘किसी को यह तो नहीं पता कि यह परम्परा कब से चली आ रही है, लेकिन ‘शेनी उजो’ हमारी मंदिर संस्कृति का अभिन्न हिस्सा है। होली के त्योहार की पूर्व संध्या पर हर साल इस परम्परा का पालन किया जाता है।”

होली की पूर्व संध्या पर सैकड़ों लोग श्री मल्लिकार्जुन, श्री वागरोदेव और श्री झालमीदेव सहित विभिन्न मंदिरों के बीच खुले स्थान पर एकत्रित होते हैं और ‘शेनी उजो’ अनुष्ठान किया जाता है। अनुष्ठान स्थल के आसपास 43 शिवलिंग है। गांव के अनुसार, ‘शेनी उजो’ की तैयारी होली के त्योहार से करीब एक पखवाड़े पहले शुरू कर दी जाती है। उन्होंने बताया कि इस अनुष्ठान में हिस्सा लेने वालों को शाकाहारी भोजन करना होता है और विभिन्न व्यसनों से स्वयं को दूर रखना होता है।

गांव के एक अन्य निवासी सोनू गांवकर ने कहा, ‘‘अनुष्ठान में लोग नंगे पांव हिस्सा लेते हैं. अनुष्ठान पूरी रात जारी रहता है। प्रतिभागी पास के मैदान में एकत्रित होने से पहले मंदिरों के चारों ओर दौड़ते हैं। एक तरह से तेज गति से मंदिर की परिक्रमा की जाती है। लोग फिर तड़के उपले जलाते हैं और उन्हें ऊपर उछाल कर खुद पर अंगारे गिराते हैं। ”अनुष्ठान देखने आए लोग भी गिरते अंगारों के नीचे भाग सकते हैं।

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