क्राइम

CG: लोन घोटाला- फर्जी दस्तावेज पर रेलवे और सीएसआईडीसी कर्मचारी बनकर लिया करोड़ों का लोन, ऑडिट में लोन घोटाले का हुआ खुलासा, अब पुलिस कर रही……

बिलासपुर 14 अप्रैल 2022 । शातिर ठगों की जाल में अब बैंंक भी फंसने लगे है, जीं हां ताजा मामला बिलासपुर में संचालित ग्रामीण बैंक का है, जहां फर्जी दस्तावेजों पर रेल्वे और सीएसआईडीसी का कर्मचारी बताकर 10 से अधिक लोगों ने एक करोड़ 60 हजार रूपये की ठगी कर फरार हो गये है। आडिट रिपोर्ट में मामले का खुलासा होने के बाद अब बैंक प्रबंधन ने पुलिस में FIR दर्ज कराई है।

पूरा घटनाक्रम बिलासपुर जिला के तारबहार थाना क्षेत्र का है। बताया जा रहा है कि थाना क्षेत्र में छत्तीसगढ़ राज्य ग्रामीण बैंक संचालित है। बैंक की प्रबंधक अंकिता दुबे तारबहार पुलिस ने 10 लोगों के खिलाफ लोन के नाम पर धोखाधड़ी करने की नामजद रिपोर्ट दर्ज कराई है। बैंक मैनेजर अंकिता दुबे ने शिकायत दर्ज कराया है कि क्षेत्रीय कार्यालय से लोन प्रकरण का ऑडिट कराया गया। इसमें सात मामलों में लोन में गड़बड़ी सामने आई है। जांच में इस बात का खुलासा हुआ है कि लोन लेने वालों ने खुद को रेलवे और सीएसआइडीसी का कर्मचारी बताकर फर्जी दस्तावेज बैंक में प्रस्तुत किया गया और बैंक में खाता खुलवाने के बाद, इसी फर्जी दस्तावेजों के आधार पर अगस्त 2020 में लाखों रूपये के लोन ले लिये गये।

लोन लेने वालों में जरहाभाठा के ओमनगर निवासी भोका सिंह केंवटा, टिकरापारा शांति अपार्टमेंट निवासी कबला साईं नाग वेंकटेश, गणेश नगर निवासी अब्दुल शादाब, मसानगंज के अवस्थी बाड़ा निवासी रिकेश श्रीवास्तव, सागरदीप कॉलोनी निवासी पवन माली, तालापारा मरीमाई के पास रहने वाला आरिफ खान, कुम्हारपारा निवासी अजय रजक, अमेरी के शालोम टॉवर्स निवासी प्रफुल्ल कुमार बापट ने अलग-अलग करीब एक करोड़ 60 हजार रुपए का लोन बैंंक से ले लिया गया। लोने लेने के बाद कुछ पैसा जमा करने के बाद अब ये सभी खाता धारक लोन का पैसा जमा न कर फरार हो गये है।

बैंक मैंनेजर अंकिता दुबे ने रिपोर्ट में दर्ज कराया है कि लोन लेने वाले कथित रेलवे और सीएसआईडी कर्मचारियों ने 1 करोड़ 60 हजार रूपये के लोन में महज 26 लाख 70 हजार रुपए का किश्त जमा किया। फिर बाद में बकाया किश्त की राशि करीब 86 लाख 57 हजार रूपये जमा नही किये हैं। लोन की राशि जमा नही करने पर जब उनके दस्तावेजों की जांच की गयी तो आडिट मे इन सभी के कूटरचित दस्तावेजों का खुलासा हुआ। वही लोन के नाम पर फ्राड करने वाले लोगों को किरण राव और आरिफ खान नाम के एजेंट ने मिलकर लोन दिलाने में अहम भूमिका निभाई थी। उन्होंने बकायदा दस्तावेजों और लोन लेने वालों की पहचान की थी। जिसके बाद लोन की राशि सेंग्शन हुआ था। इस खुलासे के बाद से दोनों एजेंट भी फरार है।

तारबहार थाना प्रभारी शीतल सिदार ने बताया कि बैंक लोन देने और गड़बड़ी के इस केस में बैंक मैंनेजर की शिकायत पर अपराध पंजीबद्ध किया गया है। प्राथमिक जांच में सभी नामजद आरोपियों का पता फर्जी मिला है। पुलिस मामले की जांच कर रही है, साथ ही इस पूरे प्रकरण में तत्कालीन ग्रामीण बैंक के अफसरों की भूमिका की भी जांच की जा रही है। बैंक लोन देने के पहले दस्तावेजों की जांच कराई जाती है और भौतिक सत्यापन भी कराने का नियम है। लेकिन बैंक के जिम्मेदार अफसरों ने बिना दस्तावेजों की जांच कराये किस आधार पर लोन जारी कर दिया गया, इन सारी बिंदुओं पर पुलिस तफ्तीश कर रही है। इस पूरे प्रकरण में जो भी दोषी मिलेगा उसके खिलाफ भी अपराध दर्ज कर आगे कार्रवाई की जायेगी।

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