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newwaynews24 का “आयाम-2021: IAS राजेश राणा ने 8वीं में ही सोच लिया था कलेक्टर बनने के बारे में… IPS जितेंद्र शुक्ला से नाराज होकर 2 साल पिता ने नहीं की थी बात…. मेहमानों के दिलचस्प अनुभव बच्चों के लिए बने प्रेरणा…. मेहमानों ने दी सीख- “नाकामी ही कामयाबी की पहली पाठशाला…आलोचनाओं से घबराओं मत उसे चुनौती मानों”

रायपुर 4 दिसंबर 2021। newwaynews24.com के “आयाम-2021” का कारवां आज रायपुर के ITM यूनिवर्सिटी में था। … बच्चे थे…उनके खूब सारे सवाल थे और उन सवालों का बड़े ही बेबाकी से जवाब देने के मौजूद थे हमारे मेहमान। पूरे कार्यक्रम में ITM यूनियवर्सिटी के वाइस चांसलर डॉ विकास कुमार सिंह भी एक जिज्ञासु अतिथि के तौर पर मौजूद रहे।  “आयाम 2021” में आज के अतिथि 2008 बैच के IAS राजेश राणा और 2013 बैच के IPS जितेंद्र शुक्ला के संंघर्ष, धैर्य और सफलता की कहानी सुनकर बच्चे गदगद हो गये। छत्तीसगढ़ कैडर के इन दोनों शानदार अफसरों ने बच्चों को बताया कि असफलता ही आपके संघर्ष की पहली सीढ़ी होती है। असफलता को निराशा नहीं बल्कि चुनौती समझिये…दूसरों की आलोचना से अपने लक्ष्य और दृढ़ता को कमजोर मत कीजिये। अफसरों ने बच्चों को इन मिथक से भी दूर रहने को कहा कि बहुत ज्यादा पढ़ने वाले बच्चे ही IAS या IPS बनते हैं। लगन और समर्पण से कम वक्त की पढ़ाई भी कामयाबी के लिए काफी होती है। ITM यूनिवर्सिटी के बच्चों के साथ करीब 3 घंटे के सेशन में क्योश्चन-आंसर का दौर तो चला ही अतिथियों ने अपने संघर्ष के दौर के कुछ मजेदार किस्से भी साझा किये। मेहमानों से सवालों की शुरुआत ITM यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर विकास सिंह ने की।

बस कंडक्टर पिता ने नाराज होकर 2 साल बात नहीं की थी जितेंद्र शुक्ला से

अपने IPS बनने के दिलचस्प वाकये का जिक्र करते हुए IPS जितेंद्र शुक्ला ने बताया कि यूपी के इलाहाबाद के वो रहने वाले हैं। पिता बस कंडक्टर थे और उनका सपना था कि बेटा इंजीनियर बने। वो पढ़ने में मध्यम दर्जे के थे। क्लास बंक मारना और घंटों-घंटों भागकर क्रिकेट खेलना उनका शौक था। पिता की बात रखने के लिए उन्होंने इंजीनियरिंग की तैयारी शुरू की, लेकिन IIT के दो-तीन एटेंप में भी उन्हे अहसास हो गया कि ये इंजीनियरिंग उनके बस की बात नहीं है। घरवालों ने इसी बीच उनकी क्रिकेट छुड़वा दी। इस नाकामी और त्याग ने ही जितेंद्र शुक्ला के IPS बनने की राह तैयार की। साइंस स्टूडेंट रहे जितेंद्र शुक्ला ने अचानक से अपना स्ट्रीम चेंज किया और साइंस से आर्ट्स में चले आये। इधर पिता को ये जानकारी हुई कि जितेंद्र शुक्ला ने साइंस बैकग्राउंड छोड़ दिया है और आर्टस ले लिया है तो नाराज होकर उन्होंने 2 साल तक उनसे बात नहीं की। लेकिन तीसरे साल में जब जितेंद्र यूनिवर्सिटी के सेकंड टॉपर बने तो पिता अपनी नाराजगी भूल गये। हालांकि UPSC की राह जितेंद्र के लिए आसान नहीं थी. तीन बार की असफलता के बाद चौथी बार में उन्हें IPS बनने का सौभाग्य मिला। इस दौरान जितेंद्र शुक्ला ने स्टेट एग्जाम भी दिये, लेकिन दिल में इच्छा IPS बनने की थी। जितेंद्र शुक्ला ने अपनी इस सक्सेस स्टोरी के जरिये बच्चों को ये सीख दी, कि किसी के दवाब में पढ़ाई का फैसला मत लेना। पढ़ना वही तो जो दिल को अच्छा लगे। उन्होंने बताया कि पिता के दवाब में तो उन्होंने साइंस ले लिया था, लेकिन मुझे अच्छा ज्योग्राफी लगता था… मैं अगर साइंस लेकर पढ़ाई करता रहता, तो शायद कामयाब नहीं होता। मैंने अपने पसंद की पढ़ाई की और आज IPS हूं।

 

बच्चों को मिली नसीहत- नाकामी से विचलित मत होना

दोनों मेहमानों ने बच्चों को अपने अनुभवों को साझा करते हुए कहा कि नाकामी आपको मजबूत बनाती है। नाकामी से घबराओं मत, उसे चुनौती मानों….दोनों मेहमानों का UPSC में शुरुआती सामना प्रारंभिक परीक्षा की नाकामी से हुआ। लेकिन दोनों ने इस नाकामी को ही जीत के लिए जुनून बना लिया। IAS राजेश राणा ने कहा कि, आप कितना पढ़ते हो ये मायने नहीं रखता, आप पढ़ाई के बाद कितना कुछ उनमें से खुद के अंदर उतार पाते है ये मायने रखता है। IPS जितेंद्र ने बच्चों को कहा कि पढ़ाई के वक्त सिर्फ पढ़ाई होनी चाहिये, पढ़ाई में एकाग्रता होनी चाहिये। अगर 5 से 6 घंटे ही आपने पढ़ाई की और लगन से की, तो फिर उतना ही आपको UPSC पास करा देगा।

 

बच्चों ने पूछा- पहला इंटरव्यू कैसा रहा

इस दौरान ITM यूनिवर्सिटी के बच्चों ने IAS राजेश राणा और IPS जितेंद्र शुक्ला से इंटरव्यू के अनुभव को पूछा। IPS जितेंद्र शुक्ला ने बताया कि उनका पहला इंटरव्यू बहुत खराब था, उन्हें लग रहा था कब यहां से निकल जाऊं, क्योंकि वो पैनल के सवालों के जवाब में बुरी तरह उलझ गये थे। उन्होंने सीख दी कि इंटरव्यू में पैनल में बैठे लोगों को आप जैनुइन दिखें, उन्हे भ्रमित ना करें, नहीं तो एक के बाद एक सवालो में आप उलझते चले जायेंगे। अगर आप सही बातों को बतायेंगे तो शायद पैनल आपसे संतुष्ट हो जाये। वहीं राजेश राणा ने बताया कि इंटरव्यू से आपका मूल्यांकन होता है, पहले उन्हें लगता था कि सिर्फ अच्छा कपड़ा पहनकर और पैनल के पास बैठना होता है और पैनल के लोगों को हां में हां मिलाकर उन्हें खुश करना है, लेकिन पहले इंटरव्यू में उनका भ्रम टूट गया, उनका सेलेक्शन नहीं हुआ। हालांकि अगली बार उन्होंने अपनी नाकामी को दूर किया और फिर IAS में सेलेक्ट हो गये।

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