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“खबर पक्की है”: पोस्टिंग तुंहर द्वार…. अब अंदर की हर खबर आयेगी बाहर…

रायपुर 30 जनवरी 2022। NW न्यूज पर आज से सप्ताहिक कॉलम शुरू हो रहा है। इस खबर में “अंदर की खबर” सब बाहर आयेगी। नेता हो या मंत्री….कर्मचारी हो या शिक्षक….  कौन कितना सच्चा है और कितना झूठा ?… कौन कितना ईमानदार है और कौन कितना बेईमान ?… कौन कितना निकम्मा है और कितना सक्रिय ? …. कौन कितना शातिर है और कौन कितना बेवकूफ ? … नेता से लेकर अफसर तक ? हर किसी की अब खुलेगी पोल… हर रविवार आप तक “खबर पक्की है” आयेगा।

पोस्टिंग तुंहर दुआर

स्कूल शिक्षा विभाग ने “पढ़ाई तुहार द्वार” योजना चला रखी है , यह योजना कोरोना काल में बच्चों की पढ़ाई बाधित न हो इसलिए चालू की गई थी अब यह योजना कुछ जिला शिक्षा अधिकारियों और जेडी को इतनी रास आई कि उन्होंने “पोस्टिंग तुंहर द्वार” योजना चला दी , कार्यालयों के एजेंट उन लोगों की सूची लेकर बैठ गए जिनकी नई नियुक्ति होनी है या प्रमोशन होना है और घनघनाने लगा फोन , इधर जिनका चयन होना था वह भी हैरान थे कि आखिर हमारी गोपनीय जानकारी सामने वाले के पास कैसे हैं फिर जिसने सुर से सुर मिलाया उस से मोटी रकम लेकर उनका काम भी कर दिया गया और बाद में उन्हीं नए शिक्षकों में से कुछ एजेंट बन गए जिसमें से एक का ऑडियो वायरल हो गया और जिसकी गूंज अब शिक्षा विभाग के हर कार्यालय में हैं बताते हैं बस्तर से लेकर सरगुजा तक हर जगह का यही आलम है और अगर स्कूल शिक्षा विभाग थोड़ी सी भी मुस्तैदी दिखा दे तो जो करोड़ों का खेल हुआ है और अब जिसे अरबो तक पहुंचाने की कोशिश है उसका पता आसानी से शासन और प्रशासन को लग जाएगा क्योंकि पदोन्नति को लेकर भी यही दलाल गैंग सक्रिय है ।

कमाई का कुआं

बताते हैं कि जेडी कार्यालय में कमाई का अच्छा खासा जुगाड़ है इसीलिए संभाग का हर बड़ा खिलाड़ी अब वहां पहुंचना चाहता है बाबू से लेकर अधिकारी तक इस दौड़ में शामिल है ऐसे ही एक बड़े जेडी में जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय के दिग्गज बाबू पहुंच चुके हैं और दूसरे की तैयारी है लेकिन उनकी दाल अभी गल नहीं रही है । रेगुलर प्रधान पाठकों की पोस्टिंग में भी जमकर खेल हुआ था पहले पोस्टिंग आदेश जारी किए गए और फिर जमकर संशोधन किया गया अब स्वाभाविक बात है कि संशोधन बिना दक्षिणा के तो हुआ नहीं होगा ऐसे इस मामले में एक पहुंचे हुए आरटीआई एक्टिविस्ट ने संशोधनों की जानकारी भी मांग ली है जिसके बाद पूरे कार्यालय के ऊपर खतरे के बादल मंडरा रहे हैं क्योंकि मामले का राजनीतिकरण होना अब तय है और शिक्षा विभाग में बैठे उच्च अधिकारियों के भी कान ऑडियो वायरल कांड के बाद खड़े हो गए हैं ।

नहले पर दहला

पोस्टिंग का खेल खेलने वाले दलाल व्हाट्सएप कॉल करके खुद को महफूज समझ रहे थे लेकिन हो गया उल्टा…. व्हाट्सएप पर दलाल शिक्षक ने पूरे राज उगल दिए और यह सोचकर कहानी बताते रहे कि जितनी ज्यादा पहुंच बताऊंगा उतना केस मिलना आसान हो जाएगा लेकिन उन्हें पता नहीं था कि उनका व्हाट्सएप कॉल भी ऑडियो कॉल जैसा ही रिकॉर्ड हो रहा है शायद पैसा देकर पोस्टिंग पाने वाले गुरु जी को यह पता नहीं था की जिन की नौकरी अभी लगी नहीं है वह टेक्नोलॉजी के मामले में उनके भी उस्ताद हैं और हर प्रकार के कॉल को रिकॉर्ड करने का एप्लीकेशन आजकल मौजूद है इधर गुरु जी का तो नपना तय है लेकिन कार्रवाई में लेटलतीफी हुई तो यह भी तय हो जाएगा कि गुरु जी के ऊपर हाथ कार्यालय का ही है क्योंकि आधे घंटे लेट पहुंचने वाले गुरुजी को नोटिस थमाने वाला बिलासपुर जेडी कार्यालय इतने गंभीर मसले में भी जिस प्रकार चुप्पी लगाए बैठा है उससे यह तो साफ है कि दाल में कुछ काला है और कहते भी हैं की असली खेल तो ऊपर से ही हो रहा है नीचे तो केवल प्यादे हैं ।

बेलगाम पदाधिकारी, खामोश नेता

प्रमोशन के मसले पर सभी शिक्षक संगठनों में उठापटक का दौर जारी है चाहे मामला स्थानांतरण से वरिष्ठता का हो या फिर डबल स्नातक का या फिर एमए संस्कृत को स्नातक के लिए मान्यता देने का , संगठन के नेताओं की जान अटकी हुई है क्योंकि हर मसले पर उनके पदाधिकारी दो खेमे में बंटे हुए हैं और चाहते हैं कि उनके नेता जी उनकी आवाज बने लेकिन बने तो बने कैसे क्योंकि जिस भी पक्ष का साथ देंगे वह खेमा तो यह समझेगा कि यह उनका नैतिक हक था लेकिन जिसके विरोध में बात होगी वह संगठन त्यागने में जरा सी भी देरी नहीं करेगा क्योंकि मामला प्रमोशन का है। ऐसे कुछ संगठन में इसकी शुरुआत हो ही गई है और मामला न्यायालय तक भी पहुंच चुका है स्थानांतरण की वरिष्ठता मामले में चुप्पी एक संगठन को काफी भारी पड़ सकती है ऐसे ही एमए संस्कृत को अमान्य करने की मांग करने वाले एक नेता जी को भी यह मांग काफी भारी पड़ गई क्योंकि बस्तर से जशपुर तक एमए संस्कृत डिग्रीधारी गुरुजनों ने यह मान लिया कि यह उन्हें प्रमोशन से बाहर करने की साजिश है हालांकि इसमें गलती भी नेताजी की है कम से कम एक बार राजपत्र खोल कर देख तो लिया होता कि उसमें प्रावधान क्या है और क्या तत्कालिक यह प्रावधान बदल सकते हैं ।

खेल ज्ञापन का

प्रमोशन में कुल जमा 4 पोस्टों पर शिथिलता का मुहर लगा है लेकिन संगठनों का ज्ञापन देखें तो वह सात से आठ मुद्दे पर प्रमोशन करा रहे हैं इधर हमने अधिकारियों से बात की तो उन्होंने खुद कहा कि हम शिक्षक संगठनों के नेता को यह साफ बता चुके हैं कि जिन मुद्दों पर आप ज्ञापन सौंप रहे हैं उन पर हमारी तरफ से कुछ नहीं हो सकता जब सरकार की तरफ से कैबिनेट बैठक में प्रस्ताव पास होगा तभी इनका प्रमोशन होगा फिर भी संगठन वाले ज्ञापन थमा जाते हैं तो हम उन्हें मना तो नहीं कर सकते । बताया जा रहा है कि यह पूरा खेल केवल और केवल शिक्षकों को साधने का है नेताओं को यह बात अच्छे से पता है कि किन का प्रमोशन होगा और किन का नहीं… ऐसे में प्रमोशन सूची जारी होने के बाद लाइब्रेरियन और पीटीआई टीचर यदि अपना सिर पिटे और अपने मन को तसल्ली दे कि फलाना नेता ने उनके लिए मांग रखी थी तो उन्हें कम से कम एक बार राजपत्र खोल कर पढ़ लेना चाहिए कि शिथिलता कि पद के लिए हुई है और उनका प्रमोशन का पद कौन सा है काहे की झटका लगना तो तय है और जिन्हें वह देवता समझ रहे हैं दरअसल वह उन्हें मूर्ख बनाने से ज्यादा कुछ भी नहीं कर रहे हैं ।

नहीं करेंगे काउंसलिंग…. कर लो जो है करना

बताया जा रहा है कि जिस जेडी कार्यालय की बोली ट्रांसफर पोस्टिंग के लिए हमेशा सबसे अधिक होती है वहां के जेडी ने साफ-साफ कह दिया है की हम काउंसलिंग नहीं कराएंगे जो करना है कर लो यह हमारा विशेषाधिकार है हालांकि साहब को कौन समझाए कि ऐसा कोई भी विशेषाधिकार उन्हें नहीं मिला है और जो भी नियम कानून बनेगा पूरे प्रदेश के सभी जेडी कार्यालय के लिए एक साथ बनेगा पर कहा जाता है कि साहब ने पिछले बार इतने नोट कमा लिए हैं कि उन्हें लगता है कि उन्हें किसी और का गोठ सुनने की आवश्यकता ही नहीं है यह भी बताया जा रहा है कि इस खेल के बड़े खिलाड़ी और कुछ संगठनों के बड़े पदाधिकारी ने अधिकारी में पंप से हवा भर दी है कि आप ही सर्वशक्तिमान है और जैसा आप चाहेंगे वैसा ही होगा हालांकि अब मामला उछल कर उच्च कार्यालय तक पहुंच चुका है और ऐसे में किसी भी समय साहब का फोन घनघना जाए और उन्हें युटर्न मार कर काउंसलिंग कराना पड़ जाए तो कोई आश्चर्य की बात न होगी ।

खेल न्याय के नाम पर पैसा उगाही का

शिक्षकों के जितने मुद्दे हैं उतने ही मुद्दे न्यायालय में लंबित हैं हर मुद्दे पर शिक्षक न्यायालय पहुंच जाते हैं वह भी बिना तैयारी के और हार कर जब लौटते हैं तो सोशल मीडिया में लिख देते हैं “पूरा सिस्टम ही बिका हुआ है’ अब उन्हें कौन समझाए कि उन्हें उनके लोग ही खरीद और बेच रहे हैं । यू टर्न मारने के लिए मशहूर एक नेता ने प्रति शिक्षक 60 हजार की बोली लगाई है सुप्रीम कोर्ट से न्याय दिलाने के लिए… ऐसे ही एक नेता ने वेटेज दिलाने के नाम पर खेल खेला था और एक नेता संविलियन के पहले न्यायालय चलो का खेल खेलते थे सब ने वकीलों से मिलकर कमाई करी पर शिक्षकों को न्याय न मिला । ऐसे बिलासपुर संभाग के एक नेता ने तो खुद को लीगल सेल का चेयरपर्सन ही बना लिया है यह बात और है कि सफलता के नाम पर 0 बटा सन्नाटा ही है ।

ये जवाब जरूरी है :-

1) प्रमोशन में व्याख्याता को प्राचार्य बनाने की रियायत क्यों नही मिली ?? और प्रमोशन यदि हो रहा है तो इसका क्रेडिट किस संगठन को मिलना चाहिए ??

2) किस शिक्षक संगठन के नेता को घेरने के लिए अलग-अलग कार्यालयों में आरटीआई के आवेदन पहुंच रहे हैं ??

आपके पास भी कोई अंदर की पक्की खबर है, जरूर बताईयेगा।

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