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NW न्यूज स्पेशल: वनवासियों के लिए वरदान है भूपेश सरकार, बारुद नहीं अब विकास से बन रही है बस्तर की पहचान, सड़क, स्वास्थ्य व शिक्षा से बदल रहा है बस्तर

रायपुर 12 सितंबर 2023“5 साल पहले जब यहां मुझे बुलाया जाता था तो सड़क मार्ग से आते थे, कार्यक्रम में भाषण देते हुए धीरे से कोई कहता था भैया ! जल्दी खत्म करो वापस जाना है। लेकिन आज बीजापुर बदल रहा है। बीजापुर में बदलाव आया है। बीजापुर के लोगों में विश्वास बढ़ा है” मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने बेशक ही ये बातें बीजापुर के संदर्भ में 18 सितंबर 2023 की सभा में कही थी, लेकिन हकीकत में ये बदलाव और विकास, बस्तर के हर उस छोर से महसूस की जा रही है और लोगों को अहसास भी करा रही है। भूपेश सरकार के 56 महीने के शासन में बस्तर के हर हिस्सों में बदलाव की तस्वीर साफ नजर आती है। फिर चाहे रहन-सहन की बात कर लें, या फिर शिक्षा, स्वास्थ्य या सड़क का उदाहरण ले लें।

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने शपथ लेने के तुरंत बाद से ही जो आदिवासी क्षेत्र की बेहतरी का प्रयास किया था, वो दौर आज भी जारी है। याद होगा आपको कि मुख्यमंत्री पद की शपथ ग्रहण के तत्काल बाद कैसे मुख्यमंत्री ने अपने कैबिनेट के सदस्यों के साथ सीधे मंत्रालय का रूख किया और एक घंटे के भीतर आदिवासी हितों के लिए ताबड़तोड़ निर्णय लिये। लोहण्डीगुड़ा के किसानों की इस्पात संयंत्र के लिए अधिगृहित की गई 1707 किसानों की 4200 एकड़ जमीन के दस्तावेज उन्हें लौटा दिए गए। वहीं निर्णय और न्याय दो रास्ते को चुनते हुए भूपेश सरकार ने करीब 13 लाख तेन्दूपत्ता संग्राहकों को सौगात देते हुए तेन्दूपत्ता संग्रहण दर पच्चीस सौ रूपए से बढ़ाकर चार हजार रुपए प्रति मानक बोरा किया।

वनोपज बना रही है महिलाओं को स्वाबलंबी

यही नहीं मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की पहल पर समर्थन मूल्य पर लघु वनोपजों की खरीदी की प्रजातियों को 7 से बढ़ाकर 65 किया जा चुका है। वनोपज संग्रहण में करीब 48 हजार महिला स्व-सहायता समूह के सदस्य लाभान्वित हुए हैं। 134 उत्पादों का प्रसंस्करण कर छत्तीसगढ़ ‘हर्बल ब्रांड’ के नाम पर विक्रय शुरू किया गया है, साथ ही 30 संजीवनी केन्द्रों के माध्यम से करीब 200 उत्पादों का विपणन कार्य जारी है। वहीं लघु वनोपजों की संग्रहण दरों में भी वृद्धि की गई। शहीद महेंद्र कर्मा तेन्दूपत्ता संग्राहक सामाजिक सुरक्षा योजना के तहत 4692 तेंदूपत्ता संग्राहक परिवारों को 71.08 करोड़ से अधिक की बीमा दावा राशि का भुगतान किया गया है।

वनवासियों को मिल रहा है वन अधिकार पट्टा

‘इंदिरा वन मितान योजना’ के तहत 85 आदिवासी विकासखण्डों में दस हजार युवा समूहों का गठन किया गया है, इससे 19 लाख परिवारों को लाभ हो रहा है। वन अधिकार अधिनियम के तहत निरस्त वन अधिकार पट्टों की समीक्षा कर अब तक साढ़े चार लाख 55 हजार से अधिक व्यक्तिगत वन अधिकार पत्र करीब 46 हजार सामुदायिक वन अधिकार पत्र और लगभग चार हजार सामुदायिक वन संसाधन अधिकार पत्र वितरित किया जा चुका हैं।

संरक्षित जनजातियों को मिल रही है सीधी नौकरी

भूपेश सरकार ने आदिवासियों के विरूद्ध दर्ज प्रकरणों की वापसी करने का एक अहम निर्णय लिया। उच्चतम न्यायालय के सेवानिवृत्त माननीय न्यायाधीश ए.के पटनायक की अध्यक्षता में कमेटी का गठन किया है। भूपेश सरकार ने निर्णय और न्याय के साथ आदिवासी युवाओं को रोजगार मुहैया कराने की दिशा में भी अनेक कदम उठाए हैं। बस्तर और सरगुजा संभाग के लिए शिक्षकों की भर्ती अभियान, इन्हीं दोनों संभागों के लिए जिलास्तरीय एवं संभागस्तरीय तृतीय एवं चतुर्थ श्रेणी के पदों में स्थानीय निवासियों को प्राथमिकता देने की पहल सराहनीय है। बस्तर संभाग के सभी जिलों में ‘बस्तर फाइटर्स’ विशेष बल के तहत स्थानीय युवाओं को नौकरी दी जा रही है।

निर्दोष आदिवासियों को किया गया रिहा

यही नहीं घोषणा पत्र में शामिल निर्दोष आदिवासियों को जेल से रिहा करने के मामले में अब तक 1700 लोगों को रिहा कर दिया गया है. जिसमें बस्तर के निर्दोष आदिवासियों की संख्या सबसे ज्यादा है जो सालों से बेवजह जेल में सजा काट रहे थे. उन्होंनें कहा कि जिन क्षेत्रों में कभी नक्सलियों की मौजूदगी होती थी, अब इन इलाकों में विकास का काम किया जा रहा है. कई गांव नक्सल मुक्त हुए हैं और अब ग्रामीण अंचलों में नक्सल भय भी खत्म हो रहा है और इन जगहों पर पुल, पुलिया और सड़क का निर्माण सरकार के द्वारा किया जा रहा है।

बस्तर में शिक्षा की जलायी अलख

मुख्यमंत्री की पहल पर ही धुर नक्सल प्रभावित सुकमा, बीजापुर, दंतेवाड़ा जैसे जिले में 13 वर्षों से बंद सैंकड़ो स्कूलों को फिर से शुरू किया गया। फिर से स्कूल खुलने से यहां बच्चों की खुशी और अभिभावकों का उत्साह देखने को मिल रहा है। यही नहीं उन स्कूलों में शिक्षकों की नियुक्ति की भी गयी। नयी भर्तियों में ज्यादातर नियुक्तियां ग्रामीण क्षेत्र के स्कूलों में की गयी। सुदूर नक्सल क्षेत्र में आत्मानंद इंग्लिश मीडियम स्कूल ने तो शिक्षा में क्रांति ही ला दी। अकेले बीजापुर में ही 14-14 इंग्लिश मीडियम स्कूल खुलेहैं, जो किसी शहरी क्षेत्र वाले जिलों से कहीं ज्यादा है। बस्तर संभाग के सभी जिला मुख्यालय में बीएड और डीएड कॉलेज खोलने की घोषणा करने के साथ शासकीय महाविद्यालय तोकापाल और लौंहडीगुड़ा ब्लॉक में 50 -50 सीटर बालक बालिका छात्रावास का निर्माण करने की घोषणा की है

मलेरिया मुक्त हुआ बस्तर  

मुख्यमंत्री श्री बघेल ने आम लोगों के बीच अस्पताल पहुंचाने के लिए ‘मुख्यमंत्री हाट-बाजार क्लीनिक योजना’ वर्ष 2019 में गांधी जयंती के दिन शुरू की थी। सुदूर वनांचल, पहाड़, नदी, जंगल तथा दुर्गम गांवों तक स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच आसान करना ही इस योजना का मुख्य ध्येय है। करीब 2 हजार हाट-बाजारों में अब तक एक लाख से अधिक शिविर आयोजित किए जा चुके हैं तथा 62 लाख से अधिक लोगों का इलाज हुआ है।मलेरिया मुक्त छत्तीसगढ़ अभियान के तहत बस्तर संभाग में मलेरिया सकारात्मकता दर 4.60 प्रतिशत से घटकर 0.21 पर पहुंच गया है। बीते चार वर्षों में छत्तीसगढ़ में मलेरिया के मामले में 65 फीसदी की कमी आई है।

बस्तर के हर वर्ग का सरकार ने रखा ख्याल

मुख्यमंत्री ने सबको भरपेट भोजन मिले इसके लिए सार्वभौम पीडीएस योजना शुरू की है, जिसके तहत करीब 21 लाख अनुसूचित जनजाति वर्ग के हितग्राहियों को इसका लाभ हुआ है। मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान हो या मधुर गुड योजना, देवगडियों का विकास हो या मांझियों, चालकियों, कार्यकारिणी व साधारण मेम्बरीन, पुजारियों सहित अन्य सदस्यों के मानदेय बढ़ाने की बात हो या फिर विश्व आदिवासी दिवस पर सार्वजनिक अवकाश श्री भूपेश बघेल का हर कदम आदिवासियों के हित में है। छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद पहली बार राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव जैसे आयोजन कर श्री बघेल ने आदिवासी लोककला, लोककनृत्य और लोक संस्कृति को केन्द्र में लाया है। मुख्यमंत्री श्री बघेल ने विगत चार वर्षों  में ‘गढ़बो नवा छत्तीसगढ़’ की अवधारणा को लेकर आगे बढ़ रहे हैं। निश्चित ही इन योजनाओं से आदिवासियों का जीवनस्तर ऊंचा उठा है और भूपेश सरकार के प्रति आम लोगों का विश्वास भी बढ़ा है। आज के वक्त में अगर बस्तर को देखें तो चमचमाती सड़कें, सजे-धजे स्कूल और बिजली से रोशन घर ये बता रहे हैं कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के कार्यकाल में थोड़ा बहुत कुछ बदल गया है।

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