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शिक्षकों की “ऑपेरशन दलाली” पर संयुक्त संचालक ने न्यूज़ CUT TO CUT को दी प्रतिक्रिया……उधर,शिक्षकों ने भी खुलकर लगाया आरोप, ऊपर से ही चल रहा है सारा खेल , पूछ रहे सवाल – क्या बिलासपुर जेडी करेंगे दोषी शिक्षक पर कार्रवाई ?

बिलासपुर 30 जनवरी 2022। बिलासपुर के नवनियुक्त शिक्षक द्वारा पोस्टिंग के नाम पर खुला खेल फर्रुखाबादी खेलने का पूरा प्रमाण सामने आने के बाद भी स्कूल शिक्षा विभाग की खमोशी अब अफसरों पर ही सवाल खड़े कर रहा है।  कई बार जेडी बिलासपुर से संपर्क करने की भी कोशिश की, लेकिन उनकी तरफ से कोई स्पष्ट कार्रवाई की बात नहीं सामने आई, ऐसे हैरानी और सवाल उठना लाजमी है।

कमाल की बात ये है कि  जो आडियो वायरल हुआ है उसमें जो शिक्षक संलिप्त है वह महज 2 महीने पहले ही खुद 70 हजार रुपये देकर नियुक्त हुआ है जैसा कि उसने फोन में खुद दावा किया है और अब नवनियुक्त शिक्षकों को 90 हजार की बोली लगाकर मनचाही जगह पाने का ऑफर दे रहा है । इस शिक्षक नंदकुमार साहू की पोस्टिंग बिलासपुर जिले में पैसा देकर शहर के अंदर हुई है जैसा कि उसका खुद का दावा है तो सारे सबूत होने के बाद भी यदि शिक्षक पर कोई कार्यवाही नहीं होती है तो इसे क्या समझा जाए ।

ऐसे मामलों में आमतौर पर त्वरित कार्यवाही होती है लेकिन इतने गंभीर मामले में भी जेडी की तरफ से कोई कार्रवाई नहीं होना सवालों के घेरे में है। हालांकि बिलासपुर के संयुक्त संचालक से जब इस बाबत संपर्क किया गया तो उन्होंने लोगों को ही सचेत रहने की नसीहत दे दी, उन्होंने कहा कि…

“देखिये कुछ बातें आयी है, लेकिन मैं बता देना चाहता हूँ, कि पोस्टिंग नियम व प्रक्रिया से ही होगी, इसमे कोई पैसा देने और लेने वाली बात नहीं है, मैं तो आपके माध्यम से कहूंगा कि जो भी ऐसा काम कर रहे, उनको ट्रेप कराये, शिक्षक भी ऐसे लोगो के झांसे में ना आये, पैसे लेकर पोस्टिंग नहीं हो रही है, ये बात समझ ले”

ये पूछे जाने पर कि, इस मामले में जो दोषी है, उस पर क्या कार्रवाई होगी, तो उन्होंने कहा कि

“देखिये इस तरह की शिकायत तो आती है, लेकिन जो बता रहे कि वो शिक्षक है, कहा से खोजे उसे, इसलिए बोल रहा शिक्षक अभ्यर्थियों को सचेत रहे और ऐसे लोगो से दूर रहे, फिर भी अगर ऐसा कोई मामला आएगा तो जरूर कार्रवाई करेंगे”

वीडियो के नीचे शिक्षकों ने अपने कमेंट पर साफ तौर पर कहा है कि यह पूरा खेल हर जगह चल रहा है और इसमें अधिकारियों की मिलीभगत है वास्तव में यह दावा सही भी नजर आता है क्योंकि जिन शिक्षकों का चयन होना है उनकी सूची और उनका मोबाइल नंबर एक आम शिक्षक के हाथ में लग जाना यह साबित करता है कि वह शिक्षक आम नहीं बल्कि विभाग का खास हो चुका है और उसका काम यूं ही ग्राहक तलाश करके लाना है और यदि ऐसा नहीं है तो ऐसे शिक्षक पर कड़ी से कड़ी कार्यवाही करके विभाग को यह संकेत देना चाहिए कि जो भी ऐसे कार्य में लिप्त पाया जाएगा उस पर उस पर तत्काल कड़ी कार्रवाई की जाएगी ।

इधर शिक्षकों का यह भी कहना है की पदोन्नति के खेल में भी यही होना है और इसीलिए कई कार्यालयों में साफ तौर पर काउंसलिंग से इनकार किया जा रहा है और यह कहा जा रहा है कि यह कार्यालय का विशेषाधिकार है कि काउंसलिंग कराया जाए या नहीं । पढ़ें शिक्षकों का क्या है कहना

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