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धान पर सियासी घमासान : चंदेल बोले- प्रति एकड़ 20 क्विंटल धान खरीदे…मरकाम का पलटवार- रमन सरकार ने सिर्फ 10 कुंटल धान खरीदी का निर्णय क्यों लिया था

कांग्रेस के आंदोलन के बाद ही 15 कुंटल धान की खरीदी शुरू हुई थी

भाजपा के शासन काल का दुगुना धान कांग्रेस सरकार खरीद रही

रायपुर 30 अक्टूबर 2022। धान खरीदी शुरू होने वाली है। धान खरीदी को लेकर सियासी बयानबाजी प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने कहा कि भाजपा धान खरीदी पर घड़ियाली आंसू बहाने की नौटंकी मत करे ।कांग्रेस की सरकार राज्य के हर किसान का धान खरीदेगी ।भाजपा के शासन काल मे धान खरीदी की लिमिट प्रति एकड़ 10 कुंटल कर दी गयी थी कांग्रेस के द्वारा किये गए आंदोलन के बाद ही इस सीमा को बढ़ा कर 15 किया गया था ।

चंदेल बताए जब वेआज 20 कुंटल की मांग कर रहे उस समय 10 कुंटल क्यो किया गया था?।भाजपा की सरकार द्वारा 15 सालों में की गई एवरेज धान की खरीदी का दुगुना हर साल कांग्रेस की सरकार खरीदी कर रही है ।इस वर्ष 110 लाख मीट्रिक टन धान की खरीदी का लक्ष्य रखा गया है । रमन राज में 12 से 17 लाख किसान ही धान बेचते थे कांग्रेस सरकार में इस वर्ष लगभग 26लाख से अधिक किसानों ने धान बेचने का पंजीयन करवा लिया है इसकी संख्या और बढ़ेगी।धान उत्पादक किसानी का रकबा भी 5 लाख हेक्टेयर बढ़ा है।

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने कहा कि राज्य बनने के बाद पहली बार हो रहा है धान की खरीदी तीन माह तक किये जाने का कार्यक्रम घोषित किया गया है। इससे राज्य के धान उत्पादक किसान अपने ऊपज को सुविधाजनक तरीके से बेच पायेंगे। केंद्र सरकार की तमाम अड़ंगेबाजी के बावजूद कांग्रेस सरकार हर साल धान खरीदी का नया रिकार्ड बनाती है। मोदी सरकार धान खरीदी बंद करने का तमाम षड़यंत्र रचती है। इसके बावजूद छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार धान खरीदी के नये कीर्तिमान गढ़ती है।

इस वर्ष 110 लाख मीट्रिक टन रिकार्ड धान खरीदी का लक्ष्य रखा गया है। राज्य के किसानों को मिलने वाली किसान न्याय योजना से छत्तीसगढ़ में कांग्रेस सरकार ने किसानों की समृद्धि के नए प्रतिमान स्थापित किए हैं। राजीव गांधी के सामने आई योजना के तहत दी जा रही इनपुट सब्सिडी को मिलाकर किसानों के धान का दाम विगत वर्ष 2540 और 2560 रुपए मिला जो वर्तमान खरीफ़ सीजन में बढ़कर 2640 और 2660 रुपए प्रति क्विंटल हो जाएगा। छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार देश की एकलौती सरकार है जो किए गए वादे से अधिक और पूरे देश में सर्वाधिक धान की कीमत किसानों को दे रही है।भाजपा नेता केंद्र से राज्य के किसानों को अतिरिक्त कुछ मदद सहूलियत दिलाने के बजाय सिर्फ नकारात्मक बयान देने को अपना कर्तब्य समझ बैठे है

प्रति एकड़ 20 क्विंटल धान खरीदे राज्य सरकार- चंदेल

नेता प्रतिपक्ष नारायण चंदेल ने एक नवम्बर से घोषित धान खरीदी की व्यवस्थाओं को अपर्याप्त बताते हुए कहा है कि छत्तीसगढ़ सरकार ने भाजपा की लगातार मांग के दबाव में समय पर धान खरीदी की मुनादी तो पीट दी लेकिन सुव्यवस्थित तरीके से धान खरीदी का इंतजाम नहीं किया है। एक रोज बाद धान खरीदी शुरू होना है और सरकार इससे ज्यादा नृत्य उत्सव की तैयारी में व्यस्त है। जैसी गंभीरता नृत्य की तैयारी देखने में दिखाई जा रही है, वैसी गंभीरता धान खरीदी की व्यवस्था में नजर नहीं आ रही। सरकार प्रति एकड़ 20 क्विंटल धान खरीदी सुनिश्चित करें।

नेता प्रतिपक्ष श्री चंदेल ने कहा कि सरकार ने इस वर्ष 1लाख 10 हजार मीट्रिक टन धान खरीदी का लक्ष्य रखा है। गत वर्ष की स्थिति हम सभी ने देखी है। पिछले साल राज्य सरकार की लापरवाही के कारण बारदाने को लेकर किसानों को परेशान किया गया, उसे किसान भूले नहीं हैं। इस साल भी धान खरीदी केंद्रों में पर्याप्त व्यवस्था नहीं की गई है। जिसकी वजह से इस बार भी किसानों को परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। सरकार गीले धान का बहाना बनाकर किसानों को निराश करती है। इस साल इस तरह की कोई बहानेबाजी भाजपा चलने नहीं देगी। किसान जो भी धान लेकर आयें, सरकार उसे खरीदें।

नेता प्रतिपक्ष नारायण चंदेल ने कहा कि जैसे तैसे धान खरीदी हो जाती है तो उसका परिवहन सलीके से नहीं होता। समय पर परिवहन नहीं होने के कारण धान सड़ जाता है। इसलिए खरीदी के फौरन बाद धान के परिवहन की व्यवस्था सुचारू रूप से की जाए। सरकार स्पष्ट करे कि धान खरीदी के लिए कितने शेड का निर्माण हुआ है और धान के रखरखाव की क्या व्यवस्था है? किसानों को टोकन के नाम पर परेशान किया जाता है। इस तरह की परेशानी बिल्कुल भी नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा कि बीते दिनों हुई बारिश से कई किसानों का धान भीग गया है। सरकार इस बारे में क्या सोच रही है, यह भी स्पष्ट किया जाए। किसी भी हाल में किसान को नुकसान नहीं होना चाहिए। सरकार किसानों के लिए समुचित मुआवजे की व्यवस्था करे।

श्री चंदेल ने कहा कि पिछले वर्ष गिरदावरी के माध्यम से किसानों का रकबा कम कर दिया गया था छोटे व मझले किसानों की जमीनों को विलुप्त कर दिया गया था यह किसानों के साथ अन्याय है यह नहीं होना चाहिए ।साथ ही उन्होंने सरकार से प्रश्न किया कि ऐसा कैसे होता है कि जितना उत्पादन होता है उतनी ही खरीदी सरकार करने का दावा करती है जबकि वह रकबा भी कम करती है एवं प्रति एकड़ केवल 15 क्विंटल ही धान खरीदती है सरकार के पास ऐसा कौन सा कैलकुलेटर है जो यह कैलकुलेट करता है जरा उसे जनता को बताएंगे।

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