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बच्चों में फ़ैल रही तेजी से सोशल मीडिया की लत, इस्तेमाल के लिए उम्र तय होनी चाहिए

कर्नाटक 20 सितंबर 2023 | कर्नाटक हाई कोर्ट ने मंगलवार (19 सितंबर) को अहम टिप्पणी करते हुए कहा कि अगर नौजवानों और विशेषकर स्कूल के बच्चों के लिए सोशल मीडिया का प्रतिबंध लगा दिया जाए तो ये देश के लिए अच्छा होगा. इसके साथ ही कोर्ट ने सुझाव देते हुए ये भी कहा कि जिस उम्र में उन्हें वोट करने का अधिकार मिलता है तभी उन्हें सोशल मीडिया का इस्तेमाल करने का मौका दिया जाना चाहिए. ये उम्र 21 या 18 हो सकती है.

टीओआई की रिपोर्ट के मुताबिक, दरअसल, जस्टिस जी. नरेंद्र और जस्टिस विजयकुमार ए. पाटिल की खंडपीठ एक्स कॉर्प (पूर्व में ट्विटर) की अपील की सुनवाई कर रही थी. इसी दौरान ये टिप्पणी की गई. खंडपीड ने कहा, “स्कूल जाने वाले बच्चे सोशल मीडिया के आदी हो चुके हैं और ये देश के लिए अच्छा रहेगा कि उन पर पाबंदी लगाई जाए.” 

एकल न्यायाधीश ने इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के विभिन्न आदेशों के खिलाफ एक्स की याचिका खारिज कर दी थी। मंत्रालय ने दो फरवरी 2021 और 28 फरवरी 2022 के बीच सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 69ए के तहत 10 सरकारी आदेश जारी किए थे, जिसमें 1474 खातों, 175 ट्वीट, 256 यूआरएल और एक हैशटैग को ब्लॉक करने का निर्देश दिया गया था। ट्विटर ने इनमें से 39 यूआरएल से जुड़े आदेशों को चुनौती दी थी।

जस्टिस जी नरेंद्र ने कहा कि सोशल मीडिया पर प्रतिबंध लगाएं। मैं आपको बताऊंगा कि बहुत कुछ अच्छा होगा। आज के स्कूल जाने वाले बच्चे इसके आदी हो गए हैं। मुझे लगता है कि आबकारी नियमों की तरह इसकी भी एक उम्र सीमा तय होनी चाहिए। 

हाईकोर्ट ने इसके साथ ही कहा, ‘बच्चे 17 या 18 साल के हो सकते हैं, लेकिन क्या उनमें यह निर्णय लेने की परिपक्वता है कि देश के हित में क्या (अच्छा) है और क्या नहीं? न केवल सोशल मीडिया पर, बल्कि इंटरनेट पर भी ऐसी चीजें हटाई जानी चाहिए, जो मन को विषाक्त करती हैं। सरकार को सोशल मीडिया के उपयोग के लिए एक उम्र सीमा निर्धारित करने पर भी विचार करना चाहिए.’

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म की ओर से एकल न्यायाधीश पीठ के आदेश को चुनौती देने वाली अपील पर सुनवाई करते हुए कर्नाटक हाई कोर्ट की ये टिप्पणी सामने आई. जिसने इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी एक्ट की धारा 69 ए के तहत इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (एमईआईटीवाई) के जारी किए गए आदेश पर सवाल उठाने वाली उसकी याचिका खारिज कर दी थी. कोर्ट ने कंपनी पर 50 लाख रुपये का जुर्माना लगाया था. अदालत ने कंपनी को अपनी प्रामाणिकता दिखाने के लिए जुर्माने की 50 प्रतिशत धनराशि जमा करने को कहा था. कंपनी ने तर्क देते हुए कहा कि ये जुर्माना बहुत ज्यादा है और अन्यायपूर्ण भी है.

मामले की सुनवाई बुधवार (20 सितंबर) तक के लिए स्थगित कर दी गई. अदालत ने कहा कि वह बुधवार को ‘एक्स कॉर्प’ की ओर से मांगी गई अंतरिम राहत पर फैसला करेगी और उसकी अपील की सुनवाई बाद में की जाएगी.

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