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हड़ताल बिग ब्रेकिंग : कर्मचारी-अधिकारी फेडरेशन और GAD सचिव स्तर की वार्ता खत्म….कमल वर्मा ने पूरजोर तरीके से रखी अपनी बात….DA-HRA का जल्द होगा समाधान ….कार्रवाई वाले पत्र को लेकर डीडी सिंह बोले- वेतन कटौती नहीं है कोई निर्देश…

रायपुर 2 अगस्त 2022। कर्मचारियों के आक्रोश ने अब सरकार को भी सकते में ला दिया है। पहले पांच दिन का निश्चितकालीन आंदोलन और फिर 22 अगस्त से अनिश्चितकालीन हड़ताल की घोषणा ने सरकार को हिलाकर कर दिया है, लिहाजा अब सरकार इस हड़ताल को लेकर समाधान की दिशा में बढ़ती दिख रही है। मुख्यमंत्री की तरफ से “बातचीत के रास्ते खुले हैं” बाले बयान के 24 घंटे के भीतर GAD आज हरकत में आया और कमल वर्मा की अगुवाई वाली कर्मचारी-अधिकारी फेडरेशन को वार्ता के लिए आमंत्रित किया।

फेडरेशन के प्रांतीय संयोजक कमल वर्मा की अगुवाई में फेडरेशन की तरफ से राजेश चटर्जी, सतीश मिश्रा, चंद्रशेखर तिवारी, बीपी शर्मा, संजय सिंह, रामसागर कौशले और अजय तिवारी वार्ता में शामिल हुए।

वहीं सामान्य प्रशासन विभाग की तरफ से सचिव डीडी सिंह और डॉ कमलप्रीत के अलावे उप सचिव संजय अग्रवाल वार्ता में शामिल थे। करीब एक घंटे से ज्यादा वक्त तक चली वार्ता में कमल वर्मा ने पूरजोर तरीके से कर्मचारियों की दो सूत्री मांगों से GAD को अवगत कराया। कमल वर्मा ने उन आंकड़ों को भी अधिकारियों के सामने रखा, जिससे स्पष्ट हो रहा था कि राज्य सरकार की तरफ से महंगाई भत्ता केंद्र के अनुरूप नहीं देने और सातवें वेतनमान के अनुरूप गृहभाड़ा भत्ता नहीं देने से हर महीने 5 हजार से लेकर 17 हजार तक नुकसान हो रहा है। कमल वर्मा ने कहा कि ये आंदोलन 50 से ज्यादा अलग-अलग विभागों का आंदोलन था, इसलिए इस आंदोलन को सरकार गंभीरता से ले। उन्होंने कहा कि कर्मचारी काफी आक्रोशित हैं और कर्मचारियों का आक्रोश सरकार को समझना होगा।

कमल वर्मा ने इस दौरान हड़ताली कर्मचारियों के खिलाफ 2006 के परिपत्र का हवाला देकर कार्रवाई के आदेश को लेकर तीखी नाराजगी भी जतायी। कमल वर्मा ने उस नोटिस के औचित्य पर सवाल उठाते हुए कहा कि फेडरेशन कर्मचारियों की अधिकृत व पंजीकृत संस्था है, हड़ताल पर जाने के लिए पूरे नियम और प्रक्रिया का पालन किया गया, तो फिर आखिर कार्रवाई का नोटिस क्यों जारी किया गया। कमल वर्मा ने बैठक में ही दो टूक कह दिया कि, हर हाल में सरकार को इस आदेश को वापस लेना ही होगा। उन्होंने कहा कि इस तरह के आदेश से कर्मचारियों का आक्रोश और बढ़ेगा, इसलिए इस आदेश को तुरंत वापस लेने का आदेश जारी हो। उन्होंने फिर दोहराया कि ये आंदोलन 50 से ज्यादा अलग-अलग विभागों के अधिकारी-कर्मचारी का आंदोलन था, जिन्होंने 5 दिवसीय आंदोलन के दौरान अपने आक्रोश का इजहार किया और 31 जुलाई को जो महाबैठक बुलायी थी, उस दौरान भी उन्होंने एकसुर में अनिश्चितकालीन आंदोलन में जाने की हुंकार भरी, इसलिए इस आक्रोश को समझना होगा।

जीएडी की तरफ से डा कमलप्रीत ने कहा कि कर्मचारियों की मांगों और मंशा से मुख्यमंत्री को अवगत कराया जायेगा। जीएडी सचिव ने कहा कि जिन मांगों के बारे में फेडरेशन की तरफ से जानकारी दी गयी है, उसे मुख्यमंत्री के पास रख जायेगा और इसका जल्द से जल्द समाधान भी निकलवाया जायेगा।

वहीं जीएडी सचिव डीडी सिंह ने नोटिस के मुद्दे पर कहा कि उन्होंने इस मामले को लेकर संचालक कोष, लेखा एवं पेंशन को आवश्यक निर्देश दे दिया है। उन्होंने कहा कि 2006 का परिपत्र स्पष्ट नहीं है, लेकिन, कोष, लेखा एवं पेंशन की तरफ से पत्र की गलत व्याख्या की जा रही है। कहीं भी इस बात का निर्देश नहीं है कि वेतन काटा जाये और ना ही 2006 के परिपत्र में इसकी स्पष्टता है। लेकिन इस पत्र को लेकर गुमराह किया गया। डीडी सिंह ने साफ कहा कि वेतन कटौती जैसे निर्णय शासन स्तर पर लिये जाते हैं, लेकिन ऐसा कुछ भी शासन स्तर से निर्देश नहीं है। मुझे जब इस मामले में जानकारी हुई तो मैंने संचालक कोष, लेखा पेंशन से बात की। मैं इस मामले में आगे भी बात कर स्थिति स्पष्ट करूंगा। उन्होंने आश्वस्त किया कि इस दिशा में जल्द ही कोई समाधान का रास्ता तैयरा कर लिया जायेगा।

बैठक के बाद कर्मचारी अधिकारी फेडरेशन के प्रांतीय संयोजक कमल वर्मा ने बताया कि …

मुख्यमंत्री ने कल ही कहा था कि बातचीत का रास्ता खुला है, जीएडी सचिव ने हमें आज बुलाया गया, सरकार की पहल हुई है और आज की बातचीत सकारात्मक और समाधानकारक दिखी। सचिव ने इस दिशा में समाधान की तरफ बढ़ने की बात कही है, उम्मीद हम भी कर रहे हैं कि सरकारी हमारी मांगों का समाधान करेगी। हमने पूरजोर तरीके से अपनी बातें कही है, और कर्मचारियों के आक्रोश से भी सरकार को सचेत कर दिया है। वार्ता के दौरान आश्वासन मिला है कि वो कर्मचारियों की भावना और फेडरेशन की मंशा से सरकार को अवगत करायेंगे और जल्द ही इसका हल सामने आयेगा।

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