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प्रमोशन घोटाले की आंच अब संयुक्त संचालक तक…DPI ने संयुक्त संचालक से मांगा स्पष्टीकरण, BEO से जवाब तलब… DPI ने पूछा- ‘आपने ऐसा आखिर क्यों किया बताईये’

रायपुर 10 अक्टूबर 2022। शिक्षक प्रमोशन के नाम पर महासमुंद में खूब खेला हुआ है। प्रमोशन के बाद से ही एक के बाद एक कई गड़बड़ियां उजागर हुई, अब इसकी आंच रायपुर संयुक्त संचालक तक पहुंच गयी है। डीपीआई सुनील जैन ने रायपुर संयुक्त संभागीय संचालक के कुमार से तीन दिन के भीतर जवाब मांगा है। पूरा मामला बर्खास्त शिक्षकों को प्रधान पाठक पद पर प्रमोशन देने का है। दरअसल DPI को इस बात की शिकायत की गयी थी कि बसना में 41 वैसे सहायक शिक्षकों को प्रमोशन दिया गया, जो 2015 में बर्खास्त हुए थे, लेकिन प्रमोशन में उनकी सेवा गणना 2007 से की गयी और फर्जी तरीके से उन्हें पदोन्नति देकर प्रधान पाठक बना दिया गया। इस मामले में कई शिक्षकों ने लिखित शिकायत की थी, वहीं पदोन्नति घोटाले को लेकर मीडिया में भी खबरें आयी। डीपीआई सुनील जैन ने इस मामले में रायपुर जेडी को पत्र लिखकर जवाब मांगा है कि अनुभवी अधिकारी होने के बावजूद ऐसा आखिर क्यों किया गया।

DPI ने संयुक्त संचालक व बीईओ पर उठाये गंभीर संवाल

पत्र में पूछा गया है कि शिक्षक हरिराम साव की शिकायत पर जांच प्रतिवेदन 7 दिन के भीतर अभिमत के साथ डीपीआई की ओर से मांगा गया था। लेकिन संयुक्त संचालक ने ना तो जांच प्रतिवेदन भेजा और ना ही अभिमत ही दिया। हैरानी की बात ये है कि इस पूरे प्रकरण में जेडी कार्यालय ने शिकायतकर्ता का पक्ष भी नहीं सुना। बिना अधिकारी के संज्ञान में प्रकरण को लाये और उच्चाधिकारी को पूरी जानकारी देते हुए 18 अक्टूबर 2022 को बसना विकासखंड के 41 सहायक शिक्षकों का संविलियन आदेश 1 जुलाई 2018 से मान्य कर दिया गया। ये जानते हुए कि डीपीआई में पूरे प्रकरण की जांच लंबित है, उसकी परवाह किये बगैर ही बीईओ बसना ने सहायक शिक्षकों को करोड़ों का एरियर्स का भी भुगतान करा दिया। इस मामले में ना संयुक्त संचालक और ना ही बीईओ ने डीपीआई को आज तक कोई जानकारी दी। डीपीआई ने संयुक्त संचालक और बीईओ दोनों की इस मामले में संलिप्तता मानी है।

41 शिक्षक 7 साल रहे बर्खास्त, फिर भी 2018 में संविलियन

दरअसल 2007 में महासमुंद जिले के बसना में 41 शिक्षकों की नियुक्ति को लेकर शिकायत हुई थी, जिसके बाद तत्कालीन कलेक्टर ने 41 शिक्षाकर्मियों को बर्खास्त कर दिया था। हालांकि बाद में उन्हें साल 2015 में पद पर बहाल कर दिया गया। आरोप लगाने वाले शिक्षकों के मुताबिक उनकी सेवा गणना 2015 से होनी थी, लेकिन उनकी सेवागणना ना सिर्फ 2007 से मानी गयी, जिसके तहत उनका संविलियन भी 2018 में कर दिया गया और 8 साल का एरियर्स भी विभाग ने करोड़ों रुपये उन्हें भुगतान किया। आरोप के मुताबिक ये नियम विरूद्ध है, जब वो पंचायत विभाग में पदस्थ ही नहीं थे तो फिर उन्हें पद पर होना कैसे माना जा सकता है। आरोप तो ये है कि किसी भी विशेष परिस्थिति में शासकीय कर्मचारियों को 5 साल के लिए असाधारण अवकाश दिया जा सकता है, लेकिन इन 41 बर्खास्त हुए शिक्षकों को विभाग ने 7 साल 10 महीने का असाधारण अवकाश स्वीकृत किया गया। 2018 में जनपद सीईओ की तरफ से पात्रता के विरूद्ध इनका संविलियन आदेश दिया गया।

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