हेडलाइन

CG : कोरबा आदिवासी विभाग में गजब की मनमानी,इंजीनियर होने के बाद भी करोड़ों के 22 छात्रावास निर्माण की जिम्मेदारी सहा.मानचित्रकार के जिम्मे,विभाग की मेहरबानी पर उठने लगे सवाल !

कोरबा 17 अक्टूबर 2023। कोरबा जिले का आदिवासी विभाग एक बार सुर्खियों में है। यहां आदिवासी बच्चों के लिए बनाये जा रहे छात्रावास भवन के निर्माण और मरम्मत कार्यो में जमकर धांधली किये जाने का मामला सामने आया है। बताया जा रहा है कि विभाग में नगर निगम, हाउसिंग बोर्ड और लोक निर्माण विभाग के इंजीनियर को सिविल कार्यो की देखरेख के लिए बकायदा कलेक्टर द्वारा आदेशित किया गया है। बावजूद इसके विभाग की मेहरबानी पर करीब 35 करोड़ के 22 छात्रावास भवन निर्माण के साथ ही छात्रावास मरम्मत के कार्यो की जिम्मेदारी चर्चित सहा. मानचित्रकार के जिम्मे में है। अब आलम ये है कि सहा.मानचित्रकार के साइड विजिट नही करने का फायदा उठाकर ठेका कंपनी मनमाने ढंग से गुणवत्ताहीन काम को अंजाम दे रहे है। आरोप ये भी है कि इंजीनियर की भूमिका निभाने वाले सहा.मानचित्रकार साइड का अवलोकन किये बगैर ही बिल बनाकर भुगतान कर रहे है और जिसके द्वारा तय परसेंटे देने में आनाकानी की जाती है, उन्हे बिल के लिए घुमाया जाता है। लिहाजा अब इस पूरे मामले की लिखित शिकायत सहायक आयुक्त आदिवासी विभाग के समक्ष कई ऐजेंसियों ने की है, जिसके बाद से विभाग में हड़कंप मचा हुआ है।

छत्तीसगढ़ में आदिवासी बच्चों की आवासी शिक्षा और उनके बेहतर भविष्य के लिए शासन कई महत्वपूर्ण योजनांए चला रही है। लेकिन इन योजनाओं पर भ्रष्ट अफसर किस तरह से गिद्ध नजर डाले हुए इसकी बानगी कोरबा जिला में देखी जा सकती है। आदिवासी बाहुल्य कोरबा जिला में आदिवासी बच्चों के बेहतर सुविधा के लिए 22 नये छात्रावास भवन बनाये जा रहे है। नियमानुसार भवन निर्माण का कार्य सिविल इंजीनियरिंग की निगरानी में होना चाहिए। लेकिन कोरबा आदिवासी विभाग में इन सारे नियमों का दर किनार कर एक-दो नही बल्कि 22 छात्रावास भवन निर्माण की जिम्मेदारी सहा.मानचित्रकार ऋषिकेश बानी के जिम्में है। बताया जा रहा है कि दुर्ग में रहने वाले सहा.मानचित्रकार की कोरबा जिला में पोस्टिंग के बाद से सप्ताह में महज 2 से 3 दिन उपस्थिति रहती है। ऐसे में आदिवासी छात्रों के लिए बन रहे छात्रावास भवन का काम भगवान भरोसे छोड़ दिया गया है। इंजीनियर की जगह सहा.मानचित्रकार को मिली इस बड़ी जवाबदारी और कार्य के प्रति इस गंभीर लापरवाही का फायदा ठेका एजेंसिया उठा रहे है।

अधिकांश निर्माण कार्य गुणवत्ताहीन कराये जा रहे है। आरोप है कि इसके बाद भी सहा.मानचित्रकार ऋषिकेश बानी द्वारा घटिया निर्माण कार्य पर आपत्ति जताने के बजाये एजेंसियों का बिल तैयार कर भुगतान करने में जुटे हुए है। वहीं जिस ठेका कंपनी के द्वारा सहायक मानचित्रकार के द्वारा तय कमीशन नही दिया जाता,उसके बिल भुगतान पर मनमानी करते हुए ब्रेक लगा दिया जाता है। ऐसी ही एक शिकायत सहायक आयुक्त श्रीकांत कसेर के समक्ष की गयी है। शिकायत में बकायदा ठेका कंपनी ने सहा.मानचित्रकार ऋषिकेश बानी पर प्रत्येक बिल पर 5 प्रतिशत कमीशन मांगने का गंभीर आरोप लगाया गया है। आरोप ये भी है कि विभाग द्वारा जिस सहा.मानचित्रकार को सिविल इंजीनियर की जिम्मेदारी सौंपी गयी है, उसके द्वारा कभी भी किसी भी साइड का विजिट नही किया जाता। लिहाजा ठेकेदार द्वारा निश्चित किये हुए कमीशन के आधार पर बिना काम कराये पूरे कार्य का बिल भुगतान तैयार कर लिया जाता है।

ऐसे में आदिवासी विभाग के सहा.मानचित्रकार ऋषिकेश बानी की इस मनमानी से ना केवल विभाग को अब तक करोड़ों रूपयें का चूना लग चुका है, बल्कि छात्रावास में रहने वाले आदिवासी बच्चों को मिलने वाली सुविधाओं को लेकर भी खुलेआम खिलवाड़ किया जा रहा है। आपको बता दे कि इससे पहले ही पूर्व सहायक आयुक्त माया वारियर ने सहा.मानचित्रकार को निर्माण कार्यो से पृथक कर विभाग के दूसरे कार्यो की जवाबदारी सौंपी गयी थी। लेकिन कोरबा जिला में नव पदस्थ सहायक आयुक्त श्रीकांत कसेर को अंधेरे में रखकर सहा.मानचित्रकार ऋषिकेश बानी द्वारा एक बार फिर जिले में आदिवासी छात्रों को मिलने वाली सुविधाओं के साथ खिलवाड़ करने के साथ ही घटिया निर्माण कार्यो को प्रश्रय देकर जमकर धांधली की जा रही है। ऐसे में यदि सहा.मानचित्रकार ऋषिकेश बानी के द्वारा बनाये गये बिलों और छात्रावासों में कराये गये कार्यो का भौतिक सत्यापन किया जाता है, तो विभाग में हुए बड़े भ्रष्टाचार का खुलासा हो सकता है।

वहीं दूसरी तरफ इस पूरे मामले के खुलासे के बाद एक बार फिर आदिवासी विभाग सवालों के घेरे में है। ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यहीं है कि जब कलेक्टर द्वारा विभाग में नगर निगम और लोक निर्माण विभाग के सिविल इंजीनियरों को निर्माण और मरम्मत कार्य के निरीक्षण-परीक्षण और मूल्याकंन के लिए आदेशित किया गया है। बावजूद इसके सहा.मानचित्रकार को किस अधिकार के तहत सिविल इंजीनियर के कार्यो की जिम्मेदारी सौंप दी गयी ये बड़ा सवाल है। इन सारे खुलासों के बाद आदिवासी विभाग और सहा.मानचित्रकार की कार्य प्रणाली को लेकर कई सवाल उठने लगे है, मसलन 22 छात्रावास भवनों के निर्माण कार्य की देखरेख का जिम्मा सिविल इंजीनियर की जगह महज सहा.मानचित्रकार के जिम्मे सौंपना कितना जवाबदारी पूर्ण है ?

देखरेख के अभाव में गुणवत्ताहीन छात्रावास भवन में कार्य के बाद यदि भविष्य में कोई बड़ा हादसा होता है…..तो इसका जवाबदार कौन होगा ? क्या आदिवासी विभाग सहा.मानचित्रकार के द्वारा अब तक कराये गये निर्माण और मरम्मत कार्यो की जांच कराया जायेगा ? ये वो सवाल है जिसने आदिवासी बाहुल्य कोरबा जिला के आदिवासी विभाग की कार्य प्रणाली पर सवालिया निशान लगा दिया है। ऐसे में अब ये देखने वाली बात होगी कि इस पूरे मामले के प्रकाश में आने और ठेकेदारों द्वारा मनमानी करने वाले सहा.मानचित्रकार ऋषिकेश बानी के खिलाफ लिखित शिकायत करने के बाद कलेक्टर या फिर आदिवासी विभाग कोई एक्शन लेता है ? या फिर आदिवासी बच्चों को मिलने वाली सुविधाओं के साथ खिलवाड़ करने वाले सहा.मानचित्रकार को अभयदान दे दिया जाता है, ये तो आने वाला वक्त ही बतायेगा।

Back to top button