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दुर्गा विसर्जन के लिए आज है बस 2 घंटे का मुहूर्त, जानें माता की विदाई की सही विधि और नियम…

रायपुर 05 अक्टूबर 2022 : नवरात्रि के नौ दिनों में हर तरफ धूमधाम दिखाई देती है और हर माता मंदिर में भक्तों का तांता लगा रहता है। 26 सितंबर से प्रारंभ हुई शारदीय नवरात्रि के पहले दिन मां दुर्गा की प्रतिमा को बैंड-बाजों व गीतों के साथ विराजमान किया गया और 5 अक्टूबर 2022 को यानि आज दशमी तिथि के दिन मां दुर्गा की प्रतिमा का विसर्जन किया जाएगा।

विजयादशमी यानी दशहरे के दिन 5 अक्टूबर 2022 को देवी दुर्गा का विसर्जन किया जाएगा। इस दिन शुभ काल और मुहूर्त में मां अम्बे को विदाई देकर सालभर आशीर्वाद बनाए रखने की कामना की जाएगी। इस दिन शुभ काल में माता को विसर्जित करना बहुत उत्तम माना जाता है। कुछ भक्त देवी मां को विदा करने के बाद ही व्रत का पारण करते हैं।

हिंदू पंचांग के अनुसार अश्विन माह की दशमी तिथि 4 अक्टूबर 2022 को दोपहर 02 बजकर 20 मिनट से आरंभ हो रही है, जो 5 अक्टूबर 2022 को 12 बजे समाप्त होगी। इसलिए 5 अक्टूबर को सुबह 06:15:52 से सुबह 08:37:18 तक दुर्गा विसर्जन करना शुभ माना जाएगा।

दिन – 5 अक्टूबर, 2022
अवधि – 2 घंटे 21 मिनट
श्रवण नक्षत्र प्रारम्भ – 4 अक्टूबर 2022, रात 10:51
श्रवण नक्षत्र समाप्त – 5 अक्टूबर 2022, रात 09:15

ऐसे करें मां दुर्गा का विसर्जन
मां दुर्गा की प्रतिमा का विसर्जन करने से पहले उनकी विधिवत पूजा करें जैसे आप रोज करते हैं।
इसके बाद देवी को विदाई देते समय ये मंत्र बोलें- हे मां सदैव अपनी कृपा दृष्टि साधक पर बनाए रखना। मान्यता है कि ऐसा करने से देवी भक्तों के साऱे कष्ट हर लेती हैं।
घटस्थापना में बोए जवारे दुर्गा विसर्जन के दिन परिवार में बांटें, कहा जाता है कि इन जवारों को घर में रखने से सुख-समृद्धि आती है और माता का आशीर्वाद हमेशा बना रहता है।
थोड़े जवारे अपने पास तिजोरी में रखें इससे धन की कमी नहीं होगी, बाकी को नदी में प्रवाहित कर दें। इन्हें फेंके नहीं नहीं तो देवी नाराज हो जाएंगी।
देवी को चढ़ाई सभी सामग्री को इधर-उधर फेंके नहीं इसे भी देवी के साथ विसर्जित कर दें। ध्यान रहे इन पर पैर न लगे।
कहा जाता है कि इन नौ दिनों में मां धरती पर विचरण करने आती हैं और भक्तों के बीच रहकर उनके सारे कष्टों का हरण कर लेती हैं। यही वजह है कि नवरात्रि के पहले दिन ढोल, नगाड़ों के साथ मां दुर्गा की प्रतिमा का पंडालों में विराजमान किया जाता है। और विधि-विधान से पूजा-पाठ के बाद दशमी के दिन मां दुर्गा की प्रतिमा का विसर्जन कर मां को विदाई दी जाती है।

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